Gurbani and sikh ithas-गुरुवाणी और सिख इतिहास

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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और स्त्री सम्मान

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ (अद्वितीय सिख विरासत/गुरबाणी और सिख इतिहास,टीम खोज–विचार की पहेल)| श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और स्त्री सम्मान  यदि किसी देश, धर्म या कौम के इतिहास को परिपेक्ष्य करना हो तो उसका आधार उस स्थान पर विकसित समाज पर निर्भर करता है और उस समाज का आधार होता है उस स्थान पर […]

हमारा पंजाबी सभ्याचार

हमारा पंजाबी सभ्याचार ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) हमारा पंजाबी सभ्याचार यदि पंजाबी सभ्याचार को सरल शब्दों में विश्लेषित करना हो तो हम कह सकते हैं कि संपूर्ण विश्व में जो ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के आचार–विचार, संस्कार और उपदेशों के अनुसार जीवन व्यतीत करने वाली

हकु पराइआ नानका. . . .

हकु पराइआ नानका. . . . ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) हकु पराइआ नानका. . . .  हकु पराइआ नानका उसु सूअर उसु गाइ॥ गुरु पीरु हामा ता भरे जा मुरदारु न खाइ॥ गली भिसती ना जाईऐ छुटै सचु कमाइ॥ मारण पाहि हराम महि होई हलालु न जाइ॥

मेरे शब्द – मेरी विरासत

मेरे शब्द – मेरी विरासत मेरे अस्तित्व की असली पहचान मेरे द्वारा रचित शब्दों से ही है। यही शब्द मेरे स्मृतिशेष व्यक्तित्व को पुनः जीवित करेंगे। समय के बहाव में मेरा नाम विस्मृति की परतों में कहीं खो जाएगा, मेरा रूप-रंग धुंधला पड़ जाएगा, परंतु मेरे शब्द – मेरी चेतना के बिंब – मेरी सर्जनात्मक