Gurbani and sikh ithas-गुरुवाणी और सिख इतिहास

इस अर्श.ब्लॉग/Arsh.Blog में टीम खोज-विचार के द्वारा के द्वारा समय-समय पर गुरवाणी और सिख इतिहास पर रचित लेखों का संकलन और संपादन किया गया हैं। इन रचित लेखों को Arsh.blog/अर्श.ब्लॉग के माध्यम से सहजता से पाठकों के लिए उपलब्ध होता हैं।
In this Arsh.Blog, articles written on Gurvani and Sikh history have been compiled and edited from time to time by team Khoj-Vichar. These written articles are easily available to the readers through Arsh.blog/अर्श.ब्लॉग

सिख वीरांगना: बीबी हरशरण कौर पाबला

ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) सिख वीरांगना: बीबी हरशरण कौर पाबला महला 1॥ भंडि जंमीऐ भंडि निंमिऐ भंडि मंगणु वीआहु॥ भंडहु होवै दोसती भंडहु चलै राहु॥ भंडु मुआ भंडु भालीऐ भंडि हौवे बंधानु॥ सो किउ मंदा आखिऐ जितु जंमहि राजान॥ भंडहु ही भंडु ऊपजै भंडै बाझु न कोइ॥ […]

कुर्बानी की अमिट मिसाल: बेगम ज़ेबुलनिशा

ੴसतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) कुर्बानी की अमिट मिसाल: बेगम ज़ेबुलनिशा यदि हम सिख इतिहास को परिप्रेक्ष्य करें तो सिख धर्म के छठे गुरु ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ को जब जहांगीर के द्वारा ग्वालियर के किले में क़ैद रखा गया था तो आप जी ने अपने विशेष प्रयासों

अमर शहीद भाई मोतीराम जी मेहरा

अमर शहीद भाई मोतीराम जी मेहरा ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) ऐसा कहा जाता है कि जिस बाग का माली बेईमान हो जाए उसके फूल भी नहीं और फल भी नहीं! जो बकरी शेर की गुफा में प्रवेश कर जाए उसकी हड्डी भी नहीं और खाल भी नहीं!

समर्पण और त्याग की मूर्ति: जगत् माता गुजरी जी

समर्पण और त्याग की मूर्ति: जगत् माता गुजरी जी ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) सो किउ मंदा आखीऐ जितु जंमहि राजान॥ यदि किसी देश, धर्म या कौम के इतिहास को परिपेक्ष्य करना हो तो उसका आधार उस स्थान पर विकसित समाज पर निर्भर करता है और उस समाज

चार साहिबज़ादे

चार साहिबज़ादे ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) सिख धर्म के गुरु साहिबान ने अपने सिखों को जीने के मार्ग की जुगत ही नहीं सिखाई अपितु सर्वप्रथम उन्होंने स्वयं प्रदान की हुई शिक्षाओं का अनुसरण भी किया। गुरु साहिबान ने स्पष्ट किया कि यदि मन आंतरिक और बाहरी तौर

इंसानियत की जमीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी।

इंसानियत की जमीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ੴ सतिगुर प्रसादि॥(टीम खोज-विचार की पहेल)चलते-चलते. . . . प्रासंगिक– सिक्ख धर्म के नौवी पातशाही ‘धर्म की चादर, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के 347वें शहीदी पर्व पर टीम ‘खोज-विचार’ की और से विशेष रुप से प्रस्तुत लेख को प्रकाशित किया जा रहा

‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के 553वें प्रकाश पर्व को समर्पित–

ੴसतिगुर प्रसादि॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) श्री गुरुनानक देव साहिब जी और मोदी खाना व्हाट्सएप विश्वविद्यालय में अक्सर कुछ वीडियो क्लिप देखने में मिलते है। जिसमें पंजाब के सिख सेवादार दवाइयों की दुकान को ‘मोदी ख़ाने’ के रूप में प्रदर्शित कर ‘मोदी ख़ाने’ के महत्व को समझा रहे हैं। ‘मोदी ख़ाना’ ‘श्री गुरु

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरता गद्दी दिवस पर विशेष–

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) प्रासंगिक— श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरता गद्दी दिवस पर विशेष– संपूर्ण सृष्टि के गुरु श्री ग्रंथ साहिब जी— बाणी गुरु गुरु है बाणी विचि बाणी अंम्रित सारे॥ गुरु कहै सेवकु जनु मानै परतखि गुरु निसतारे॥       (अंग क्रमांक 982) अर्थात् वाणी गुरु

भाई धन्ना सिंह चहल (पटियालवी): सायकल यात्री और लेखक-

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) भाई धन्ना सिंह चहल (पटियालवी): सायकल यात्री और लेखक- चरन चलउ मारगि गोविंद॥ मिटहि पाप जपीऐ हरि बिंद॥ कर हरि करम स्रवनि हरि कथा॥ हरि दरगह नानक ऊजल मथा॥           (अंग क्रमांक 281) अर्थात् अपने चरणों से गोविंद के मार्ग पर चलो, एक क्षण के लिये

प्रासंगिक– श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व पर विशेष

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) धंनु धंनु रामदास गुरु जिनि सिरिआ तिनै सवारिआ|| प्रासंगिक— श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व पर विशेष- धंनु धंनु रामदास गुरु जिनि सिरिआ तिनै सवारिआ||            (अंग क्रमांक 968) सिख धर्म के चौथे गुरु ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की ज्योत  ‘श्री गुरु रामदास