पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरण सिंह तोहरा इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज इन सिखईस्म (PRJGSTIOASIS) : संक्षिप्त परिचय

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चरन चलउ मारगि गोविंद॥

मिटहि पाप जपीऐ हरि बिंद॥

कर हरि करम स्रवनि हरि कथा॥

हरि दरगह नानक ऊजल मथा॥

(अंग क्रमांक 281)

अर्थात अपने चरणों से गोविंद के मार्ग पर चलो, एक क्षण के लिये भी हरि का जाप करने से पाप मिट जाते है। हे नानक! इस प्रकार प्रभु के दरबार में तेरा मस्तक उज्जवल हो जायेगा।

एक सिख के लिए गुरुद्वारा साहिब उसकी आत्मा, जीवन शैली, पहचान, सांजीवालता और आध्यात्मिक चेतना का अभिन्न अंग होता है| गुरुद्वारों की शख्सियत पवित्रता का अनुभव कराती है| यह ही वह स्थान है जहां से आध्यात्मिक के साथ-साथ मानवीय हकों के लिए लगातार संघर्ष करने का अभूतपूर्व इतिहास रहा है| निश्चित ही परिवर्तन और नए रुझान मानवी जीवन की आवश्यकता है| सिख संगत की बहुत पहले से ही यह मांग रही है कि वर्तमान समय में गुरुद्वारे के प्रबंध को और इन प्रबंधन के ढांचे को समय अनुसार परिवर्तित किया जाए| साथ ही ‘गुरु पंथ खालसा’ के विद्वानों द्वारा यह भी महसूस किया जा रहा था कि हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए एक ऐसी संस्था हो जहां पर गुरबाणी, सिख इतिहास, स्रोतों, और ग्रंथों की लगातार खोज और अध्ययन की परियोजनाओं पर अनुसंधान हो, गुरुद्वारा साहिब के प्रबंधन बेहतर और सुचारू रूप से चलाने के लिए उच्च शिक्षित प्रबंधकों को तैयार किया जाए और इस विषय से संबंधित सभी मापदंडों को उचित आयाम प्रदान करने के लिए एक विशेष संस्था का निर्माण किया जाए| कारण गुरबाणी का फरमान है–

विदिआ विचारी ताँ परउपकरी|| (अंग क्रमांक 356)

अर्थात यदि विद्या का विचार–मनन किया जाए तो ही परोपकारी बना जा सकता है।

उपरोक्त पंथिक आवश्यकताओं के अनुसार ही ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के चरण चिन्हों से चिन्हिंत धरती पटियाला शहर से राजपुरा की ओर जाती हुई जरनैली सड़क पर दाएं और लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर बहादुरगढ़ किला सुशोभित है| इस स्थान पर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की स्मृति में दो गुरुद्वारा साहिब सुशोभित है| इस स्थान को गुरु साहिब जी ने अपनी यात्राओं के दरमियान तीन बार अपने चरण चिन्हों से चिन्हित किया है| इस स्थान का पुरातन नाम सैफाबाद था| सन 1837 ईस्वी. में पटियाला के महाराजा करम सिंघ जी ने इस सैफाबाद के किले का पुनर्निर्माण करवाया और इस स्थान का नाम सैफाबाद से बदलकर बहादुरगढ़ रख दिया| इसी रूहानी स्थान पर सन 2011 ईस्वी. में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की धर्म प्रचार कमेटी के द्वारा करीब 10 एकड़ के स्थान पर पंथ रत्न गुरचरण सिंह तोहरा इंस्टीट्यूट आफ एडवांस स्टडीज इन सिखईस्म (PRJGSTIOASIS) संस्था की अलौकिक और विलोभनिय इमारत का निर्माण किया गया| इस स्थान पर ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ का प्रकाश भी किया गया है| इस संस्था के विद्यार्थी संस्था में नितनेम कर गुरमत के स्वर्णिम सिद्धांतों का अमल और अभ्यास कर अपना जीवन सफल करते हैं| इस इंस्टिट्यूट का हरा-भरा परिसर, सुंदर बगीचा, खेल का मैदान, स्मार्ट क्लास रूम, कंप्यूटर लैब, उच्च कोटि का पुस्तकालय और जरूरत की सभी आधुनिक सुविधाएं, निवास स्थान, मेहनती और अत्यंत लगन से अपने कार्यों को अंजाम देने वाला विनम्र कर्मचारी वर्ग, निश्चित ही संस्था की सार्थकता पर चार चांद लगता है| इस संस्था में ‘गुरु पंथ खालसा’ की धार्मिक, आध्यात्मिक सरगर्मियां, सभाएं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, खेल-कूद और हर एक तरह की शैक्षणिक गतिविधियां लगतार चलती रहती हैं|

इस संस्था का विशेष उद्देश्य है कि यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ में अंकित मानवता की रूहानी वाणी और सरबत के भले के अमल और अभ्यास से, आने वाले सभी अभ्यागतों को अवगत करवाया जाता है| कारण गुरबाणी का फरमान है—

