Ranjeet Singh

सतगुरु की सेवा सफल है

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार का पहेल) सतगुरु की सेवा सफल है ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) विगत वर्ष नवंबर में देहरादून से चंडीगढ़ की ओर अपनी कार से यात्रा कर रहा था। वैसे तो यह सफर केवल 4 से 5 घंटे का […]

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प्रकाश पर्व विशेष: बाबा श्री चंद जी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते-चलते. . . .(टीम खोज-विचार की पहेल) ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते . . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) प्रकाश पर्व विशेष: बाबा श्री चंद जी ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ और माता सुलखनी जी के ज्येष्ठ सुपुत्र बाबा श्री चंद मुनि जी का आविर्भाव संवत सन् 1551 भाद्रपद शुक्ला

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कायनात के गुरु: गुरु श्री ग्रंथ साहिब जी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) कायनात के गुरु: श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी संपूर्ण कायनात के गुरु, ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ की संपादना की महान सेवा सिख धर्म के संस्थापक प्रथम गुरु, ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ से ही प्रारंभ हो चुकी थी। ‘श्री गुरु नानक

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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में प्रकृति की महिमा

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में प्रकृति की महिमा वर्षा ऋतु के इन सावन–भादो के महीनों में प्रकृति ने धरती को अपनी गोदी में समेट कर चारों और एक हरियाली की चादर फैला दी है। रंग बिरंगे फूल और पत्तियां मानों जैसे इस

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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और स्त्री सम्मान

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ (अद्वितीय सिख विरासत/गुरबाणी और सिख इतिहास,टीम खोज–विचार की पहेल)| श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और स्त्री सम्मान  यदि किसी देश, धर्म या कौम के इतिहास को परिपेक्ष्य करना हो तो उसका आधार उस स्थान पर विकसित समाज पर निर्भर करता है और उस समाज का आधार होता है उस स्थान पर

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हमारा पंजाबी सभ्याचार

हमारा पंजाबी सभ्याचार ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) हमारा पंजाबी सभ्याचार यदि पंजाबी सभ्याचार को सरल शब्दों में विश्लेषित करना हो तो हम कह सकते हैं कि संपूर्ण विश्व में जो ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के आचार–विचार, संस्कार और उपदेशों के अनुसार जीवन व्यतीत करने वाली

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हकु पराइआ नानका. . . .

हकु पराइआ नानका. . . . ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) हकु पराइआ नानका. . . .  हकु पराइआ नानका उसु सूअर उसु गाइ॥ गुरु पीरु हामा ता भरे जा मुरदारु न खाइ॥ गली भिसती ना जाईऐ छुटै सचु कमाइ॥ मारण पाहि हराम महि होई हलालु न जाइ॥

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मेरे शब्द: मेरी विरासत

मेरे शब्द: मेरी विरासत मेरे द्वारा रचित शब्दों के संप्रेषण से ही मेरी पहचान है। मेरे शब्द ही मेरी धुंधली होती हुई यादों को पुनर्जीवित करेंगे। मेरा नाम तो कहीं खो जायेगा, शकल–सुरत मिट जायेगी, मेरे द्वारा रचित शब्द ही मेरी विरासत के रूप में अमर रहेंगे। जीवन की सांसों की डोर, इन शब्दों के

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ਪ੍ਰਸੰਗ ਨੰਬਰ 100: ਗੁਰੂ ਸ਼੍ਰੀ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ – ਪ੍ਰਸਾਰ ਯਾਤਰਾ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮਿਰਜ਼ਾਪੁਰ ਯੂਪੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ।

ਸਫ਼ਰ ਏ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ ਨੌਵੀਂ ਦੀ ਲੜੀ ਨੰ 99 ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਸ੍ਰਵਨ ਕੀਤਾ ਸੀ ਕਿ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਪਹੁੰਚਦੇ ਹਨ ਜਿੱਥੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਸੁਸ਼ੋਭਿਤ ਹੈ ਅਤੇ ਇੱਥੇ ਹੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਮਾਤਾ ਗੁਜਰ ਕੌਰ ਜੀ ਦੇ ਗਰਭ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ਸੀ ਇਸ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਸ੍ਰਵਨ

ਪ੍ਰਸੰਗ ਨੰਬਰ 100: ਗੁਰੂ ਸ਼੍ਰੀ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ – ਪ੍ਰਸਾਰ ਯਾਤਰਾ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮਿਰਜ਼ਾਪੁਰ ਯੂਪੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ। Read More »

प्रसंग क्रमांक 100: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित मिर्जापुर नामक स्थान का इतिहास ।

‘तहीं प्रकाश हमारा भयो पटना शहर बिखै भव लयो’॥ उपरोक्त पंक्तियों का इतिहास इलाहाबाद से संदर्भित है। जब ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ इलाहाबाद शहर में पधारे थे, उस समय के इस इतिहास को करुणा, कलम और कृपाण के धनी दसवीं पातशाही ‘श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी’ ने स्वयं की कलम से रचित

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