Gurbani and sikh ithas-गुरुवाणी और सिख इतिहास

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दीपावली शुभ चिंतन

वो रसिक संगीत प्रेमी, जिनका अभ्यंग स्नान रामकली भटीयार ललित से होता है। सुबह दिवाली की फराल तोड़ी, देशकार, जौनपुरी से होती हो और भोजन बसंत मुखारी, सारंग गौड़ सारंग से होता हो एवं शाम की चाय भीमपलास, मुल्तानी, पटदीप से होती हो, दीप प्रज्वलन पुरिया मारवा श्री से होता हो, आतिशबाजी यमन, केदार, हमीर, […]

गुरु पंथ खालसा की सशक्त भुजा: निर्मल पंथ (संप्रदाय)

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) गुरु पंथ खालसा की सशक्त भुजा: निर्मल पंथ (संप्रदाय) गुरु पंथ ख़ालसा की सशक्त भुजा: निर्मल पंथ (संप्रदाय) निर्मल पंथ, ‘गुरु पंथ ख़ालसा’ की सशक्त भुजा, वास्तव में साधु, संत, महंत और विद्वानों का संप्रदाय है। इस संप्रदाय के गुरु सिखों ने पुरातन समय से

अनुभव लेखन–गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी: एक परिचय

ੴ सतिगुर प्रसादि॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) अनुभव लेखन–गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी: एक परिचय अनुभव लेखन— चरन चलउ मारगि गोबिंद॥ मिटहि पाप जपीऐ हरि बिंद॥ (अंग क्रमांक 281) अर्थात् अपने चरणों से गोविंद के मार्ग पर चलो। एक क्षण भर के लिए भी हरि का जाप करने से पाप मिट जाते हैं।

जीवन के रंग-गुरुवाणी के संग

ੴ सतिगुर प्रसादि॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) जीवन के रंग-गुरुवाणी के संग ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) विश्व में सिख धर्म को सबसे आधुनिक धर्म माना गया है। सिख धर्म एक मार्शल धर्म भी है। ऐसी क्या विशेषता है इस धर्म की? जो सिख धर्म के अनुयायी

हरि नामु पदारथु नानकु माँगै॥

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥प्रासंगिक– (टीम खोज–विचार की पहेल) तेरा कीआ मीठा लागै॥ हरि नामु पदारथु नानकु माँगै॥ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ प्रासंगिक– (टीम खोज–विचार की पहेल) तेरा कीआ मीठा लागै॥ हरि नामु पदारथु नानकु माँगै॥ शहीदों के सरताज, ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ के शहीदी दिवस पर विशेष– शहीदों के सरताज, महान शांति के

दिल्ली फतेह दिवस विशेष–

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) जु लरै दीन के हेत सुरा सोई. . . सुरा सोई॥ गगन दमामा बाजिओ परिओ नीसानै घाउ॥ खेतु जु माँडिओ सूरमा अब जूझन को दाउ॥ सुरा सो पहचानिऐ जु लरै दिन के हेत॥ पुरजा पुरजा कटि मरै कबहू ना छाडै खेतु॥ जु लरै

गुरमत साहित्य के कोहिनूर: ज्ञानी ज्ञान सिंह जी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) प्रासंगिक— (ज्ञानी ज्ञान सिंह जी के 200वें वर्ष जन्मोत्सव पर विशेष)– गुरमत साहित्य के कोहिनूर: ज्ञानी ज्ञान सिंह जी (संक्षिप्त परिचय) सचै मारगि चलदिआ उसतति करे जहानु||         (अंग क्रमांक 136) अर्थात् संसार उनकी ही महिमा करता है जो सद्मार्ग पर विचरण करते है| गुरुवाणी की

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और निष्काम सेवा

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और निष्काम सेवा निष्काम सेवा सिख धर्म का प्रमुख अंग है, सद्विचारों और उच्च आचरण के पुरुष निष्काम सेवा में समर्पित हो सकते हैं। मानव जीवन के कल्याण हेतु की गई निष्काम सेवा ही प्रभु–परमेश्वर को पर्वान होती है। ‘श्री

मेरे अपने: वृक्ष

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) मेरे अपने: वृक्ष हमारी गृह निर्माण संस्था (सेंट्रल पार्क सोसाइटी कम्प पुणे) के परिसर में सुशोभित वृक्ष निश्चित ही मुझे ‘मेरे अपने’ से प्रतीत होते हैं, शायद इन वृक्षों से मेरा पारिवारिक संबंध है या यूं कह लें कि रक्त का रिश्ता है। एक कतार

लोहड़ी का इतिहास और महत्व

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल)प्रासंगिक– (लोहड़ी पर्व पर विशेष) लोहड़ी का इतिहास और महत्व भारत और पाकिस्तान की सरहद के दोनों और ही लोहड़ी का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास और आनंदमय वातावरण में मनाया जाता है। इस दिन से ही किसानों के द्वारा एक नई उमंग, नई चेतना और उत्साह