Ranjeet Singh

प्रसंग क्रमांक 78: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम धलेवां का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम भोपाल से चलकर 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम धलेवां में पहुंचे थे। इस ग्राम में घने वृक्ष होने के कारण एक छोटा सा जंगल था। इस ग्राम में छठी पातशाही  ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ के समय का एक सिख निवास करता था जिसका नाम तुलसीदास था। […]

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प्रसंग क्रमांक 77: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम रल्ला, ग्राम जोगा और ग्राम भोपाल का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा हेतु ग्राम शेर अली से चलकर ग्राम रल्ला और ग्राम जोगा में पहुंचे थे। ग्राम रल्ला और ग्राम जोगा दोनों ही ग्राम एक दूसरे के पास में स्थित है। जब गुरु जी ग्राम रल्ला में पहुंचे तो ग्राम की संगत गुरु जी के दर्शन-दीदार करने

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प्रसंग क्रमांक 75: सफर-ए-पातशाही नौवीं श्रृंखला की समीक्षा।

इस श्रृंखला के अंतर्गत विगत 74 प्रसंगों में ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ की जीवन यात्रा का इतिहास विस्तार से एक वृतांत के रूप में हमने संगत (पाठकों)  के सम्मुख रखने का अभिनय प्रयत्न  किया है। श्रृंखला के अनुसार अभी तक गुरु जी की यात्रा सूबा पंजाब के मालवा प्रांत के विभिन्न ग्रामीण अंचलों

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प्रसंग क्रमांक 74: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम भिखी का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्राओं के तहत सूबा पंजाब के मालवा प्रांत के मध्य अपना प्रचार दौरा करते हुए ग्राम भीखी नामक स्थान पर पहुंचे थे। ग्राम भिखी भटिंडा से 70 किलोमीटर की दूरी पर एवं संगरूर नामक स्थान से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस ग्राम

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प्रसंग क्रमांक 73: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम ख्याला कला में सुशोभित गुरूद्वारा तीर साहिब जी का इतिहास।

सफर-ए-पातशाही नौवीं के सफर को निरंतर जारी रखते हुए हम इस श्रृंखला में ग्राम ख्याला कला के इतिहास से अवगत हो रहे हैं। इस ख्याला कला ग्राम में गुरु जी की स्मृति में तीन भव्य गुरुद्वारा साहिब सुशोभित हैं। विगत प्रसंग में हमने ऐतिहासिक गुरुद्वारा बैरी साहिब के इतिहास को जाना था।  वर्तमान समय में

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प्रसंग क्रमांक 72: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा के समय ग्राम ख्याला कला का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम भैणी बाघा से चलकर ग्राम ख्याला कला नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस स्थान पर उस पुरातन समय का बेरी का वृक्ष वर्तमान समय में भी मौजूद है। गुरु जी इस बेरी के वृक्ष की छांव में आकर विराजमान हुए थे। इस बेरी के वृक्ष पर उस समय

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प्रसंग क्रमांक 71: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित ग्राम मैसर खाना, ग्राम डिख एवं ग्राम भैणी बाघा का इतिहास।

इस प्रस्तुत श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 71 के अंतर्गत ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा हेतु ग्राम मैसर खाना, ग्राम डिख एवं ग्राम भैणी बाघा स्थान पर पहुंचे थे। इन सभी स्थानों के इतिहास से संगत (पाठकों) को अवगत करवाया जाएगा। ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा

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प्रसंग क्रमांक 70: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित ग्राम मोड़ कला का इतिहास।

इस प्रस्तुत श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 70 के अंतर्गत ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपनी धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा हेतु ग्राम मोड़ कला नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस समस्त इतिहास से संगत (पाठकों) को अवगत करवाया जाएगा। इस ग्राम मोड़ कला को एक जमींदार ने बसाया था। ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ ने अपने

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प्रसंग क्रमांक 69: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित गुरूद्वारा टाहला साहिब जी का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ सुबा पंजाब के मालवा प्रांत में ग्राम बठिंडा के आसपास धर्म प्रचार-प्रसार हेतु यात्राएं कर रहे थे, इस यात्रा के दरमियान आप जी टाहला साहिब नामक ग्राम में पहुंचे थे। उस समय आप जी संगत को सिक्खी से जोड़कर संगत की मुश्किलों को भी हल कर रहे थे। जब

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प्रसंग क्रमांक 68: श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी’ की धर्म प्रचार-प्रसार यात्रा से संबंधित ग्राम गोबिंद पुरा एवम् ग्राम बरै का इतिहास।

‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ग्राम कोट धरमु से चलकर ग्राम गोविंदपुरा नामक स्थान पर पहुंचे थे। इस ग्राम गोविंद पुरा को ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ और ‘श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी’ ने अपने चरण कमलों से इस धरती को पवित्र किया था। वर्तमान समय में इस स्थान पर सुशोभित भव्य

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