शहीद: अर्थ एवं व्याख्या
शहीद: अर्थ एवं व्याख्या सलोक कबीर॥गगन दमामा बाजिओ परिओ नीसानै घाउ॥खेतु जु माँडिओ सूरमा अब जूझन को दाउ॥सूरा सो पहिचानीऐ जु लरै दीन के हेत॥पुरजा पुरजा कटि मरै कबहू न छाडै खेतु॥(अंग क्रमांक 1105) अर्थात् वह ही शूरवीर योद्धा है, जो दीन-दुखियों के हित के लिए लड़ता है। जब मन-मस्तिष्क में युद्ध के नगाड़े बजते […]
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