Ranjeet Singh

प्रसंग क्रमांक 37: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित केहलूर के पहाड़ी राजा दीप चंद और रानी चंपा का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के पिता ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ जिन्हें ‘दाता बंदी छोड़’ शब्द से विभूषित किया गया था कारण इतिहास गवाह है कि शहंशाह जहांगीर ने देश के 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में कैद किया था। इन राजाओं के आजाद होने की कोई उम्मीद नहीं थी। ‘श्री गुरु […]

प्रसंग क्रमांक 36: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित कीरतपुर साहिब का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ सन् 1644 ई. में ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ के आदेशानुसार अपनी माता नानकी जी और पत्नी माता गुजरी जी के साथ ‘बाबा-बकाला’ नामक ग्राम में निवास हेतु चले गए थे। सन् 1665 ई. में गुरु जी का सहपरिवार कीरतपुर साहिब में पुनरागमन हुआ था अर्थात् सन् 1644 ई.

प्रसंग क्रमांक 35: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित नवां शहर का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ‘चक गुरु का’ नामक स्थान से चलकर बंगा नामक स्थान से गुजरते हुए लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर गुरु जी का नवांशहर नामक स्थान पर आगमन हुआ था। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ॰ सुखदयाल सिंह जी (पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला) रचित पुस्तक श्री गुरु तेग बहादुर मार्ग के पृष्ठ क्रमांक 34

प्रसंग क्रमांक 34: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित चक गुरु का नामक स्थान का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब’ जी ‘हकीमपुर’ से चलकर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर आप जी ने स्वयं का नवीन निवास स्थान निर्माण किया था। इस स्थान पर गुरु जी पहले भी पधार चुके थे। गुरु जी छप्पर वाले निवास स्थान को निवास के लिए प्राथमिकता देते थे। उस समय में वर्तमान समय के

प्रसंग क्रमांक 33 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित ग्राम हकीमपुर का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ हजारा नामक ग्राम से चलकर बंगा नामक स्थान से गुजरते हुए आप जी हकीमपुर नामक ग्राम में पधारे थे। हकीमपुर ग्राम, ‘हजारा’ नामक ग्राम से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बंगा नामक स्थान से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस हकीमपुर ग्राम में ‘श्री

प्रसंग क्रमांक 31: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित भैणी नगर का इतिहास।

पुरातन समय सेखेमकरण से चलकर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ भैणी नगर नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस नगर का नाम भैणी है। ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ भी इस नगर में पधारे थे। उस समय इस नगर के चौधरी श्री दाना संधू जी और उनकी पत्नी माता सुखां जी ने उनकी सेवा

प्रसंग क्रमांक 32: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबधित ग्राम हजारा का इतिहास।

पुरातन समय सेखेमकरण से चलकर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ भैणी नगर नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस नगर का नाम भैणी है। ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ भी इस नगर में पधारे थे। उस समय इस नगर के चौधरी श्री दाना संधू जी और उनकी पत्नी माता सुखां जी ने उनकी सेवा

प्रसंग क्रमांक 30 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित खेमकरण नगर का इतिहास।

 ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ तरनतारन, खंड़ूर साहिब से चलकर ग्राम खेमकरण नामक स्थान पर पहुंचे थे। खेमकरण नगर राय  बहादुर  बिधि चंद के पुत्र खेमकरण ने बसाया था। वर्तमान समय में भी खेमकरण स्थित हवेली के कुछ अवशेष इस स्थान पर शेष है। यह ऐतिहासिक हवेली की धरोहर गुरुद्वारा चैन साहिब के निकट

प्रसंग क्रमांक 29 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित उनके पैतृक (जद्दी) ग्राम का इतिहास।

ग्राम घुकेवाली से चलकर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ तरनतारन साहिब नामक स्थान पर पहुंचे थे। तरनतारन साहिब ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ के कर-कमलों से बसाया हुआ नगर है। इस स्थान पर ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ ने एक सरोवर का निर्माण करवाया था। इसी स्थान पर ‘श्री गुरु अर्जन देव

प्रसंग क्रमांक 28 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित ग्राम घुकेवाली का इतिहास।

 ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम वल्ले नामक स्थान से मार्गस्थ होकर ग्राम ‘घुकेवाली’ नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम ‘घुकेवाली’ अजनाला रोड पर ग्राम कुकड़ावाली और ग्राम फतेहगढ़ चूड़ियां के पास पंजाब में स्थित है। ग्राम ‘घुकेवाली’ ग्राम वल्ले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान को ग्राम ‘सहंसरी’