अखंड भारत को एक सुत्र में बांधने वाली राष्ट्र भाषा हिंदी

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अखंड भारत को एक सुत्र में बांधने वाली राष्ट्र भाषा हिंदी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

प्रासंगिक–

हिंदी दिवस विशेष–

अखंड भारत को एक सूत्र में बांधने वाली राष्ट्रभाषा हिंदी

पूरे विश्व में सबसे अधिक बोली, पढ़ी, लिखी और समझी जाने वाली हमारी ‘राजभाषा’ हिंदी के प्रचार–प्रसार के लिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर के दिवस को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में पूरे देश में ‘हर्षोल्लास’ के साथ मनाया जाता है। 14 सितंबर सन् 1950 ई. को संविधान सभा में हिंदी को ‘राजभाषा’ का दर्जा दिया गया था। इसलिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के विशेष अनुरोध पर सन् 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। हमारे देश के प्रथम गणतंत्र दिवस 26 जनवरी सन् 1950 ई. को हिंदी को संविधान द्वारा आधिकारिक रूप से उपयोग करने के लिए स्वीकृत किया गया था।

इस विशेष दिवस पर सभी सरकारी कार्यालय, बैंक, विद्यालय, महाविद्यालय, सरकारी प्रतिष्ठान, गैर सरकारी प्रतिष्ठान और अलग–अलग राज्यों में हिंदी के प्रचार–प्रसार के लिए विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हमारे देश के जन–जन की भाषा हिंदी ने ‘अनेकता में एकता और विविधता’ को एक सूत्र में बांधने का बहु आयामी, अभूतपूर्व कार्य किया है। ‘हिंदी भाषा’ ने देश के विभिन्न राज्यों की भाषा ही नहीं अपितु उर्दू, फारसी, परशियन जैसी अनेक विदेशी भाषाओं को अपने में समाहित किया है। इस भाषा में एक ‘विशेष लचक’ है जो बहुसंख्य भाषाओं को अपने आप में समाहित कर लेती है। इसी कारण देश की लगभग 44% आबादी ‘हिंदी भाषा’ का उपयोग करती है। आज सोशल मीडिया में ‘हिंदी भाषा’ का उपयोग बहुत सहजता से किया जाने लगा है। इस कारण ‘हिंदी भाषा’ का विकास देश में बहुत तेजी से हो रहा है। व्हाट्सएप विश्वविद्यालय के कारण ‘हिंदी भाषा’ को एक अलग आयाम प्राप्त हो चुका है। सभी प्रकार के लेख,निबंध, पद्य,गद्य और कविताएं इस माध्यम से जन–जन को आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। सोशल मीडिया के कारण कई ऐसे ऐप विकसित हो चुके हैं। जो ‘हिंदी भाषा’ को बहुत ही सरलता और सहजता से सिखाते है।

इस संदर्भ में यदि सिख इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों का मंथन करे तो हमें ज्ञात होता है कि ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के पश्चात लोक–कल्याण और परोपकार के लिये सर्वधिक यात्राएं उनके नौवें उत्तराधिकारी ‘श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी’ ने की थी, इन यात्राओं में उनके करीबी साथी भाई सती दास जी हमेशा उनके साथ रहें थे, भाई सती दास जी फारसी, अरबी और ब्रज भाषाओं के उच्च कोटि के विद्वान थे, उस समय में चूंकि यह यात्राएं उत्तर भारत में संपूर्ण देश को एक सुत्र में बांधने के लिये एवम लोक–कल्याण के लिये की जा रही थी इसलिये जब भी गुरु पातशाह जी अपने मुखारविंद से गुरुवाणी उच्चारित करते थे तो उन वाणियों को तुरंत लिखकर, संभाल कर और उनका सरल शब्दों में अनुवाद कर, आम संगत में प्रचारित–प्रसारित किया जाता था, इस सरल भाषा के अनुवादित शब्दों ने उस समय से ही राष्ट्र भाषा हिंदी का रूप धारण किया अर्थात् राष्ट्र भाषा हिंदी की उत्पत्ति के प्रारंभिक दौर में भाई सती दास जी का हिंदी भाषा के विकास और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ‘गुरु पंथ खालसा’ के निर्मल संप्रदाय के महापुरुषों ने ‘गुरु पंथ खालसा’ की विविध प्रकार से सेवाएं की है, इस संप्रदाय के संत, महापुरुष अत्यंत विद्वान और अनेकों भाषाओं के जानकार हुये है, इन संत–महापुरुषों ने राष्ट्र भाषा हिंदी के माध्यम से देश की आजादी के आंदोलन में भाग लेकर, असहय, अकहे कष्टों को सहन कर देश को स्वतंत्र करवाने में अपना बलिदानी योगदान भी दिया है। इनमें से प्रमुख श्री मान संत बाबा महाराज सिंह जी, संत बाबा वीर सिंह जी नौरंगाबाद वाले और संत बाबा खुदा सिंह जी के नामों का विशेष उल्लेख करना होगा। इसी तरह से नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा देश की आजादी के लिये बनायी गई ‘आजाद हिंद सेना’ के सभी जाबांज सैनिक देश के विभिन्न भागों से थे और इनके वार्तालाप की भाषा भी राष्ट्र भाषा हिंदी थी। लिखने का तात्पर्य यह है कि देश की आजादी के आंदोलन में भी राष्ट्र भाषा हिंदी का अमूल्य योगदान है।

