GURBANI AUR SIKH ITIHAS PART-1

अमर शहीद भाई दयाला जी

अमर शहीद भाई दयाला जी पुरातन ऐतिहासिक स्रोत भटवईयां मुल्तानी के अनुसार, भाई दयाल दास जी मुल्तान के जिला मुजफ्फरगढ़, तहसील परगना, अलीपुर के निवासी थे। वह जाति से चंद्रवंशी भारद्वाज पवार बीजेकै (बंजारे व्यापारी) थे। उनके परदादा का नाम भाई मूला जी, दादा जी का नाम भाई बल्लू जी, और पिता का नाम भाई […]

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श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का संक्षिप्त जीवन परिचय–

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का संक्षिप्त जीवन परिचय– भै काहू कउ देत नहि नहि भै मानत आन।।श्री गुरु तेग बहादुर जी का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, बलिदान और वैराग्य से अभिभूत था। उस कठिन समय में समाज के स्वाभिमान और आध्यात्मिक चेतना के विकास के लिये आपने वैरागमयी दार्शनिक वाणी की रचना कर,

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अमर शहीद भाई मती दास, भाई सती दास

अमर शहीद भाई मती दास, भाई सती दास अमर शहीद भाई मती दास और भाई सती दास के इतिहास को परिपेक्ष्य करे तो ज्ञात होता है की, ऐतिहासिक स्त्रोतों के अनुसार महाराजा दाहिर सेन के वंशज श्री गौतम दास जी थे, गौतम दास जी’ श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के समकालीन थे| जब गौतम

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भारतीय शास्त्रीय संगीत और गुरमत संगीत:एक तुलनात्मक अध्ययन

भारतीय शास्त्रीय संगीत और गुरमत संगीत: एक तुलनात्मक अध्ययन एक संगीतकार अपनी भाव भंगिमाओं को स्वर, ताल और लय के द्वारा प्रकट कर साकार करता है। गुरमत संगीत, भारतीय संगीत से इसलिये भिन्न है कि इसमें सिख गुरुओं ने अपनी सर्जनता और भावनाओं को प्रकट करने के लिए इसकी सृजना की है। निश्चित रूप से

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श्री गुरु ग्रंथ साहिब और भक्ति संगीत

श्री गुरु ग्रंथ साहिब और भक्ति संगीत ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ एक ऐसा पवित्र, अनोखा ग्रंथ है जिसमें अंकित सारी गुरुबाणी भक्ति संगीत पर आधारित है।‌ जिसे ‘गुरमत संगीत’ के नाम से भी पहचाना जाता है। ‘गुरमत संगीत’ का प्रारंभ सिक्ख धर्म के संस्थापक प्रथम गुरु ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ से हुआ

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सर्व कला समर्थ: धन्य-धन्य श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी

सर्व कला समर्थ: धन्य-धन्य श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी सृष्टि में अवतार स्वरूप महापुरुष, ईश्वर के समान माने जाते हैं और 16 कलाओं से संपन्न होते हैं। ऐसे महापुरुषों को सर्व कला संपूर्ण के नाम से सम्मानित किया जाता है। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की नौवीं ज्योत ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब

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श्री गुरु नानक देव साहिब जी और उनकी चार उदासी यात्राएँ

श्री गुरु नानक देव साहिब जी और उनकी चार उदासी यात्राएँ सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव साहिब जी द्वारा उनके जीवन काल में की गई चार उदासी यात्राओं का महान महत्व है। ‘उदासी’ शब्द का अर्थ है उपरामता या वैराग्य, जो सांसारिक सुख, भौतिक संसाधन, परिवार और मोह-ममता के

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हमारा पंजाबी सभ्याचार

हमारा पंजाबी सभ्याचार यदि पंजाबी सभ्याचार को सरल शब्दों में विश्लेषित करना हो तो हम कह सकते हैं कि संपूर्ण विश्व में जो ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के आचार–विचार, संस्कार और उपदेशों के अनुसार जीवन व्यतीत करने वाली संगत अर्थात ‘नानक नाम लेवा संगत’ जिसमें सिख, मोना पंजाबी, जाट, सिंधी समाज, नेगी सिख,

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महान संत श्री गुरु नानक देव जी: मानवता के पथ प्रदर्शक

महान संत श्री गुरु नानक देव जी: मानवता के पथ प्रदर्शक कलि तारण गुरु नानक आइआ।। भारत, जिसे विविधता में एकता की भूमि के रूप में जाना जाता है, सदियों से “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत का पालन करता आ रहा है। इस महान संस्कृति की बुनियाद में सिख धर्म और इसके महान संतों की अनमोल

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अकली किजै दान

अकली किजै दान लोक-कल्याण और परोपकार हेतु सात्विक और सेवा भाव की जो महती प्रेरणा श्री गुरु रामदास जी ने आत्मसात की, वही परोपकार की सात्विक प्रवृत्ति आज भी सिख श्रद्धालुओं में दृष्टिगत होती है। सिमरन, धर्मशालाओं का निर्माण, लंगर सेवा, अस्पताल एवं विद्यालयों का सृजन, तथा भव्य गुरु धामों का निर्माण इत्यादि| ये सभी

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