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प्रसंग क्रमांक 63: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित ग्राम गुरना, ग्राम लेहल कला, ग्राम मकरोंड और ग्राम महासिंह वाला का इतिहास।

इस प्रस्तुत श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 63 के अंतर्गत ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा हेतु ग्राम गुरना, ग्राम लेहल कला,ग्राम मकरोडं और ग्राम महासिंह वाला नामक स्थानों पर पहुंचे थे। इस पूरे इतिहास से संगत (पाठकों) को अवगत कराया जाएगा। ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम गागा नामक स्थान […]

प्रसंग क्रमांक 63: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित ग्राम गुरना, ग्राम लेहल कला, ग्राम मकरोंड और ग्राम महासिंह वाला का इतिहास। Read More »

प्रसंग क्रमांक 62: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित मालवा प्रांत के ग्राम कमालपुर, ग्राम खनाल, ग्राम दिड़बा, ग्राम शामली और ग्राम गागा का इतिहास।

इस प्रस्तुत श्रृंखला के अंतर्गत श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा हेतु मालवा प्रांत के ग्राम कमालपुर, ग्राम खनाल,ग्राम दिड़बा, ग्राम शामली और ग्राम गागा नामक स्थानों पर पहुंचे थे। इस पूरे इतिहास से संगत (पाठकों) को अवगत कराया जाएगा। ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ मालवा प्रांत के विभिन्न ग्रामों

प्रसंग क्रमांक 62: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित मालवा प्रांत के ग्राम कमालपुर, ग्राम खनाल, ग्राम दिड़बा, ग्राम शामली और ग्राम गागा का इतिहास। Read More »

प्रसंग क्रमांक 61: श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित ग्राम घराचों, ग्राम नागरे एवं ग्राम टल घनोड़ का इतिहास।

इस प्रस्तुत श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 61 में ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के अंतर्गत ग्राम घरांचों, ग्राम नागरे एवं ग्राम टल घनोड़ नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस पूरे इतिहास से संगत को इस प्रसंग के अंतर्गत अवगत करवाया जाएगा। इस श्रृंखला के पिछले प्रसंगों में इतिहास के उन

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प्रसंग क्रमांक 60: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम ढोडें का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के तहत ग्राम आलोअरख से चलकर ग्राम ढोडें नामक स्थान पर पहुंचे थे। वर्तमान समय में ग्राम ढोडें को भवानी गढ़ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। भवानी गढ़ एक बड़ा नगर है और इससे लगभग दो कोस की दूरी पर ही आलोअरख

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प्रसंग क्रमांक 59: श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम काकड़ा एवं ग्राम आलोअरख का इतिहास|

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के अंतर्गत सहपरिवार अपने 300 प्रमुख सिखों के साथ ग्राम रामगढ़ बौड़ा से चलकर गुनीके नामक स्थान से होते हुए ग्राम काकडा़ की धरती पर पहुंचकर अपना निवास स्थापित किया था। इस स्थान पर एक नीम का वृक्ष था। इस नीम के वृक्ष के नीचे

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प्रसंग क्रमांक 58: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम थूही एवं ग्राम रामगढ़ बौड़ा का इतिहास।

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्राओं के अंतर्गत ग्राम रोहटा से प्रस्थान कर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम थूही नामक स्थान पर पहुंचे थे। पुरातन ऐतिहासिक संदर्भों और स्रोतों का अध्ययन करने से यह तो ज्ञात होता है कि गुरु जी इस स्थान पर पधारे थे परंतु हमारी

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प्रसंग क्रमांक 57: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम रोहटा का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम धंगेड़ा और ग्राम अगोल से चलकर ग्राम रोहटा में पधारे थे। यह ग्राम रोहटा, ग्राम अगोल से 12 किलोमीटर दूरी पर और पटियाला से लगभग 23 किलोमीटर दूरी पर एवं शहर नाभा से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस ग्राम के बाहर एक सुंदर-रमणीय स्थान पर

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प्रसंग क्रमांक 56: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम धंगेडा़ एवं ग्राम अगोल का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम सिम्बडों से चलकर ग्राम धंगेड़ा नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस स्थान पर गोकुल नामक बालक ने गुरु जी की समर्पित भाव से सेवा की थी। वर्तमान समय में गुरु जी की स्मृति में बहुत सुंदर और विलोभनीय गुरुद्वारा साहिब पातशाही नौवीं इस स्थान पर सुशोभित है। पुरातन

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प्रसंग क्रमांक 55: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम टहलपुरा, ग्राम आकड़ एवं ग्राम सिम्बडों का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम नौलखा से चलकर ग्राम लंग में पहुंचे थे। इस ग्राम लंग से पटियाला शहर के समीप ग्राम टहलपूरा में गुरु जी के इतिहास से संबंधित निशानियां इस स्थान पर मौजूद है। उस पुरातन समय में ग्राम टहलपूरा का कोई अस्तित्व नहीं था। इसके पश्चात प्रसिद्ध इतिहासकार भाई कान

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प्रसंग क्रमांक 54: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम लंग का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के तहत ग्राम लंग नामक स्थान पर सहपरिवार और प्रमुख सिखों के साथ पहुंचे थे। गुरु जी ने इस ग्राम लंग में जिस स्थान पर निवास किया था उस स्थान पर स्थित पुरातन ‘खिरनी’ का वृक्ष वर्तमान समय में भी स्थित है। ‘खिरनी’ का पेड़

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