arsh.blog : एक साहित्यिक परिचय

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arsh.blog : एक साहित्यिक परिचय

1. प्रस्तावना (भूमिका)

डिजिटल युग में लेखनी मात्र शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना, सांस्कृतिक उत्तरदायित्व और आत्मिक संवाद का सशक्त माध्यम बन चुकी है। arsh.blog उसी चेतना का जीवंत स्तम्भ है, एक ऐसा मंच जहाँ गुरुवाणी की सार्वभौमिक शिक्षाएँ, सिख इतिहास की गौरव–गाथाएँ और भारतीय संस्कृति की सजीव परंपराएँ सुविचारित सूत्र में पिरो कर प्रस्तुत की जाती हैं।
ARORA RANJEET SINGH के अंग्रेज़ी संक्षेप “ARSH” से जन्मा यह नाम स्वयं में प्रतीक है “अर्श की कलम” का वह संवेदनशील लेखन, जो आकाश-सी विशाल दृष्टि, सागर-सी गहन सोच और हृदय-सी करुणा को साथ लिए निस्वार्थ भाव से पाठकों तक पहुँचती है। ब्लॉग की स्थापना का मूल उद्देश्य सरल–सुगम भाषाओं में हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से गुरबाणी की दिव्यता, सिख विरासत का गौरव और समकालीन सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श जन-जन तक पहुंचाना रहा है।

2. ब्लॉग की विषय वस्तु

arsh.blog का फलक व्यापक है, पर इस ब्लाॅग की आत्मा गुरबाणी-आधारित चिंतन है। 

गुरुवाणी का आध्यात्मिक मंथन—शब्द-आर्थिक व्याख्या से लेकर समकालीन जीवन में उसकी प्रासंगिकता तक।

  • सिख इतिहास, संस्कृति व परंपरा—प्रामाणिक स्रोतों, स्थल-यात्राओं एवं दुर्लभ दस्तावेज़ों पर आधारित शोध पूर्ण आलेख।
  • हिंदी साहित्य का पुनर्विचार—भारतीय काव्य-परंपरा के आधुनिक संवाद, जहाँ शब्द और सरोकार एक-दूसरे को आलोकित करते हैं।
  • 3. त्रिभाषीय स्वरूप

ब्लॉग का त्रिभाषीय अवतार इसे भारत-भर के साथ-साथ विश्व-भर में बसे सिख, हिंदी-पसंद और शोध-रुचि रखने वाले पाठकों के लिए समान रूप से प्रासंगिक बनाता है। अनेक रचनाएं मूल भाव को अक्षुण्ण रखते हुए क्रमशः हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध रहती है, जिससे विभिन्न भाषिक-सांस्कृतिक पाठक वृंद एक ही स्रोत से प्रेरणा ले सकें।

  • 4.  टीम “खोज विचार”
    इस सृजन-यात्रा के पीछे कार्यरत है टीम खोज विचार-एक अनुशासित, निस्वार्थ समूह, जो “गुरु पंथ खालसा” की सेवा-भावना को समर्पित है। टीम का कार्यक्षेत्र—
  • ❖ ऐतिहासिक गुरु-धामों की पहचान, पांडुलिपियों की खोज और स्थल-वीडियोग्राफी।
  • ❖ युद्ध गाथाओं, मर्यादाओं और सांस्कृतिक सरोकारों की सूक्ष्म पड़ताल।
  • ❖ संकलित सामग्री का प्रामाणिक, शोध परक लेखन एवं प्रस्तुति।

5. ब्लॉग की विशेषताएँ एवं दुर्लभ विषयों का संयोजन

  • शोध-आधारित लेखन—प्रत्येक आलेख विद्वान संवाद, पुरालेख, प्रामाणिक पुस्तकों एवं स्थल-यात्राओं की पुष्टि एवं प्रमाण श्रृंखला पर अवलंबित होता है।
  • विज्ञान-इतिहास-अध्यात्म का संगम-चाहे “श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी : निर्मिति एवं स्वरूप” का विश्लेषण हो या “कामागाटा मारू आंदोलन” के ऐतिहासिक मूल्यांकन की चर्चा! निश्चित ही यह ब्लॉग जिज्ञासु पाठक को बहुआयामी दृष्टि प्रदान करता है।
  • दुर्लभ विषयों का संयोजन—सिख मर्यादा के अलक्षित पहलू, भारतीय विज्ञान की परंपराएँ, या समकालीन सामाजिक प्रश्न, सभी को एक ही विचार-सूत्र में पिरोना arsh.blog की विशिष्ट पहचान है।
  • 6. समसामयिक दृष्टिकोण

