शहीद भाई बाज सिंह: गुरु के सच्चे सैनिक की वीर गाथा
पूरे विश्व में अपने अद्वितीय युद्ध कौशल, शूरवीरता और इंसानियत के लिए सिखों ने सदैव जुल्म के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जब भारत में इस्लामीकरण की जबरदस्त कोशिश की जा रही थीं, तब शहीद बाज सिंह ने अपनी वीरता से तख्त पर बैठे फर्रुखसियर को भी तख्त छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया। यह है वह इतिहास, जिसे आज भी याद किया जाता है।
इतिहास के पन्नों में बादशाह फर्रुखसियर की क्रूरता
बादशाह फर्रुखसियर, जिसका पूरा नाम अब्बुल मुजफ्फर मोहम्मद शाह फर्रुखसियर था, सन 1713 ई. से सन 1719 ई. तक दिल्ली में शासन कर रहा था। फर्रुखसियर ने सिखों के खिलाफ अत्याचार की पराकाष्ठा करते हुए सात दिनों में 740 सिख योद्धाओं को शहीद किया। हर दिन सौ से अधिक सिखों को शहीद किया जाता था। ये सिख वीर निडर होकर, बिना किसी भय के, अपनी शहादत को गले लगाते हुए अपने धर्म की रक्षा कर रहे थे।
बाज सिंह की वीरता और शौर्य
जब फर्रुखसियर ने शहीदों की यह भयावह तस्वीर देखी, तो उसने सुना कि सिखों में एक महान योद्धा बाज सिंह है, जो अपनी वीरता और बहादुरी के लिए प्रसिद्ध है। इस पर फर्रुखसियर ने आदेश दिया कि बाज सिंह को पकड़कर उसके सामने पेश किया जाए। बाज सिंह को पिंजरे में बंद करके दरबार में लाया गया।
फर्रुखसियर ने बाज सिंह से कहा, “हमने सुना है कि तुम बड़े शूरवीर और बहादुर हो, लेकिन अब तुम मेरे पिंजरे में बंद हो। कहां गई तुम्हारी बहादुरी?”
बाज सिंह ने उत्तर दिया, “पिंजरे में भेड़-बकरियों को भी बंद नहीं किया जाता, यह केवल शेरों के लिए होता है। हम जैसे शेर तुझे खौफ दिखाने के लिए पैदा हुए हैं। अगर तुम मेरी बहादुरी देखना चाहते हो, तो मुझे पिंजरे से बाहर निकालकर मेरे हाथ खोल दो। मैं तुम्हें दिखाऊं क्या होता है एक गुरु का सच्चा सिख?”
फर्रुखसियर ने बाज सिंह की चुनौती स्वीकार कर दी और अपने सैनिकों से बाज सिंह को पिंजरे से बाहर निकालने का आदेश दिया, केवल एक हाथ की हथकड़ी खोलने के लिए।
दृढ़ता और शौर्य की मिसाल
जैसे ही बाज सिंह का हाथ खोला गया, उसने अपने अद्वितीय युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। उसने तुरंत पास खड़ी सैनिकों की तलवार छीन ली और एक के बाद एक 13 मुगल सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया। इस साहसिक कार्य को देखकर फर्रुखसियर भयभीत हो गया और अपनी 25,000 सैनिकों की सेना के सामने भी वह भाग खड़ा हुआ।
बाज सिंह ने शेर की तरह दहाड़ते हुए फर्रुखसियर को चुनौती दी, “तुम कहां भाग रहे हो? अभी तो तुम्हारी सेना ने मेरे एक हाथ की हथकड़ी खोली है, दूसरी हाथ की हथकड़ी खोलनी बाकी है।”
लेकिन, दुर्भाग्य से, मुगल सेना ने बाज सिंह को चारों ओर से घेर लिया और उसने शौर्य से लड़ते हुए शहादत प्राप्त की।
शहीदी की गाथा और इतिहास
बाज सिंह वही वीर था, जिसे गुरु श्री गोविंद सिंह साहिब जी ने अपने पांच सिखों में से एक के रूप में भेजा था। यह वही सिख था जिसने भाई फतेह सिंह के साथ मिलकर वजीर खान पर हमला किया था और सरहिंद की विजय प्राप्त की थी। बाज सिंह की वीरता और उसकी शहादत को हर सिख को याद रखना चाहिए।
शहीद बाज सिंह और उनके तीन भाई— राम सिंह, शाम सिंह, और सुक्खा सिंह सभी ने ‘गुरु पंथ खालसा’ के लिए अपनी जान की आहुति दी थी। 7 से 9 जून, सन 1716 ई. के बीच भाई बाज सिंह को शहीद किया गया।
निष्कर्ष
भाई बाज सिंह की शहादत हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका साहस, त्याग, और समर्पण हमें यह सिखाते हैं कि जब भी धर्म और सत्य की रक्षा की बात आती है, तो जीवन की आहुति देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। शहीदों का यह गौरवमयी इतिहास हमें सिखाता है कि वीरता केवल युद्ध भूमि में नहीं, बल्कि अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए भी प्रकट होती है।