Ranjeet Singh

प्रसंग क्रमांक 47: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय बहादुर गढ़ (सैफाबाद) का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम उगाणी से चलकर सैफाबाद नामक स्थान पर पहुंचे थे। वर्तमान समय में यह स्थान बहादुर गढ़ के नाम से जाना जाता है। बहादुर गढ़ नामक स्थान बिल्कुल पटियाला शहर के समीप स्थित है। पटियाला शहर उस समय तक आबाद नहीं हुआ था। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी […]

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प्रसंग क्रमांक 46: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम उगाणी साहिब का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने ग्राम भंगराना में संगत को नाम-वाणी से जोड़कर सिक्खी का बूटा प्रफुल्लित कर आप जी ग्राम उगाणी नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम उगाणी राजपुरा नगर के समीप है। इसे ग्राम उगाणा साहिब जी भी कह कर संबोधित किया जाता है। इस ग्राम में गुरु जी की स्मृति

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प्रसंग क्रमांक 45: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम मकारुपुर और ग्राम भंगड़ाना का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपने पूरे परिवार और जत्थे के साथ ग्राम रैली से चलकर ग्राम मुकारूपुर नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस ग्राम के बाहर पानी के झरने के स्त्रोत के समीप तंबू और कनाते स्थापित कर गुरु जी के जत्थे की निवास की उत्तम व्यवस्था की गई थी। इस स्थान पर

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प्रसंग क्रमांक 44: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम रैलों का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने जब ग्राम ‘नंदपुर कलोड़’ में निवास किया था और स्थानीय संगत को एकजुट कर इस स्थान पर पर्यावरण को समतौल रखने हेतु बहुत बड़े पैमाने पर ग्राम के निकट चारों और उथली मिट्टी की भराई करवा कर पेड़ों को रोपण कर घने जंगलों का निर्माण किया था। कारण

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प्रसंग क्रमांक 42: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम मानपुर का इतिहास।

रोपड़ नामक स्थान के निकट ग्राम दुगरी से होते हुए ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ कोटली से गुजरकर मानपुर नामक स्थान पर पहुंचे थे। मानपुर रोड पर ‘गुरुद्वारा पातशाही नौवीं’ सुशोभित है। इस स्थान पर गुरु जी से संबंधित अधिक इतिहास की जानकारी उपलब्ध नहीं है। गुरु जी ने अपने चरण-चिन्हों से स्पर्श कर

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प्रसंग क्रमांक 43: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम नंदपुर कलोड़ का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम घड़ोंवां से चलकर ग्राम नंदपुर कलोड़ नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस स्थान पर गुरु साहिब जी की एक बीबी (महिला सेवादार) के निवास स्थान पर निवास की उत्तम व्यवस्था की गई थी। गुरु जी का आगमन होते ही दूर-दराज की संगत गुरु जी के दर्शन-दीदार के लिए

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प्रसंग क्रमांक 41: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के प्रथम पड़ाव का इतिहास।

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी द्वारा आयोजित धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए यात्रा की पूर्ण तैयारी ‘चक नानकी’ नामक नगर में हो चुकी थी। संगत ने अमृत वेले (ब्रह्म मुहूर्त) में पाठकर ‘अरदास’ के पश्चात् कड़ाह प्रशादि की देग को उपस्थित श्रद्धालुओं में बांटा गया था। ‘चक नानकी’ नगर कि संगत ने गुरु जी

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प्रसंग क्रमांक 40: श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी का धर्म प्रचार-प्रसार हेतु देशाटन की तैयारी का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के द्वारा ‘चक नानकी’ नामक नवीन नगर को आबाद किया गया था। इस नगर को वर्तमान समय में श्री आनंदपुर साहिब जी नगर नाम से भी संबोधित किया जाता है। गुरु जी ने इस स्थान पर कुछ प्रमुख सिखों को इस नगर निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी और आप

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प्रसंग क्रमांक 39: चक नानकी नगर के निर्माण (उसारी) के समय श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी और पीर मूसा रोपड़ी के मध्य हुये वार्तालाप का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने माखोवाल की धरती पर अपनी माता जी के नाम पर मोहरी गड्ड (नींव का पत्थर रखकर) ‘चक नानकी’ नामक नगर को आबाद किया था। नगर का निर्माण कार्य बहुत तेजी से हो रहा था। इस नगर में सुंदर निवास, आलीशान महल, व्यापारिक प्रतिष्ठान, कारोबार हेतु दुकानों का निर्माण

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प्रसंग क्रमांक 38: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित चक नानकी नगर के निर्माण (उसारी) का इतिहास।

19 जून सन् 1665 ई. के दिवस गुरु जी अपने संपूर्ण परिवार और संगत के साथ ग्राम ‘सहोटा’ के ऊंचे टीले पर पहुंच गए थे। इस स्थान पर गुरु जी और संगत के सहयोग से अमृत वेले (ब्रह्म मुहूर्त) में कीर्तन किया गया था। साथ ही कड़ाह प्रसाद की देग तैयार की गई थी। इस

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