भक्त कबीर जी ने अत्यंत सुंदर ढंग से इस पद्य (सबद) में अंकित किया है–

अवलि अलह नूरु उपाइआ क़ुदरति के सब बंदे॥

एक नूर ते सभु जगु उपजिआ कउन भले को मंदे॥

(अंग क्रमांक 1349)

अर्थात वह ऊर्जा जो अति सूक्ष्म तेजोमय, निर्विकार, निर्गुण, सतत है और अनंत ब्रह्मांड को अपने में समेटे हुए हैं। किसी भी तंत्र में उसके लिये एक सिरे से उसमें समाहित होती है और एक या ज्यादा सिरों से निष्कासित होती है। जिस एक नूर से सृष्टि की उत्पत्ति हुई वह हीं प्रभु–परमेश्वर और अल्लाह है। हम सभी उसी के बंदे हैं इसलिए हम अलग-अलग कैसे हो सकते हैं? इस संस्था में खोजार्थी और विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को लगातार निखारने के लिए खोजात्मक और शैक्षणिक स्तर की गतिविधियों का प्रवाह निरंतर चलता रहता है| इस संस्था में गुरमत जीवन शैली पर आधारित विभिन्न प्रकार के पहलुओं को खोजने का कार्य, गुरबाणी और गुरुमुखी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जरूरत अनुसार पाठ्यक्रम तैयार कर, गुरबाणी सर्टिफिकेट कोर्स, गुरुमुखी टीचिंग ट्रेनिंग कोर्स और गुरबाणी संथया (कंठस्थ) के लिए योग्य शिक्षाओं का प्रबंध संस्थान के द्वारा किया जाता है| वर्तमान समय में इस संस्था में बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, गुरुद्वारा मैनेजमेंट कोर्स एवं बैचलर ऑफ आर्ट्स इन गुरमुखी एजुकेशन की शिक्षाएं विद्यार्थियों को दी जा रही हैं|

उल्लेखित दोनों ही कोर्स यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब वर्ल्ड यूनिवर्सिटी’ के द्वारा तैयार किए गए हैं| विशेष इस संस्था में केवल अमृतधारी सिख विद्यार्थियों को ही प्रवेश दिया जाता है|

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा संचालित ‘गुरु पंथ खालसा’ की ऐसी महान संस्था में अभ्यास दौरा करने का अवसर टीम खोज-विचार (मार्गदर्शक: इतिहासकार सरदार भगवान सिंह जी खोजी) को 8 दिसंबर सन 2023 ई. के दिवस पर प्राप्त हुआ| जब हम इस संस्था के परिसर में पहुंचे तो इस संस्था के परिसर के सौंदर्य ने मन मोह लिया था| जब हमारी टीम इस स्थान पर पहुंची तो संस्था के डायरेक्टर सत्कार योग्य, डॉक्टर चमकौर सिंह जी ने बड़ी गर्मजोशी से हमारी टीम का भावभीना स्वागत किया| आप जी के कार्यालय में अनेक पंथिक सेवाओं के संबंध में विस्तार से चर्चा हुई| आपने स्वयं संस्था की संपूर्ण जानकारी बड़ी आत्मीयता से प्रदान कर, पहले चाय नाश्ता और दोपहर को भोजन करने के पश्चात ही हमें वहां से प्रस्थान करने की इजाजत दी| इस संस्था का अभ्यास दौरा करना रूहानी अनुभव है| प्रत्येक सिख को अपने जीवन में एक बार निश्चित ही इस पवित्र परिसर के दर्शन करना चाहिए| विशेष रूप से यहां के विनम्र कर्मचारी वर्ग द्वारा प्रदान की गई सेवाएं हृदय स्पर्शी थी| भविष्य में टीम खोज-विचार इस संस्था के मार्गदर्शन में अपनी पंथिक सेवाएं जारी रखकर गौरव महसूस करेगी| शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा किया गया यह उपक्रम निश्चित सिख विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हो रहा है| शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के इस उपक्रम को टीम खोज-विचार सादर नमन करता है| संस्था के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संपर्क करें—

मो. 8437700852, 7527056756, 9041620861

e_mail : [email protected] visit us : www.sggswu.edu.in

नोट:-1.’श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ के पृष्ठों को गुरुमुखी में सम्मान पूर्वक अंग कहकर संबोधित किया जाता है।

2. गुरबाणी का हिंदी अनुवाद गुरबाणी सर्चर एप को मानक मानकर किया गया है।

3. उपरोक्त लेख को शीघ्र ही टीम ‘खोज-विचार के अपने ब्लाॅग https://arsh.blog/ पर प्रकाशित किया जायेगा।

साभार– लेख में प्रकाशित गुरबाणी के पद्यों की जानकारी और विश्लेषण सरदार गुरदयाल सिंह जी (खोज-विचार टीम के प्रमुख सेवादार) के द्वारा प्राप्त की गई है।


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