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण आज सभी विद्यालय और महाविद्यालय के विद्यार्थियों का शिक्षण सोशल मीडिया के माध्यम से प्रत्येक घरों में किया गया था। इस कारण भी हिंदी का प्रचार–प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है। आज के इस आधुनिक युग में विद्यार्थी हिंदी माध्यम से ‘इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी’ की नई–नई तकनीकों को सीख रहे हैं। यहां हमें हिंदी की शुद्धता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आजकल की आम भाषा में हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों का मिश्रण का एक नई अलग भाषा की उत्पत्ति हमारी युवा पीढ़ी कर रही है जोकि अत्यंत घातक है। ऐसे नए प्रयोग से हमें बचना चाहिए।

हमारे देश के फिल्मी उद्योग में ‘हिंदी भाषा’ के फिल्मी गाने, कविताएं, भक्ति गीत, संवाद, वीर रस से परिपूर्ण रचनाएं इत्यादि। इन सभी रचनाओं को हिंदी फिल्मों ने अजर–अमर बना दिया है। हिंदी फिल्मों से जुड़े सभी महानुभावों ने हिंदी भाषा को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी घर–घर तक ‘हिंदी भाषा’ का प्रचार–प्रसार किया है, विशेष रूप से हमारे फिल्मी गीतों और फिल्मी संगीत का इसमें अभूतपूर्व योगदान है। इस हिंदी फिल्म उद्योग ने देश के साहित्यकार, कलाकार, संगीतकार, दिग्दर्शन और इस उद्योग से जुड़े करोड़ों लोगों को रोजगार दिया है। इसका पूरा श्रेय ‘हिंदी भाषा’ को जाता है। हमारे कवियों ने अपनी अद्भुत रचनाओं से हिंदी भाषा को लोक भाषा में परिवर्तित कर प्रत्येक आम और खास की जुबान पर ला दिया है। इस भाषा में इतनी मिठास है कि इसे अधिकार पूर्वक बोलने वालों को ‘मृदभाषी’ के पर्यायवाची शब्द से भी पहचाना जाता है।

निश्चित रूप से हर राज्य की प्रादेशिक भाषा की अपनी एक अलग अस्मिता है, हमें अपनी मातृभाषा चाहे वो मराठी हो, पंजाबी हो, गुजराती हो या बंगाली हो, इन सभी पर विशेष अभिमान होना चाहिए। हमारे देश की लगभग सभी भाषाएं ‘देवनागरी लिपि’ पर आधारित है। इसलिए हमारी यह सभी भाषाएं एक दूसरे की पूरक भाषाओं के रूप में भी कार्य करती हैं। हमारे देश की फुलवारी के बगीचे में सभी प्रादेशिक,आंचलिक और लोक भाषाओं के विभिन्न फूल खिले हुए हैं। इन सभी फूलों को ‘हिंदी भाषा’ ने अपने धागे में पिरो कर एक सुंदर माला के रूप में तैयार किया है। भारत माता के गले में सुशोभित की हुई यह विभिन्न भाषाओं की माला हमारी ‘एकता में अनेकता’ के सूत्र को विशेष आयाम देती है।

‘हिंदी दिवस’ के विशेष मौके पर भारत सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष महामहिम राष्ट्रपति जी के द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी से संबंधित क्षेत्रों में विशेष कार्य करने के लिए ‘राजभाषा कीर्ति’ पुरस्कार और ‘राजभाषा गौरव’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। निश्चित ही ‘हिंदी भाषा’ ने राष्ट्रभाषा के साथ–साथ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक महत्व पर जोर देने का एक महान कार्य किया है। आज हिंदी भाषा से जुड़ा होना देश की जड़ों से जुड़े होने के समान है। यदि हमें अपने सांस्कृतिक जीवन मूल्यों को एकजुट रखना है तो ‘हिंदी दिवस’ उसके लिए एक अनुस्मारक का कार्य करता है। अनेकता में एकता, विविधता और देशभक्ति का मूल मंत्र हमारी अपनी ‘हिंदी भाषा’ है।

‘हिंदी दिवस’ पर स्वस्तिकामनाएं!

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