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 इंसानियत की ज़मीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी (शोध पत्र)

 इंसानियत की ज़मीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी (शोध पत्र) (श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी वर्ष पर्व पर विशेष) ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ 1. प्रस्तावना सिख धर्म को आज समस्त विश्व में सबसे आधुनिक, जीवंत और मानवतावादी धर्म के रूप में स्वीकार किया गया है। गुरु पंथ खालसा […]

कामागाटा मारू: सिखों के संघर्ष की अद्भुत-अनोखी दास्तान (शोध पत्र)

कामागाटा मारू: सिखों के संघर्ष की अद्भुत-अनोखी दास्तान (शोध पत्र) सवैया॥ देह सिवा बरु मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूं न टरो॥ न डरो अरि सो जब जाइ लरो निसचै करि अपुनी जीत करो॥ अरु सिख हौ आपने ही मन को इह लालच हउ गन तउ उचरो॥ न डरो अरि सो जब जाइ लरो निसचै

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी में भक्त कबीर–

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी में भक्त कबीर– भूमिका— राम कबीरा एक भए है कोइ न सकै पछानी॥ (अंग क्रमांक 969) अर्थात भक्त कबीर जी कहते है! अब परमात्मा की प्राप्ति हो गई है और हृदय रूपी सिंहासन पर चढ़कर उसके संग हम बैठ गए हैं। अब कबीर एवं राम दोनों एक रूप

सिखों की पारंपरिक युद्ध-कला : गतका (शोध पत्र)

सिखों की पारंपरिक युद्ध-कला : गतका (शोध पत्र) असि क्रिपान खंडों खड़ग तुपक तबर अरु तीर‌॥ सैफ सरोही सैहथी यहै हमारे पीर॥ (ससत्र नाम माला) ‘गुरु पंथ खालसा’ की धार्मिक युद्ध-कला ‘गतका’ की समस्त विश्व में एक विशिष्ट पहचान है। इस कला ने युद्ध-कौशल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं,

शहीदों के सरताज: श्री गुरु अर्जुन देव साहिब जी की जीवन-गाथा (शोध पत्र)

शहीदों के सरताज: श्री गुरु अर्जुन देव साहिब जी की जीवन-गाथा (शोध पत्र) (तेरा कीआ मीठा लागै॥ हरि नामु पदारथु नानकु माँगै)॥ भूमिका ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की ज्योति, सिख धर्म में शहादत की परंपरा की नींव रखने वाले प्रथम शहीद, शहीदों के सरताज, महान शांति के पुंज, गुरबाणी के बोहिथा (ज्ञाता/सागर), सिख

श्री गुरु नानक देव साहिब जी और उनकी चार उदासी यात्राएँ

श्री गुरु नानक देव साहिब जी और उनकी चार उदासी यात्राएँ सारांश (Abstract):यह शोध-पत्र सिख धर्म के संस्थापक एवं प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव साहिब जी द्वारा जीवनकाल में की गई चार उदासी यात्राओं पर केंद्रित है। इन यात्राओं ने धार्मिक पुनर्जागरण का सूत्रपात किया और समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद तथा पाखंड के