Ranjeet Singh

गुरमत साहित्य के कोहिनूर: ज्ञानी ज्ञान सिंह जी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) प्रासंगिक— (ज्ञानी ज्ञान सिंह जी के 200वें वर्ष जन्मोत्सव पर विशेष)– गुरमत साहित्य के कोहिनूर: ज्ञानी ज्ञान सिंह जी (संक्षिप्त परिचय) सचै मारगि चलदिआ उसतति करे जहानु||         (अंग क्रमांक 136) अर्थात् संसार उनकी ही महिमा करता है जो सद्मार्ग पर विचरण करते है| गुरुवाणी की […]

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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और निष्काम सेवा

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और निष्काम सेवा निष्काम सेवा सिख धर्म का प्रमुख अंग है, सद्विचारों और उच्च आचरण के पुरुष निष्काम सेवा में समर्पित हो सकते हैं। मानव जीवन के कल्याण हेतु की गई निष्काम सेवा ही प्रभु–परमेश्वर को पर्वान होती है। ‘श्री

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मेरे अपने: वृक्ष

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल) मेरे अपने: वृक्ष हमारी गृह निर्माण संस्था (सेंट्रल पार्क सोसाइटी कम्प पुणे) के परिसर में सुशोभित वृक्ष निश्चित ही मुझे ‘मेरे अपने’ से प्रतीत होते हैं, शायद इन वृक्षों से मेरा पारिवारिक संबंध है या यूं कह लें कि रक्त का रिश्ता है। एक कतार

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लोहड़ी का इतिहास और महत्व

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार की पहेल)प्रासंगिक– (लोहड़ी पर्व पर विशेष) लोहड़ी का इतिहास और महत्व भारत और पाकिस्तान की सरहद के दोनों और ही लोहड़ी का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास और आनंदमय वातावरण में मनाया जाता है। इस दिन से ही किसानों के द्वारा एक नई उमंग, नई चेतना और उत्साह

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इंसानियत की जमीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . (गुरु श्री तेग बहादर साहिब जी के 346 शहीदी गुरु पर्व पर विशेष)– इंसानियत की जमीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी। वाहिगुरु जी का ख़ालसा, वाहिगुरु जी की फतेह। सिख धर्म के नौवें गुरु अर्थात् नौवीं पातशाही ‘धर्म की चादर, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब

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धन्य–धन्य गुरु श्री ग्रंथ साहिब जी और आजादी की अभिव्यक्ति

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और आजादी की अभिव्यक्ति ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार का उपक्रम) अप्रैल सन् 1699 ई. को बैसाखी दिवस पर करुणा, कलम और कृपाण के धनी, दशमेश पिता ‘श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी’ के द्वारा ‘गुरु पंथ ख़ालसा’ की सर्जना कर प्रथम पांच प्यारों को

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भेषी (भेखी) सिख, सिख को न मारे तो कौम कभी न हारे (भाग–2)

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ दीर्घ लेख चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) भेषी (भेखी) सिख, सिख को न मारे तो कौम कभी न हारे (भाग–2) (टीम खोज–विचार की पहेल) भेषी (भेखी) सिख, सिख को न मारे तो कौम कभी न हारे (भाग–2) इस लेख के भाग–2 में भेषी (भेखी) सिख और ‘गुरु पंथ

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भेषी (भेखी) सिक्ख, सिक्ख को न मारे तो कौम कभी न हारे (भाग-1)

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ दीर्घ लेख चलते–चलते. . . .(टीम खोज–विचार का उपक्रम) भेषी (भेखी) सिक्ख, सिक्ख को न मारे तो कौम कभी न हारे (भाग-1) (नोट— लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) में जो सिख किसान शहीद हुए, उन्हें समर्पित है यह लेख)। (टीम खोज–विचार की पहेल) ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ दीर्घ लेख चलते-चलते. . .

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शहीद

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते–चलते. . . . (टीम खोज–विचार की पहेल) शहीद (नोट— लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) में जो सिख किसान शहीद हुए, उन्हें समर्पित है यह लेख)। सलोक कबीर॥ गगन दमामा बाजिओ परिओ नीसानै घाउ॥ खेतु जु माँडिओ सूरमा अब जूझन को दाउ॥ सूरा सो पहिचानीऐ जु लरै दीन के हेत॥ पुरजा पुरजा

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गुरु घर की बरकत

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ अनुभव लेखन– चलते–चलते. . . (टीम खोज–विचार की पहेल) गुरु घर की बरकत ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ अनुभव लेखन चलते–चलते. . . (टीम खोज–विचार का उपक्रम) अपने संघर्ष के दिनों में नौकरी के सिलसिले में मुझे दुबई स्थित एक किराए की सदनिका में कुछ समय तक पाकिस्तानियों के साथ निवास करने

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