गुरुवाणी और सिख इतिहास के आलोक में आज के ज्वलंत मुद्दों—धार्मिक सहिष्णुता, राष्ट्रीय एकता, शिक्षा में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना, पर विमर्श करना arsh.blog की पहचान है। यहाँ परम्परा और वर्तमान का साहसिक संकलन पाठकों को गहन विचार के लिये प्रेरित करता है।

  •  7. दृश्य और पांडुलिपि संग्रह

ब्लॉग में ऐतिहासिक गुरुद्वारों, युद्ध-स्थलों, दुर्लभ ग्रंथों और हस्तलिखित पन्नों की प्रामाणिक छवियाँ तथा साक्षात्कार संलग्न हैं, जो शोध-प्रक्रिया को दृश्य पुख़्तगी प्रदान करते हैं।

  • 8. लेखक की भूमिका : डॉ. रणजीत सिंह ‘अर्श’

डॉ. रणजीत सिंह ‘अर्श’—हिंदी के समर्पित लेखक, इतिहासकार और स्वतंत्र प्रकाशक है। गुरबाणी व सिख इतिहास को रचनात्मक साहित्यिक रूप में आम जन तक पहुँचाने हेतु स्व-निर्भर शैली में कार्यरत हैं। लेखन, संपादन, डिज़ाइन, ISBN पंजीकरण एवं वितरण इत्यादि, सभी प्रक्रियाएं वह स्वयं सँभालते हैं।
अब तक 7 से अधिक पुस्तकें और 500+ शोध-आलेख प्रकाशित; प्रमुख कृतियाँ—“सफ़र-ए-पातशाही नौवीं”, “अद्वितीय सिख इतिहास”, “सहर-ए-शहादत”, “अनमोल स्वर्णिम सिख इतिहास”, “अनुभव अर्श के”

  • 9. सामाजिक-बौद्धिक उपयोगिता

arsh.blog ज्ञान-संग्रहालय है—छात्रों, शोधकर्ताओं, अध्यापकों के लिए संदर्भ-सामग्री का विश्वसनीय कोष। परिवारों के लिए यह नई पीढ़ी को सिख इतिहास व भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रेरक सेतु है। ब्लॉग राष्ट्रीय एकता, धार्मिक सहिष्णुता और नैतिक मूल्यों का डिजिटलीकृत प्रसारक बनकर उभर रहा है।

  • 10. पाठक-प्रतिक्रिया व प्रसार
  • गूगल-रैंकिंग—वर्षों से “श्री गुरु तेग बहादुर जी”, “कामागाटा मारू”, “Singh”, “Kaur” जैसे की-वर्ड पर शीर्ष क्रम।
  • अंतरराष्ट्रीय जर्नल-उल्लेख—ब्लॉग-जन्मित शोध पत्र “शोध समालोचन” (ISSN 2348-5639), “संगम” (ISSN 2321-8037) इत्यादि में प्रकाशित।
  • सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स-WhatsApp चैनल “अर्श की कलम से” व अन्य माध्यमों से व्यापक पाठक-समुदाय जुड़ा।
  • ज्ञान-दान-लेखक द्वारा हजारों निःशुल्क पुस्तक-प्रतियाँ वितरित कर लोकहित में ज्ञान बाँटने का अनुकरणीय कार्य।
  • 11. निष्कर्ष : वर्तमान उपलब्धियां व भविष्य-दृष्टि

वर्तमान समय में arsh.blog एक सशक्त साहित्यिक-आध्यात्मिक मंच के रूप में स्थापित है। आगामी योजनाएँ-

  • ई-बुक लाइब्रेरीऑडियो गुरमत लेख का विस्तार।
  • इंटरएक्टिव शोध-फॉर्मAI आधारित खोज-उपकरण की प्रस्तुति।
  • ◆ सिख विद्यार्थियों के लिये अंतरराष्ट्रीय शोध-सहयोग मंच का विकास।

arsh.blog कोई साधारण ब्लॉग नहीं, वरन् एक वैचारिक आंदोलन, एक साहित्यिक संकल्प और एक आध्यात्मिक साधना है, जो पाठक को आमंत्रित करती है कि वह इस अर्श की कलम. . . . .की यात्रा में सहभागी बने और गुरुवाणी के आलोक में इतिहास-संस्कृति के नये क्षितिजों को निहारे।

✍️ डॉ. रणजीत सिंह ‘अर्श’
(संस्थापक एवं संपादक, arsh.blog)


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