Ranjeet Singh

प्रसंग क्रमांक 7 : वैराग्य से अभिभूत श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी की विस्मय बोध युक्त जीवन यात्रा का इतिहास ।

भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी’ से आयु में दो वर्ष बड़े भ्राता का अचानक अकाल चलाना (निधन) कर गये थे। इस आकस्मिक घटित घटना का आपके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। सन् 1628 ई. में सिक्ख  धर्म के पांचवे गुरु ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ के ‘महल’ (सौभाग्यवती शब्द को गुरुमुखी […]

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प्रसंग क्रमांक ६ :गुरु श्री तेग बहादर साहिब जी के बडे़ भ्राता बाबा अटल जी की जीवन यात्रा का इतिहास।

‘बाबा अटल जी’ का जन्म सन् 1621 ई. में ‘माता नानकी जी’ के कोख से हुआ था। आप जी आयु में भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ से दो वर्ष बड़े थे। भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ का जन्म भी ‘माता नानकी जी’ की कोख से ही हुआ था अर्थात

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प्रसंग क्रमांक 5 : गुरु श्री तेग बहादुर साहिब जी द्वारा ग्रहण की गई उच्च शिक्षाओं का इतिहास ।

भावी ‘श्री गुरु तेग बहादुर जी’ की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा के लिए आपको दरबार साहिब के प्रथम हेड ग्रंथी ‘बाबा बुड्ढा जी’ के पास रमदास स्थित विद्यालय में भेजा गया था। इस स्थान पर ही ‘बाबा बुड्ढा जी’ ने सिख धर्म के पहले ‘श्री गुरु नानक देव जी’ से पांचवें  ‘श्री गुरु अर्जुन देव जी’ के

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प्रसंग क्रमांक 4 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी द्वारा ग्रहण की शिक्षाओं का इतिहास।

सिख धर्म में धार्मिक शिक्षाओं का अत्यंत महत्व है। यदि हम सिख धर्म के प्रथम गुरु ‘श्री गुरु नानक साहिब जी’ के समय से इतिहास का अध्ययन करें तो स्पष्ट होता है कि उस समय पाठशालाओं और मदरसों में बच्चों को शिक्षित किया जाता था। ‘श्री गुरु नानक साहिब जी’ ने पाठशाला में शिक्षा ग्रहण

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प्रसंग क्रमांक 3 : भावी श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की अद्भुत बाल लीलाओं से परिपूर्ण जीवन यात्रा।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ का प्रकाश 1 अप्रैल सन् 1621 ई. दिन रविवार को हुआ था और पिता श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी  के द्वारा आपका नामकरण ‘तेग बहादुर’ के नाम से किया गया था। कई ऐतिहासिक ग्रंथों और संदर्भों में आप जी को ‘त्यागमल’  कहकर भी संबोधित किया गया है परंतु बचपन

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प्रसंग क्रमांक 2 : श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी की जीवन यात्रा एवं भावी श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश।

सिख धर्म के चौथे गुरु “श्री रामदास साहिब जी’ के द्वारा ‘गुरु के महल’ का निर्माण किया गया था। इस निवास स्थान पर ‘गुरु अर्जन देव साहिब जी’ का बचपन में जीवन व्यतीत हुआ था। यही वो ऐतिहासिक भवन है,  जहां पर ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ का परिणय बंधन हुआ था।  इसी ऐतिहासिक स्थान

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प्रसंग क्रमांक 1:’श्री गुरु रामदास साहिब जी’ से श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी तक की जीवन यात्रा

प्रसंग क्रमांक 1:’श्री गुरु रामदास साहिब जी’ से श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी तक की जीवन यात्रा सन् 1534 ई. में सिख धर्म के चौथे ‘श्री गुरु रामदास साहिब जी’ का प्रकाश हुआ था। आप जी के माता-पिता जी का स्वर्गवास बचपन में ही हो गया था। बचपन से ही आप जी का पालन–पोषण आप

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सफर-ए-पातशाही नौवीं

सफर-ए-पातशाही नौवीं प्रस्तावना— संपूर्ण विश्व में सिख धर्म को सबसे आधुनिक धर्म माना जाता है। सिक्खों ने विश्व में अपनी सेवा, सिमरन, त्याग, इंसानियत और देश भक्ति के जज्बे से अपनी एक अलग विशेष पहचान ‘विश्व पटल’ पर निर्माण की है। इस मार्शल सिख कौम के स्वर्णिम-अनमोल इतिहास को आम जन समुदाय में पहुंचाने की

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