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प्रसंग क्रमांक 33 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित ग्राम हकीमपुर का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ हजारा नामक ग्राम से चलकर बंगा नामक स्थान से गुजरते हुए आप जी हकीमपुर नामक ग्राम में पधारे थे। हकीमपुर ग्राम, ‘हजारा’ नामक ग्राम से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बंगा नामक स्थान से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस हकीमपुर ग्राम में ‘श्री […]

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प्रसंग क्रमांक 31: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित भैणी नगर का इतिहास।

पुरातन समय सेखेमकरण से चलकर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ भैणी नगर नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस नगर का नाम भैणी है। ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ भी इस नगर में पधारे थे। उस समय इस नगर के चौधरी श्री दाना संधू जी और उनकी पत्नी माता सुखां जी ने उनकी सेवा

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प्रसंग क्रमांक 32: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित ग्राम हजारा का इतिहास।

पुरातन समय सेखेमकरण से चलकर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ भैणी नगर नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस नगर का नाम भैणी है। ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ भी इस नगर में पधारे थे। उस समय इस नगर के चौधरी श्री दाना संधू जी और उनकी पत्नी माता सुखां जी ने उनकी सेवा

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प्रसंग क्रमांक 30 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित खेमकरण नगर का इतिहास।

 ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ तरनतारन, खंड़ूर साहिब से चलकर ग्राम खेमकरण नामक स्थान पर पहुंचे थे। खेमकरण नगर राय  बहादुर  बिधि चंद के पुत्र खेमकरण ने बसाया था। वर्तमान समय में भी खेमकरण स्थित हवेली के कुछ अवशेष इस स्थान पर शेष है। यह ऐतिहासिक हवेली की धरोहर गुरुद्वारा चैन साहिब के निकट

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प्रसंग क्रमांक 29 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित उनके पैतृक (जद्दी) ग्राम का इतिहास।

ग्राम घुकेवाली से चलकर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ तरनतारन साहिब नामक स्थान पर पहुंचे थे। तरनतारन साहिब ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ के कर-कमलों से बसाया हुआ नगर है। इस स्थान पर ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ ने एक सरोवर का निर्माण करवाया था। इसी स्थान पर ‘श्री गुरु अर्जन देव

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प्रसंग क्रमांक 28 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित ग्राम घुकेवाली का इतिहास।

 ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम वल्ले नामक स्थान से मार्गस्थ होकर ग्राम ‘घुकेवाली’ नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम ‘घुकेवाली’ अजनाला रोड पर ग्राम कुकड़ावाली और ग्राम फतेहगढ़ चूड़ियां के पास पंजाब में स्थित है। ग्राम ‘घुकेवाली’ ग्राम वल्ले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान को ग्राम ‘सहंसरी’

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प्रसंग क्रमांक 27 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित ग्राम वल्ले का इतिहास।

22 नवंबर सन् 1664 ई. को ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अमृतसर पहुंचे थे। आप जी का दरबार साहिब में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। आप जी ‘दरबार साहिब के बाहर बने हुए थडे़ पर विराजमान हुए थे। वर्तमान समय में इस स्थान पर गुरुद्वारा ‘थडा साहिब’ स्थित है। इस स्थान से प्रस्थान

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प्रसंग क्रमांक 26 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित माता हरो जी का इतिहास।

22 नवंबर सन् 1664 ई. को गुरु जी अपने पूरे परिवार को और काफिले के साथ ‘बाबा बकाले’  से प्रस्थान कर के ग्राम कालेके, तसरिका और लेहल से मार्गस्थ होकर शाम को दरबार साहिब अमृतसर में पहुंचे थे।  दरबार साहिब में हरि जी के मसंदों के द्वारा गुरु जी का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था।

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प्रसंग क्रमांक 25 : श्री गुरू तेग बहादुर साहिब जी का दरबार साहिब में प्रवेश के प्रतिबंध का इतिहास।

22 नवंबर सन् 1664 ई. को ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए ‘बाबा-बकाला’ नामक स्थान से प्रस्थान कर गए थे। इस यात्रा में आप जी अपने काफिले के साथ ग्राम ‘कालेके’ नामक स्थान पर पहुंचे थे। आप जी इस स्थान से प्रस्थान करते हुए ग्राम ‘तसरिका’ नामक स्थान पर पहुंचे

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प्रसंग क्रमांक 24: गुरता गद्दी के पश्चात श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी का प्रथम अमृतसर प्रयाण का इतिहास।

11 अगस्त सन् 1664 ई. के दिवस ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ को गुरता गद्दी का तिलक सुशोभित किया गया था। दो महीने पश्चात 9 अक्टूबर सन् 1664 ई. के दिवस भाई मक्खन शाह लुबाना के द्वारा सच्चे गुरु की खोज के पश्चात गुरु लादो रे! गुरु लादो रे! ऐसी घोषणा दी गई थी।

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