श्री गुरु नानक देव साहिब जी और मोदी खाना
व्हाट्सएप विश्वविद्यालय में हम सभी एक वीडीयो क्लिप अक्सर देखते है कि जिसमें पंजाब के सिख सेवादार दवाइयों की दुकान को ‘मोदी खाने’ के रूप में प्रदर्शित कर ‘मोदी खाने’ के महत्व को समझा रहे हैं। ‘मोदी खाना’ श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के इतिहास से संलग्न है। उस इतिहास को विस्तार पूर्वक इस लेख में अंकित किया गया है।
‘मोदी खाना’ फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, राज्य में उत्पादित रसद को उचित मुल्य में स्वीकार कर, आम लोगों में जरूरत के अनुसार उचित मूल्य पर उपलब्ध करा कर देना।
सन् 1332 ई. में पंजाब के सूबेदार मोहम्मद खान के बेटे सुल्तान खान के नाम से सुल्तानपुर शहर को बसाया गया था। दिल्ली से बादशाह इब्राहिम लोधी की और से पंजाब के गवर्नर पद का दायित्व दौलत खान लोधी को दिया गया था। अकबरनामा 3 जिल्द में पृष्ठ क्रंमाक 704 के अनुसार उस समय दिल्ली से लाहौर जाने वाली मुख्य सड़क पर स्थित सुल्तानपुर बहुत बड़ा व्यापारिक केंद्र हुआ करता था। प्रिंसिपल सतबीर सिंघ जी की पुस्तक अनुसार सुल्तानपुर में कुल 32 बाजार थे और 5000 के करीब दुकानें थी। इन बाजारों में प्रमुख रूप से सराफा बाजार, पसार खाना, अदिलबींया,फरोसा बाजार जहां पर सभी प्रकार की दवाइयां विशेष रूप से देसी दवाइयों का व्यापार बड़े पैमाने पर होता था।
खुशरोमी हलवाईयों का बाजार, एब्रेशन बाजार जहां से कपड़ों का व्यापार किया जाता था, इत्यादि, प्रमुख बाजार थे। यदि उस समय के मूल्यों की सूची का अध्ययन किया जाये तो उस समय पचास पैसे प्रति मन (40 किलो) गेहूं मिलता था और अच्छे प्रति के चावल 65 पैसे प्रति मन थे, शुद्ध देसी घी 3 रूपये 50 पैसे प्रति मन था। अच्छे प्रति का सूती कपड़ा 3 रूपये का 30 गज मिल जाता था और उस समय जो करेंसी चलती थी उसे “बेहलौली दीनार” कहा जाता था। यह सब जानकारी पंजाब यूनिवर्सिटी की पुस्तक खोज पत्रिका के पृष्ठ क्रमांक १९६९ में अंकित है।
इस व्यापारिक केंद्र में नवाब दौलत खान का ‘मोदी खाना’ स्थित था। इस ‘मोदी खाने’ से ही पंजाब के कृषि उत्पादों की खरीद-फरोख्त होती थी। कुछ कृषि उत्पाद कर के रूप में भी जमा होता था और कृषि उत्पादों के जरिये व्यापार किया जाता था अर्थात कृषि उत्पाद के बदले दूसरी वस्तुओं को खरीदा और बेचा जाता था। ‘मोदी खाना’ को आधुनिक भाषा में फूड कॉरपोरेशन आफ इंडिया के रूप में भी जाना जा सकता है।
नवाब लोधी के दीवान के रुप में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के जीजा जी श्री जय राम जी कार्यरत थे। नवाब लोधी ने जय राम जी के ऊपर एक जवाबदारी दी थी कि ‘मोदी खाने’ को चलाने के लिये किसी उत्तम अधिकारी की नियुक्ति की जाये।
दीवान जय राम जी ने नवाब लोधी को सिफारिश कर ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की ‘मोदी खाने’ के मुख्य प्रबंधक के रूप में नियुक्ति करवा दी थी। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ ने अपने कार्यकाल में ‘मोदी खाने’ का उत्तम प्रबंध किया। कई प्रकार के फालतू खर्चों के ऊपर रोक लगा दी गई। जिन सिपाहियों को मुफ्त रसद दी जाती थी, उनको हटाकर पुन: दिल्ली भेजा गया। इस प्रकार से पैसों की बचत कर व्यापार वृद्धि में उसका सदुपयोग किया गया। मेहरवान लिखित जन्म साखी में अंकित है कि जो पहले अधिकारी 10 प्रतिशत ‘दहलिमी’ को काट कर जनता को रसद दी जाती थी, इससे आम जनता परेशान और दुखी थी। इससे पहले जिन लोगों को ‘मोदी खाने’ का प्रबंध दिया गया उन्होंने आम जनता को लूटने का ही काम किया था। