Singh (Hindi)

‘arsh.blog’ की SINGH category में सिख इतिहास की गौरवशाली धरोहर और सिख वीरों के शौर्य की अद्वितीय गाथाओं को समर्पित है। इस SINGH category में सिख धर्म की शिक्षाओं अनुसार गुरू पंथ खालसा के सिखों की अमर कथाएं संक्षेप में प्रस्तुत की गई हैं। सिख योद्धाओं की वीरता, सेवा, त्याग, और मातृभूमि के प्रति निष्ठा का यह दस्तावेज़ आपको न केवल प्रेरणा देगा, बल्कि गुरु महाराज की कृपा पाने का मार्ग भी दिखाएगा। ‘सिंघ’ श्रेणी में आप पाएंगे सिख वीरों और विशिष्ट व्यक्तित्वों की जीवनी, जिन्होंने अपने साहस और समर्पण से भारतीय इतिहास को नई दिशा दी।

द्वितीय विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) जीतने सिख सैनानी- 

द्वितीय विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) जीतने सिख सैनानी-  विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) ब्रिटिश सशस्त्र बलों का सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित अलंकरण है। यह “शत्रु की उपस्थिति में” वीरता के लिए प्रदान किया जाता है। इसकी स्थापना 29 जनवरी 1856 को महारानी विक्टोरिया द्वारा क्रीमियन युद्ध (1854-1856) के दौरान प्रदर्शित वीरता को सम्मानित करने के […]

प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) जीतने सिख सैनानी-

कैप्टन ईशर सिंह विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित प्रथम सिख सैनिक की अमर गाथा जब इतिहास के पृष्ठों में वीरता की मिसालें खोजी जाती हैं, तब कुछ नाम स्वर्णाक्षरों में स्वयं को अंकित कर लेते हैं। ऐसा ही एक नाम है, कैप्टन ईशर सिंह, जो ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा प्रदत्त सर्वोच्च युद्ध सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से विभूषित

सरदार शाम सिंह अटारी: एक अप्रतिम देशभक्त और वीर योद्धा

सरदार शाम सिंह अटारी: एक अप्रतिम देशभक्त और वीर योद्धा सरदार शाम सिंह अटारी, जिनका नाम सिख इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में अमर है, का जन्म सन् 1788 ई. में भारत के पंजाब प्रांत के प्रसिद्ध ग्राम अटारी में हुआ। यह स्थान वर्तमान में अमृतसर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर, पाकिस्तान की सीमा

भाई सुबेग सिंह जी और भाई शाहबाज सिंह जी

भाई सुबेग सिंह जी और भाई शाहबाज सिंह जी (जिन्हें चरखे पर सवार कर शहीद किया गया था) भाई सुबेग सिंह गांव जम्बर (जिला लाहौर, पाकिस्तान) के निवासी थे। वे सुशिक्षित और फारसी के विद्वान थे। आप लाहौर में एक सरकारी ठेकेदार के रूप में कार्यरत थे और कुछ समय के लिए लाहौर शहर के

भाई सुखा सिंह जी और भाई महताब सिंह जी: सिख धर्म की आन, बान और शान 

भाई सुखा सिंह जी और भाई महताब सिंह जी: सिख धर्म की आन, बान और शान  भाई सुखा सिंह जी और भाई महताब सिंह जी ने सिख धर्म की आन, बान और शान के लिए श्री हरमंदिर साहिब, अमृतसर की बेअदबी करने वाले मस्सा उद्दीन उर्फ मस्सा रंगड़ का सरेआम वध कर, उसका सिर एक

सरदार निधान सिंह ‘पंज हत्था सिंह’: वीरता और बलिदान की अमर गाथा

सरदार निधान सिंह ‘पंज हत्था सिंह’: वीरता और बलिदान की अमर गाथा भारत की धरती पर, जहां वीरता और बलिदान की कहानियाँ अनगिनत हैं, उनमें से एक है सरदार निधान सिंह की गाथा, जिन्हें ‘पंज हत्था सिंह’ के नाम से जाना जाता है। ‘शेर-ए-पंजाब’ महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में, जब पंजाब एक सशक्त राज्य

शहीद भाई बाज सिंह: गुरु के सच्चे सैनिक की वीर गाथा

शहीद भाई बाज सिंह: गुरु के सच्चे सैनिक की वीर गाथा पूरे विश्व में अपने अद्वितीय युद्ध कौशल, शूरवीरता और इंसानियत के लिए सिखों ने सदैव जुल्म के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जब भारत में इस्लामीकरण की जबरदस्त कोशिश की जा रही थीं, तब शहीद बाज सिंह ने अपनी वीरता से तख्त पर बैठे फर्रुखसियर को

सरदार बोता सिंह और गरजा सिंह: अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक

सरदार बोता सिंह और गरजा सिंह: अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक मुगल सल्तनत के दौर में, जब सिख कौम पर अत्याचारों की पराकाष्ठा हो चुकी थी, उस समय के शासकों ने खालसा पंथ को जड़ से मिटाने की कसम खा ली थी। नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली जैसे लुटेरे जब-जब हिंदुस्तान को लूटकर

सरदार हरि सिंह नलवा: अद्वितीय वीरता और उच्च आदर्शों के प्रतीक

सरदार हरि सिंह नलवा: अद्वितीय वीरता और उच्च आदर्शों के प्रतीक सरदार हरि सिंह नलवा का जन्म सन् 1791 ई. में पंजाब के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में हुआ। उनके पिता गुरदयाल सिंह और माता धरम कौर की छत्रछाया में उनका बचपन बीता। मात्र सात वर्ष की आयु में पिता की शहादत ने उनके जीवन

खालसा राज के शिल्पकार: शेर-ए-पंजाब: महाराजा रणजीत सिंह

खालसा राज के शिल्पकार: शेर-ए-पंजाब: महाराजा रणजीत सिंह सिख इतिहास में अंकित गौरवशाली अध्यायों में से एक है शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह का स्वर्णिम शासनकाल, जिसे खालसा राज के नाम से जाना गया। इस राज की नींव शुकरचकिया मिसल के सरदार नोध सिंह जी के वंशजों द्वारा रखी गई थी, जिनके महान व्यक्तित्व और नेतृत्व