गुरमत साहित्य के कोहिनूर: ज्ञानी ज्ञान सिंह जी
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) प्रासंगिक— (ज्ञानी ज्ञान सिंह जी के 200वें वर्ष जन्मोत्सव पर विशेष)– गुरमत साहित्य के कोहिनूर: ज्ञानी ज्ञान सिंह जी (संक्षिप्त परिचय) सचै मारगि चलदिआ उसतति करे जहानु|| (अंग क्रमांक 136) अर्थात् संसार उनकी ही महिमा करता है जो सद्मार्ग पर विचरण करते है| गुरुवाणी की […]
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