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ का प्रबंध बहुत उत्तम था। सभी हिसाब-किताब, हिसाब रखने वाले मुनीम भवानी दास जी के पास लिखवा दिया जाता था। इस कार्यकाल में गुरु जी ने अपने संदेश ‘नाम जपो,कीरत करो, और वंड छकों’ के सिद्धान्त को वास्तविकता के रुप में कर दिखाया था। इस समय गुरु जी नौकरी कर किरत कर रहे थे और नाम जप कर सभी जरूरतमंदों को बांटने का भी कार्य करते थे और अपने ‘दसवंद’ (किरत कमाई का दसवां हिस्सा) की कमाई से सभी भूखे प्यासे जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करते थे और तो और राशन भी ज्यादा तोल कर दे देते थे। उत्तम प्रबंध के कारण थोड़े ही समय में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की पूरे इलाके में जय-जयकार होने लगी थी। उस समय के भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों को यह सहन नहीं हो रहा था और इन सभी भ्रष्ट लोगों का नेतृत्व जादू राय नामक व्यक्ती कर रहा था। जादू राय ने नवाब लोधी को ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ कि सख्त शिकायत की और बताया कि ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ है और गुरु जी ने ‘मोदी खाने’ को लूट लिया है। इन झूठी शिकायतों के परिणाम स्वरुप ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ को 3 दिन नजरबंद करके रखा गया (उस स्थान पर आज भी गुरुद्वारा कोठड़ी साहिब स्थित है) और 3 दिनों के लेखा-परीक्षण (ऑडिट) के पश्चात हिसाब में ‘321 बहलौली दिनार’ अधिक पाये गये। इस तरह से एक बार और भी गुरु जी के ऊपर झूठे इल्जाम लगाये और उस समय जब लेखा-परीक्षण किया तो ‘760 बहलौली दिनार’ हिसाब में अधिक पाये गये थे।
नवाब दौलत खान ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की ‘कहनी और कथनी’ से अत्यंत प्रभावित हुये और ऐलान किया कि मेरी यह सरकार गुरु जी की सरकार है, मैं अपनी समस्त सरकार को गुरु जी के चरणों में समर्पित करता हूं।
भाई गुरदास जी ने अपनी वारों (पद्यो) में नवाब दौलत खान मोदी का जिक्र कर कहा है:–
दौलत खान लोधी भला जिंग पीर अविनाशी॥
नवाब दौलत खान मोदी के ससुर राय बुलार जी थे (जिन्हें ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ का प्रथम सिख कहकर भी संबोधित किया है) श्री राय बुलार जी ने गुरु जी के नाम पर 750 मुरब्बा जमीन लिखवा दी थी। (आज के हिसाब से 17975 एकड़) जिसका जिक्र श्री रतन सिंघ जग्गी द्वारा रचित विश्व प्रकाश ग्रंथ में अंकित है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि श्री राय बुलार जी ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ से अत्यंत प्रभावित हुये थे।
‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के काल में जो ‘मोदी खाने’ की संभाल हुई उससे पूरे इलाके में उनकी ख्याति थी। लोग कहते थे कि इस तरह का ‘मोदी’ आज तक कोई नहीं हुआ है।
यदि ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के ‘मोदी खाने’ की संकल्पना को लेकर चले तो पूरी दुनिया में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के ‘मोदी खाने’ खुलने चाहिये। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की अभिनव व्यापार पद्धति थी। जिसमें उत्पादों का ‘योग्य मुल्य, योग्य वजन और योग्य गुणवत्ता’ के महत्व को प्राथमिकता दी गई थी।