Ranjeet Singh

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी: श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी

ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . (टीम खोज-विचार की पहेल) बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी: श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की दसवीं ज्योत, ‘श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी’ निश्चित ही इस संसार में एक ऐसे आदर्श महापुरुष थे जिस की संकल्पना ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ ने […]

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श्री गुरु अर्जुन देव साहिब जी का संक्षिप्त जीवन परिचय–

चलते-चलते. . . (टीम खोज-विचार की पहेल) ੴ सतिगुर प्रसादि॥ श्री गुरु अर्जुन देव साहिब जी के 460 वें प्रकाश पर्व पर विशेष _ श्री गुरु अर्जुन देव साहिब जी का संक्षिप्त जीवन परिचय– तेरा कीआ मीठा लागै॥ हरि नामु पदारथु नानकु माँगै॥ श्री गुरु नानक देव जी की ज्योति, सिख धर्म में शहीदों की

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ज़फ़रनामा: विजय पत्र

ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . (टीम खोज-विचार की पहेल) ज़फ़रनामा: विजय पत्र ‘ज़फ़रनामा’ अर्थात विजय पत्र: यह एक ऐसा पत्र है जो दशमेश पिता ‘श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब जी’ द्वारा औरंगज़ेब को लिखा गया था। ‘ज़फ़रनामा’ एक ऐसा साहित्यिक पत्र है जो हमेशा इतिहास में याद रखा जाएगा। जो कार्य तलवार नहीं

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भक्ति और शक्ति का पर्व: होला महल्ला

ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . (टीम खोज-विचार की पहेल) भक्ति और शक्ति का पर्व: होला महल्ला भारतवर्ष में त्योहारों पर्वों एवं उत्सवों का ऋतुओं के साथ संयोजन, जनमानस की नैसर्गिक अभिव्यक्ति एवं धार्मिक व आध्यात्मिक परंपराओं से एक सूत्र में जुड़ा रहा है। इस देश के मुख्य त्योहारों में होली और दीपावली के

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भाई मरदाना जी के 564 वें प्रकाश पर्व पर विशेष–

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते-चलते. . . . (टीम खोज-विचार की पहेल) प्रासंगिक— भाई मरदाना जी के 564 वें प्रकाश पर्व पर विशेष– सिखों के स्वर्णिम इतिहास में भाई मरदाना जी जैसा भाग्यशाली कोई विरला ही होगा, ‘श्री गुरु नानक देव साहिब साहिब जी’ का सबसे अधिक सानिध्य (लगभग 50 वर्षों तक) भाई मरदाना जी

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बाबा दीप सिंह जी के प्रकाश पर्व पर विशेष

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ चलते-चलते. . . . (टीम खोज-विचार की पहेल) प्रासंगिक— बाबा दीप सिंह जी के प्रकाश पर्व पर विशेष– शीश तली पर रखकर प्रण पूरा करने वाला सूरमा: शहीद बाबा दीप सिंह जी  जु लरै दीन के हेत सुरा सोई… सुरा सोई॥ गगन दमामा बाजिओ परिओ नीसानै घाउ॥ खेतु जु माँडिओ सूरमा

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युग प्रवर्तक: गुरु श्री गोविंद सिंह साहिब जी

ੴ सतिगुर प्रसादि॥ प्रासंगिक— युग प्रवर्तक: श्री गोविन्द सिंह जी के 357 वें प्रकाश पर्व पर विशेष— (टीम खोज-विचार की पहेल) युग प्रवर्तक: गुरु श्री गोविंद सिंह साहिब जी  हक्  हक् अंदेश गुरु गोविंद सिंह, बादशाह दरवेश गुरु गोविंद सिंह करुणा, कलम और कृपाण के धनी ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की दसवीं ज्योत,

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सिख वीरांगना: बीबी हरशरण कौर पाबला

ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) सिख वीरांगना: बीबी हरशरण कौर पाबला महला 1॥ भंडि जंमीऐ भंडि निंमिऐ भंडि मंगणु वीआहु॥ भंडहु होवै दोसती भंडहु चलै राहु॥ भंडु मुआ भंडु भालीऐ भंडि हौवे बंधानु॥ सो किउ मंदा आखिऐ जितु जंमहि राजान॥ भंडहु ही भंडु ऊपजै भंडै बाझु न कोइ॥

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कुर्बानी की अमिट मिसाल: बेगम ज़ेबुलनिशा

ੴसतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) कुर्बानी की अमिट मिसाल: बेगम ज़ेबुलनिशा यदि हम सिख इतिहास को परिप्रेक्ष्य करें तो सिख धर्म के छठे गुरु ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ को जब जहांगीर के द्वारा ग्वालियर के किले में क़ैद रखा गया था तो आप जी ने अपने विशेष प्रयासों

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समर्पण और त्याग की मूर्ति: जगत् माता गुजरी जी

समर्पण और त्याग की मूर्ति: जगत् माता गुजरी जी ੴ सतिगुर प्रसादि॥ चलते-चलते. . . . सफर-ए-शहादत (टीम खोज-विचार की पहेल) सो किउ मंदा आखीऐ जितु जंमहि राजान॥ यदि किसी देश, धर्म या कौम के इतिहास को परिपेक्ष्य करना हो तो उसका आधार उस स्थान पर विकसित समाज पर निर्भर करता है और उस समाज

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