GURBANI AUR SIKH ITIHAS PART-1

कुर्बानी की अमिट मिसाल बेग़म ज़ेबुलनिशा

कुर्बानी की अमिट मिसाल बेग़म ज़ेबुलनिशा यदि हम सिख इतिहास का अवलोकन करें तो सिख धर्म के छठे गुरु, श्री गुरु हरगोविंद साहिब को जब जहाँगीर के द्वारा ग्वालियर के क़िले में क़ैद करके रखा गया था तो आप जी ने अपने विशेष प्रयासों से उस समय देश के 52 राजाओं को जो जहाँगीर की […]

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सरसा नदी की व्यथा

सरसा नदी की व्यथा स्नेही पाठकों,आज मैं आपके साथ अपने हृदय के उस अंधकारमय कोने को आपसे साझा कर रही हूं, जहाँ स्मृतियों की पीड़ा एक अमिट काले निशान के रूप में अंकित है। मेरा अस्तित्व, जो कभी एक गर्वीली नदी के रूप में प्रफुल्लित था, आज लज्जा और पश्चाताप की लहरों में डूबा हुआ

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चार साहिबजादे

चार साहिबजादे सिक्ख धर्म के गुरु साहिबानं ने अपने सिक्खों को जीने के मार्ग की जुगत ही नहीं सिखाई अपितु सर्वप्रथम उन्होंने स्वयं प्रदित शिक्षाओं का अनुसरण भी किया। गुरु साहिबानं ने स्पष्ट किया कि यदि मन आंतरिक और बाहरी तौर पर परिपक्व है तो ही आप आध्यात्मिक विकास की और अग्रसर हो सकते हैं।

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समर्पण और त्याग की मूर्ति जगत् माता गुजरी जी

समर्पण और त्याग की मूर्ति जगत् माता गुजरी जी सो किउ मंदा आखीऐ जितु जंमहि राजान॥(अंग क्रमांक 473) यदि किसी देश, धर्म या कौम के इतिहास को अवलोकित करना हो तो उसका आधार उस स्थान पर विकसित समाज पर निर्भर करता है और उस समाज का आधार होता है उस स्थान पर निवास करने वाले

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कुर्बानी की अमिट मिसाल बेग़म ज़ेबुलनिशा

कुर्बानी की अमिट मिसाल बेग़म ज़ेबुलनिशा यदि हम सिख इतिहास का अवलोकन करें तो सिख धर्म के छठे गुरु, श्री गुरु हरगोविंद साहिब को जब जहाँगीर के द्वारा ग्वालियर के क़िले में क़ैद करके रखा गया था तो आप जी ने अपने विशेष प्रयासों से उस समय देश के 52 राजाओं को जो जहाँगीर की

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भाई कृपा सिंह जी दत्त की महान शहादत

भाई कृपा सिंह जी दत्त की महान शहादत इतिहास में पंडित कृपाराम जी दत्त का ज़िक्र ज़्यादा करके श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के इतिहास के साथ सारगर्भित किया जाता है। यदि इस इतिहास को संदर्भित किया जाये तो 25 मई सन् 1675 ई. को 16 कश्मीरी पंडितों का एक शिष्टमंडल पंडित कृपाराम जी के

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भाई मोतीराम जी मेहरा की अमर शहीदी

भाई मोतीराम जी मेहरा की अमर शहीदी ऐसा कहा जाता है कि जिस बाग का माली बेईमान हो जाए उसके फूल भी नहीं और फल भी नहीं! जो बकरी शेर की गुफा में प्रवेश कर जाए, उसकी हड्डी भी नहीं और खाल भी नहीं! वैसे ही जो कौम अपनी विरासत अपना इतिहास भूल जाए, वह

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गुरु का महान सेवादार दीवान टोडरमल

गुरु का महान सेवादार दीवान टोडरमल श्री गुरु नानक देव जी की नौवीं ज्योत श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जब लोक-कल्याण हेतु संपूर्ण देश की यात्रा कर रहे थे तो उस समय गुरु पातशाह जी अपने समस्त सेवादारों और जत्थे समेत सूबा पंजाब के ग्राम काकड़ा की धरती को अपने पवित्र चरणों से चिन्हित कर,

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सिख योध्दा भाई बचित्तर सिंह जी

सिख योध्दा भाई बचित्तर सिंह जी साधारण क़द काठी के, ग़ज़ब के फुर्तीले, चुस्त-चालाक, चतुर और चोटी के सूरमा, महान शूरवीर योद्धा, दिलेर भाई बचित्तर सिंह का जन्म भाई मणी सिंह जी के गृह में 12 अप्रैल सन् 1663 ई. को ग्राम अलीपुर ज़िला मुजफ़्फरनगर में हुआ था। आप भाई माई दास जी के पोते

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सिख वीरांगना बीबी हरशरण कौर पाबला

सिख वीरांगना बीबी हरशरण कौर पाबला महला 1॥भंडि जंमीऐ भंडि निंमिऐ भंडि मंगणु वीआहु॥भंडहु होवै दोसती भंडहु चलै राहु॥भंडु मुआ भंडु भालीऐ भंडि हौवे बंधानु॥सो किउ मंदा आखिऐ जितु जंमहि राजान॥भंडहु ही भंडु ऊपजै भंडै बाझु न कोइ॥नानक भंडै बाहरा एको सचा सोइ॥जितु मुखि सदा सालाहीऐ भागा रती चारि॥नानक ते मुख ऊजले तितु सचै दरबारि॥(अंग

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