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द्वितीय विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) जीतने सिख सैनानी- 

द्वितीय विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) जीतने सिख सैनानी-  विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) ब्रिटिश सशस्त्र बलों का सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित अलंकरण है। यह “शत्रु की उपस्थिति में” वीरता के लिए प्रदान किया जाता है। इसकी स्थापना 29 जनवरी 1856 को महारानी विक्टोरिया द्वारा क्रीमियन युद्ध (1854-1856) के दौरान प्रदर्शित वीरता को सम्मानित करने के […]

प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) जीतने सिख सैनानी-

कैप्टन ईशर सिंह विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित प्रथम सिख सैनिक की अमर गाथा जब इतिहास के पृष्ठों में वीरता की मिसालें खोजी जाती हैं, तब कुछ नाम स्वर्णाक्षरों में स्वयं को अंकित कर लेते हैं। ऐसा ही एक नाम है, कैप्टन ईशर सिंह, जो ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा प्रदत्त सर्वोच्च युद्ध सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से विभूषित

मृत्यु का प्रमाण पत्र

मृत्यु का प्रमाण पत्र (एक जीवनदर्शी अनुभव कथा) सेवानिवृत्त पुलिस आयुक्त… कभी गर्व से सीना ताने सरकारी बंगले में रहने वाले, अब उन्हीं की कॉलोनी में स्थित एक सामान्य से निजी मकान में निवास कर रहे थे। पद, प्रतिष्ठा और सत्ता का तेज अब भी उनके आचरण में झलकता था। उन्हें स्वयं पर अत्यधिक गर्व

समय का विलाप: समय से परे, फिर भी समय के अधीन

समय का विलाप: समय से परे, फिर भी समय के अधीन मानवता ने विज्ञान-विकास के पथ पर चलते हुए दूरी, परिश्रम और जटिलताओं को सरल करने के लिए जो प्रगति की है, वह अद्भुत है। किन्तु विडम्बना देखिए—समय बचाने की अट्टालिकाएँ जितनी ऊँची उठती जाती हैं, मनुष्य उतनी ही व्यग्रता से दोहराता है, “समय नहीं

लेखन कला और उसकी विधाएँ

लेखन कला और उसकी विधाएँ शोध आलेख (अनुभव लेखन)- सारांश (Abstract):   यह शोध आलेख “लेखन कला और उसकी विधाएँ” के अंतर्गत लेखन की मूल प्रेरणा-संवेदनशीलता और सृजनशीलता की भूमिका पर केंद्रित है। लेख में यह विश्लेषित किया गया है कि किस प्रकार सामाजिक, राजनीतिक या मानवीय घटनाएं एक व्यक्ति के अंतर्मन को प्रभावित कर एक

 इंसानियत की ज़मीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी (शोध पत्र)

 इंसानियत की ज़मीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी (शोध पत्र) ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ 1. प्रस्तावना सिख धर्म को आज समस्त विश्व में सबसे आधुनिक, जीवंत और मानवतावादी धर्म के रूप में स्वीकार किया गया है। गुरु पंथ खालसा से संबंधित सिखों ने सेवा, सिमरन, त्याग, इंसानियत और देशभक्ति के अद्वितीय मूल्यों

arsh.blog : एक साहित्यिक परिचय

arsh.blog : एक साहित्यिक परिचय 1. प्रस्तावना (भूमिका) डिजिटल युग में लेखनी मात्र शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना, सांस्कृतिक उत्तरदायित्व और आत्मिक संवाद का सशक्त माध्यम बन चुकी है। arsh.blog उसी चेतना का जीवंत स्तम्भ है, एक ऐसा मंच जहाँ गुरुवाणी की सार्वभौमिक शिक्षाएँ, सिख इतिहास की गौरव–गाथाएँ और भारतीय संस्कृति की सजीव

कामागाटा मारू: सिखों के संघर्ष की अद्भुत-अनोखी दास्तान (शोध पत्र)

कामागाटा मारू: सिखों के संघर्ष की अद्भुत-अनोखी दास्तान (शोध पत्र) देह सिवा बरु मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूं न टरो॥ न डरो अरि सो जब जाइ लरो निसचै करि अपुनी जीत करो॥ अरु सिख हौ आपने ही मन को इह लालच हउ गन तउ उचरो॥ न डरो अरि सो जब जाइ लरो निसचै करि

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी में भक्त कबीर–

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी में भक्त कबीर– भूमिका— राम कबीरा एक भए है कोइ न सकै पछानी॥ (अंग क्रमांक 969) अर्थात भक्त कबीर जी कहते है! अब परमात्मा की प्राप्ति हो गई है और हृदय रूपी सिंहासन पर चढ़कर उसके संग हम बैठ गए हैं। अब कबीर एवं राम दोनों एक रूप

पहाड़ियों की पुकार

पहाड़ियों की पुकार सूरज की पहली किरणों ने जैसे ही दार्जिलिंग की वादियों से धुंध की चादर हटाई, बिकी ने अपनी पुरानी विश्वस्त टाटा सूमो की पिछली सीट पर जगह बना ली। वह इस बार न किसी पर्व, न किसी निमंत्रण से बँधा था। वह तो जा रहा था सुषा से मिलने, एक निःशब्द वादे