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प्रसंग क्रमांक 42: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम मानपुर का इतिहास।

रोपड़ नामक स्थान के निकट ग्राम दुगरी से होते हुए ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ कोटली से गुजरकर मानपुर नामक स्थान पर पहुंचे थे। मानपुर रोड पर ‘गुरुद्वारा पातशाही नौवीं’ सुशोभित है। इस स्थान पर गुरु जी से संबंधित अधिक इतिहास की जानकारी उपलब्ध नहीं है। गुरु जी ने अपने चरण-चिन्हों से स्पर्श कर […]

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प्रसंग क्रमांक 43: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम नंदपुर कलोड़ का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम घड़ोंवां से चलकर ग्राम नंदपुर कलोड़ नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस स्थान पर गुरु साहिब जी की एक बीबी (महिला सेवादार) के निवास स्थान पर निवास की उत्तम व्यवस्था की गई थी। गुरु जी का आगमन होते ही दूर-दराज की संगत गुरु जी के दर्शन-दीदार के लिए

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प्रसंग क्रमांक 41: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के प्रथम पड़ाव का इतिहास।

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी द्वारा आयोजित धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए यात्रा की पूर्ण तैयारी ‘चक नानकी’ नामक नगर में हो चुकी थी। संगत ने अमृत वेले (ब्रह्म मुहूर्त) में पाठकर ‘अरदास’ के पश्चात् कड़ाह प्रशादि की देग को उपस्थित श्रद्धालुओं में बांटा गया था। ‘चक नानकी’ नगर कि संगत ने गुरु जी

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प्रसंग क्रमांक 40: श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी का धर्म प्रचार-प्रसार हेतु देशाटन की तैयारी का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के द्वारा ‘चक नानकी’ नामक नवीन नगर को आबाद किया गया था। इस नगर को वर्तमान समय में श्री आनंदपुर साहिब जी नगर नाम से भी संबोधित किया जाता है। गुरु जी ने इस स्थान पर कुछ प्रमुख सिखों को इस नगर निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी और आप

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प्रसंग क्रमांक 39: चक नानकी नगर के निर्माण (उसारी) के समय श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी और पीर मूसा रोपड़ी के मध्य हुये वार्तालाप का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने माखोवाल की धरती पर अपनी माता जी के नाम पर मोहरी गड्ड (नींव का पत्थर रखकर) ‘चक नानकी’ नामक नगर को आबाद किया था। नगर का निर्माण कार्य बहुत तेजी से हो रहा था। इस नगर में सुंदर निवास, आलीशान महल, व्यापारिक प्रतिष्ठान, कारोबार हेतु दुकानों का निर्माण

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प्रसंग क्रमांक 38: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित चक नानकी नगर के निर्माण (उसारी) का इतिहास।

19 जून सन् 1665 ई. के दिवस गुरु जी अपने संपूर्ण परिवार और संगत के साथ ग्राम ‘सहोटा’ के ऊंचे टीले पर पहुंच गए थे। इस स्थान पर गुरु जी और संगत के सहयोग से अमृत वेले (ब्रह्म मुहूर्त) में कीर्तन किया गया था। साथ ही कड़ाह प्रसाद की देग तैयार की गई थी। इस

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प्रसंग क्रमांक 37: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित केहलूर के पहाड़ी राजा दीप चंद और रानी चंपा का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के पिता ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ जिन्हें ‘दाता बंदी छोड़’ शब्द से विभूषित किया गया था कारण इतिहास गवाह है कि शहंशाह जहांगीर ने देश के 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में कैद किया था। इन राजाओं के आजाद होने की कोई उम्मीद नहीं थी। ‘श्री गुरु

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प्रसंग क्रमांक 36: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित कीरतपुर साहिब का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ सन् 1644 ई. में ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ के आदेशानुसार अपनी माता नानकी जी और पत्नी माता गुजरी जी के साथ ‘बाबा-बकाला’ नामक ग्राम में निवास हेतु चले गए थे। सन् 1665 ई. में गुरु जी का सहपरिवार कीरतपुर साहिब में पुनरागमन हुआ था अर्थात् सन् 1644 ई.

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प्रसंग क्रमांक 35: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित नवां शहर का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ‘चक गुरु का’ नामक स्थान से चलकर बंगा नामक स्थान से गुजरते हुए लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर गुरु जी का नवांशहर नामक स्थान पर आगमन हुआ था। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ॰ सुखदयाल सिंह जी (पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला) रचित पुस्तक श्री गुरु तेग बहादुर मार्ग के पृष्ठ क्रमांक 34

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प्रसंग क्रमांक 34: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित चक गुरु का नामक स्थान का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब’ जी ‘हकीमपुर’ से चलकर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर आप जी ने स्वयं का नवीन निवास स्थान निर्माण किया था। इस स्थान पर गुरु जी पहले भी पधार चुके थे। गुरु जी छप्पर वाले निवास स्थान को निवास के लिए प्राथमिकता देते थे। उस समय में वर्तमान समय के

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