सफर ए पातशाही नौवीं

सफर ए पातशाही नौवीं

प्रसंग क्रमांक 53: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार के समय ग्राम नौलखा का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपने पूरे परिवार और प्रमुख सिखों सहित धर्म प्रचार-प्रसार की यात्राएं निरंतर कर रहे थे। इस यात्रा के तहत गुरु जी पटियाला शहर के समीप नौलखा नामक स्थान पर पहुंचे थे। जब गुरु जी इस ग्राम में पधारे तो आसपास के इलाके की संगत श्रद्धा-भावना से आपके सम्मुख उपस्थित […]

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प्रसंग क्रमांक 51: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम बीबीपुर खुर्द, ग्राम बुधमुर एवं ग्राम कराह का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम ननहेड़ी से चलकर ग्राम बीबीपुर खुर्द नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस ग्राम में गुरु जी की स्मृति में ग्राम के बाहर की और भव्य गुरुद्वारा साहिब जी सुशोभित है। इस गुरुद्वारा साहिब जी की हदूद (परिसर) में एक कुआं भी स्थित है। गुरु जी की इस धर्म

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प्रसंग क्रमांक 52: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम लैहल (वर्तमान समय में पटियाला शहर) का इतिहास।

 ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ धर्म प्रचार-प्रसार हेतु लगातार विभिन्न ग्रामों की यात्रा कर रहे थे। आम लोगों के कल्याण हेतु आप जी लोगों को नाम-वाणी से जोड़ते थे। उन ग्रामों के भ्रमण का नक्शा तैयार किया जाता था और ग्रामों में धर्म का प्रचार-प्रसार कर गुरु जी अपने धर्म प्रचार-प्रसार के केंद्र बिंदु

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प्रसंग क्रमांक 48: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने बहादुर गढ़ में कैसे चौमासा (वर्षा ऋतु के चार महीने) बिताये थे? इसका संपूर्ण इतिहास।

जब’ श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के अंतर्गत सैफाबाद नामक स्थान पर पहुंचे थे तो वहां के नवाब सैफुद्दीन बड़ी ही आत्मीयता और आदर-सम्मान पूर्वक गुरु जी को अपने महल में निवास के लिए लेकर गये थे। जब महल के समीप पहुंचकर गुरु जी ने निकट ही एक मस्जिद को

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प्रसंग क्रमांक 49: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम महमदपुर जट्टा, ग्राम रायपुर, ग्राम सील, ग्राम शेखुपुरा, ग्राम हरपालपुर नामक स्थानों पर पहुंचे थे। इन समस्त ग्रामों का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने नवाब सैफुद्दीन के महल में चौमासा का समय व्यतीत कर अपने गुरु परिवार और साथ में जुड़ी हुई संगत के साथ अपनी भविष्य की यात्रा हेतु चल पड़े थे। सर्वप्रथम गुरु जी बहादुरगढ़ से चलकर ग्राम महमदपुर जट्टां नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम महमदपुर जट्टां पर मुख्य

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प्रसंग क्रमांक 50: श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी’ की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम हसनपुर-कबुलपुर एवम् ग्राम ननहेड़ी का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के दौरान पूरे परिवार और संगत के साथ हरपालपुर से चलकर ग्राम हसनपुर-कबूलपुर नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम हसनपुर-कबुलपुर दो सगे भाइयों के नाम पर आबाद हुआ है। इन दोनों भाइयों का नाम हसन और कबूल था। हसन के नाम पर ग्राम हसनपुर एवं

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प्रसंग क्रमांक 47: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय बहादुर गढ़ (सैफाबाद) का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम उगाणी से चलकर सैफाबाद नामक स्थान पर पहुंचे थे। वर्तमान समय में यह स्थान बहादुर गढ़ के नाम से जाना जाता है। बहादुर गढ़ नामक स्थान बिल्कुल पटियाला शहर के समीप स्थित है। पटियाला शहर उस समय तक आबाद नहीं हुआ था। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी

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प्रसंग क्रमांक 46: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम उगाणी साहिब का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने ग्राम भंगराना में संगत को नाम-वाणी से जोड़कर सिक्खी का बूटा प्रफुल्लित कर आप जी ग्राम उगाणी नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम उगाणी राजपुरा नगर के समीप है। इसे ग्राम उगाणा साहिब जी भी कह कर संबोधित किया जाता है। इस ग्राम में गुरु जी की स्मृति

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प्रसंग क्रमांक 45: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम मकारुपुर और ग्राम भंगड़ाना का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपने पूरे परिवार और जत्थे के साथ ग्राम रैली से चलकर ग्राम मुकारूपुर नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस ग्राम के बाहर पानी के झरने के स्त्रोत के समीप तंबू और कनाते स्थापित कर गुरु जी के जत्थे की निवास की उत्तम व्यवस्था की गई थी। इस स्थान पर

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प्रसंग क्रमांक 44: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम रैलों का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने जब ग्राम ‘नंदपुर कलोड़’ में निवास किया था और स्थानीय संगत को एकजुट कर इस स्थान पर पर्यावरण को समतौल रखने हेतु बहुत बड़े पैमाने पर ग्राम के निकट चारों और उथली मिट्टी की भराई करवा कर पेड़ों को रोपण कर घने जंगलों का निर्माण किया था। कारण

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