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प्रसंग क्रमांक 3 : भावी श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की अद्भुत बाल लीलाओं से परिपूर्ण जीवन यात्रा।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ का प्रकाश 1 अप्रैल सन् 1621 ई. दिन रविवार को हुआ था और पिता श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी  के द्वारा आपका नामकरण ‘तेग बहादुर’ के नाम से किया गया था। कई ऐतिहासिक ग्रंथों और संदर्भों में आप जी को ‘त्यागमल’  कहकर भी संबोधित किया गया है परंतु बचपन […]

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प्रसंग क्रमांक 2 : श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी की जीवन यात्रा एवं भावी श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश।

सिख धर्म के चौथे गुरु “श्री रामदास साहिब जी’ के द्वारा ‘गुरु के महल’ का निर्माण किया गया था। इस निवास स्थान पर ‘गुरु अर्जन देव साहिब जी’ का बचपन में जीवन व्यतीत हुआ था। यही वो ऐतिहासिक भवन है,  जहां पर ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ का परिणय बंधन हुआ था।  इसी ऐतिहासिक स्थान

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प्रसंग क्रमांक 1:’श्री गुरु रामदास साहिब जी’ से श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी तक की जीवन यात्रा

प्रसंग क्रमांक 1:’श्री गुरु रामदास साहिब जी’ से श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी तक की जीवन यात्रा सन् 1534 ई. में सिख धर्म के चौथे ‘श्री गुरु रामदास साहिब जी’ का प्रकाश हुआ था। आप जी के माता-पिता जी का स्वर्गवास बचपन में ही हो गया था। बचपन से ही आप जी का पालन–पोषण आप

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सफर-ए-पातशाही नौवीं

सफर-ए-पातशाही नौवीं प्रस्तावना— संपूर्ण विश्व में सिख धर्म को सबसे आधुनिक धर्म माना जाता है। सिक्खों ने विश्व में अपनी सेवा, सिमरन, त्याग, इंसानियत और देश भक्ति के जज्बे से अपनी एक अलग विशेष पहचान ‘विश्व पटल’ पर निर्माण की है। इस मार्शल सिख कौम के स्वर्णिम-अनमोल इतिहास को आम जन समुदाय में पहुंचाने की

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