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शहीद भाई मणी सिंह जी: एक अनुपम बलिदान और प्रेरणा का स्रोत

शहीद भाई मणी सिंह जी: एक अनुपम बलिदान और प्रेरणा का स्रोत भाई मणी सिंह जी, एक दिव्य आत्मा और सिख धर्म के महान शहीद, का जन्म 10 मार्च 1644 ईस्वी को पंजाब के संगरूर जिले के ग्राम लोंगोवाल में हुआ। कुछ विद्वानों के मतानुसार, उनका जन्म ग्राम अलीपुर, जिला मुजफ्फरनगर (अब पाकिस्तान) में भी […]

ਭਾਈ ਤਾਰੂ ਪੋਪਟ ਜੀ

ਭਾਈ ਤਾਰੂ ਪੋਪਟ ਜੀ ਭਾਈ ਤਾਰੂ ਪੋਪਟ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ‘ਗੁਰੂ ਪੰਥ ਖਾਲਸਾ’ ਦੇ ਸਿੱਖ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀਆਂ ਮਹਾਨ ਗਾਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਹੈ। ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਿੱਖ ਸਦਾ ਹੀ ਅਨਿਆਇ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਖੜ੍ਹਦੇ ਆਏ ਹਨ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਧਰਮ, ਸੇਵਾ ਅਤੇ ਮਾਨਵਤਾ ਲਈ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਨਿਓਛਾਵਰ ਕੀਤੀ ਹੈ। ਭਾਈ ਤਾਰੂ ਪੋਪਟ ਜੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ

Bhai Taru Popat Ji

Bhai Taru Popat Ji The martyrdom of Bhai Taru Popat Ji is one of the most glorious tales in the history of ‘Guru Panth Khalsa.’ The Sikhs of Sri Guru Nanak Dev Ji have always stood against oppression and laid down their lives for their faith, service, and humanity. The story of Bhai Taru Popat

मेहताब की मुस्कान

मेहताब की मुस्कान चमके चाँद-तारों से, प्यारी मेरी मेहताब, सातवें बसंत की खुशबू, जैसे महके गुलाब। सुशील-चंचल, हंसमुख, उसकी अदाएं न्यारी, परी सी दुनिया में खोई, कल्पनाओं की सवारी। दादा-दादी का ताज है तू, उनकी आँखों की रोशनी, तेरी हंसी से महक उठे, उनकी जीवन की हर ज्योति। तेरे नन्हें कदमों की आहट, घर को

संघर्ष से सफलता तक

संघर्ष से सफलता तक संघर्ष है जीवन का श्रृंगार,  हर कठिनाई में छिपा है एक द्वार।  जैसे पत्थर बनता है हीरा चमकदार,  वैसे ही संघर्ष देता है हमें शक्ति अपार। मुकाबला कर, तू निर्भीक चल,  हर ठोकर से मिलता है एक नया बल।  जो रास्ते में आई बाधा भारी,  वही तुझे बनाएगी सबसे न्यारी। जीवन

श्री गुरु नानक देव साहिब जी और उनकी चार उदासी यात्राएँ

श्री गुरु नानक देव साहिब जी और उनकी चार उदासी यात्राएँ सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव साहिब जी द्वारा उनके जीवन काल में की गई चार उदासी यात्राओं का महान महत्व है। ‘उदासी’ शब्द का अर्थ है उपरामता या वैराग्य, जो सांसारिक सुख, भौतिक संसाधन, परिवार और मोह-ममता के

हमारा पंजाबी सभ्याचार

हमारा पंजाबी सभ्याचार यदि पंजाबी सभ्याचार को सरल शब्दों में विश्लेषित करना हो तो हम कह सकते हैं कि संपूर्ण विश्व में जो ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के आचार–विचार, संस्कार और उपदेशों के अनुसार जीवन व्यतीत करने वाली संगत अर्थात ‘नानक नाम लेवा संगत’ जिसमें सिख, मोना पंजाबी, जाट, सिंधी समाज, नेगी सिख,

महान संत श्री गुरु नानक देव जी: मानवता के पथ प्रदर्शक

महान संत श्री गुरु नानक देव जी: मानवता के पथ प्रदर्शक कलि तारण गुरु नानक आइआ।। भारत, जिसे विविधता में एकता की भूमि के रूप में जाना जाता है, सदियों से “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत का पालन करता आ रहा है। इस महान संस्कृति की बुनियाद में सिख धर्म और इसके महान संतों की अनमोल

अकली किजै दान

अकली किजै दान लोक-कल्याण और परोपकार हेतु सात्विक और सेवा भाव की जो महती प्रेरणा श्री गुरु रामदास जी ने आत्मसात की, वही परोपकार की सात्विक प्रवृत्ति आज भी सिख श्रद्धालुओं में दृष्टिगत होती है। सिमरन, धर्मशालाओं का निर्माण, लंगर सेवा, अस्पताल एवं विद्यालयों का सृजन, तथा भव्य गुरु धामों का निर्माण इत्यादि| ये सभी