वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन प्रारंभ हो चुका है। आई.टी. कंपनी में नौकरी करने वाले जनेश जी घर बैठकर लगातार टीवी पर कोरोना संक्रमण के आंकड़े देख रहे है। रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के तरह–तरह के नुस्खे आजमाये जा रहे हैं। प्रधान सेवक और गोदी मीडिया की और से थाली और ताली बजाने का टास्क मिला है। अपनी सदनिका की छत पर जाकर सहपरिवार थाली और ताली बजाकर कोरोना संक्रमण से जूझ रहे डॉक्टर्स, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ और पुलिस–प्रशासन के प्रति अपनी सहानुभूति को प्रकट किया। फेसबुक पर प्रधान सेवक के गुणगान को बड़े जोशीले अंदाज से जनेश जी ने पोस्ट किया था।
इन गतिविधियों के चलते अब प्रधान सेवक की और से नया टास्क मिला है दीये जलाने का; जिसका गोदी मीडिया ने दिन–रात प्रसारण किया और जनेश जी ने सहपरिवार अपने घर की छत को दियो से रोशन कर कोरोना संक्रमण का मुकाबला दिवाली के रूप में करने की तैयारी कर ली। पड़ोस के काका ने उनसे पूछा कि हमने सुख–शांति के लिए सत्यनारायण की पूजा की है; क्या तुमने की है? जनेश जी ने बड़ी कटाक्ष और तुच्छ नजरों से पड़ोसी काका को देखा और दीये जलाने में मग्न हो गये।
घर में रहकर जनेश जी लॉकडाउन को त्यौहार की तरह मना रहे थे। जब वेतन से 30% की कटौती हुई तो जनेश जी को बड़ा झटका लगा। कोरोना संक्रमण के समय वेतन में कटौती नहीं करनी है ऐसा सरकार का सभी को आदेश था परंतु उस आदेश को कचरे की पेटी में डाल दिया गया था। अब जनेश जी भी सरकार की नाकामयाबी की दबी जबान से चर्चा करने लगे थे। जनेश जी के कार्यालयीन सहकारी कमलेश जी को कंपनी से निकाल दिया गया था। जनेश जी ने तुरंत केंद्र सरकार का सर्कुलर कमलेश जी को पोस्ट किया; सर्कुलर के अनुसार कोरोना संक्रमण के समय कोई भी कंपनी किसी को काम पर से नहीं निकाल सकती है कमलेश जी ने सर्कुलर को कंपनी के मानव संसाधन मैनेजर को पोस्ट किया परंतु कंपनी के मानव संसाधन मैनेजर ने उन्हें एक सर्कुलर फिर से पोस्ट किया जिसके अनुसार सरकार ने अपने आदेश को वापस ले लिया था।
कमलेश जी ने जनेश जी को फोन कर सत्ताधारी सरकार और प्रधान सेवक को बहुत बुरा – भला कहा। जनेश जी ने हिंदुत्व, अखंड हिंदू राष्ट्र, राष्ट्रवाद, और देशभक्ति के कई तरह के उदाहरण देकर कमलेश जी को समझाने का प्रयत्न किया परंतु जब कमलेश जी की फोन पर आवाज बढ़ने लगी तो जनेश जी ने गुस्से से फोन कट कर दिया।
कमलेश जी की नौकरी जाने के बाद जनेश जी हमेशा तनाव में रहने लगे और कंपनी से आये ई मेल को खौफ खाकर खोलते थे। इस चिंता में एक दिन जनेश जी ने कंपनी के प्रबंधक को फोन कर सीधा स्वयं की नौकरी के बारे में पूछ लिया। प्रबंधक ने कहा कि तुम्हारी नौकरी के बारे में अभी तक कुछ निर्णय नहीं हुआ है।
धीरे–धीरे लॉकडाउन समाप्त होने लगा पेट्रोल, गैस के दर रोज बढ़ने लगे। महंगाई आसमान को छूने लगी, घर का खर्चा चलाना दिन–ब–दिन मुश्किल होता जा रहा था। प्रधान सेवक के भावनात्मक आव्हान के पश्चात जनेश जी ने गैस की सब्सिडी को छोड़ दिया था और अब गैस सिलेंडरों के दरों में रोज वृद्धि होती जा रही थी 30 प्रतिशत वेतन पहले ही कम हो चुका था और सिर पर तलवार लटकी थी की वेतन और भी कम हो सकता है। बढ़ती हुई महंगाई से सभी हैरान थे आगे घर के खर्च का प्रबंधन कैसे होगा? यह चिंता सताए जा रही थी।
लॉकडाउन समाप्त हो चुका था जनेश जी ने अपने कार्यालय में जाना शुरू कर दिया था। कुछ दिनों के पश्चात ही के पास के टेबल पर बैठने वाले सहकारी तुषार जी ने जानकारी दी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बहुत कम हो गई है। इसलिए पेट्रोल और गैस बहुत सस्ता होना चाहिए परंतु इसके उलट देश में किमते दिन–ब–दिन बढ़ती जा रही है। तुषार जी बहुत रोष से बात कर जानकारी दे रहे थे कारण तुषार जी ने भी जनेश जी के कहने से गैस की सब्सिडी को छोड़ दिया था।
तुषार जी की देह बोली से ऐसा प्रतीत होता है कि वो जनेश जी से बहुत नाराज हैं। अब जनेश जी हमेशा तुषार जी से नजरें चुराकर अपनी कंप्यूटर स्क्रीन पर ध्यान देते थे।
कुछ दिनों पश्चात जनेश जी जब पेट्रोल पंप पर गये तो उन्हें पता चला कि पेट्रोल और डीजल की कीमत एक समान हो चुकी है। यह सुनकर जनेश जी का दिमाग खराब हो गया। जनेश जी ने 100 रुपये का पेट्रोल गाड़ी में डालकर आगे चौराहे पर साइड में गाड़ी खड़ी कर अपने डिक्की में से खाली बोतल को निकाला और गाड़ी का पेट्रोल बोतल में भरकर अपनी गाड़ी पर अच्छी तरह से छिड़काव किया एवं गाड़ी को आग लगाकर प्रधान सेवक और सत्ताधारी पक्ष को जोर – जोर से गालियां देने लगे।
अब जनेश जी जब भी मिलते हैं तो कभी भी अखंड भारत, हिंदू राष्ट्र और देश भक्ति की बात न करते हुये सपरिवार प्रधान सेवक और सरकार को अपशब्द कहते हैं।
आज देश बहुत ही खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। अंध भक्तों को भी धीरे–धीरे सच्चाई का एहसास हो रहा है। देश का दुर्भाग्य है कि विपक्ष कमजोर और लाचार है। जिसका परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
लोकतंत्र का चौथा खंभा मीडिया अब गोदी मीडिया बन चुका है। सही–सटीक और सच्ची खबरें देने वाले देश में गिने चुने पत्रकार बचे हैं। पुलिस–प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह है। आम आदमी के मन में डर बैठा दिया गया है कि यदि सरकार बदली होगी तो देश का इस्लामीकरण हो जायेगा। हमें समझना चाहिये कि यह देश केवल बाबा साहेब आंबेडकर के बने संविधान के अनुसार चलेगा। इस देश में पहले भी नहीं और कभी भी किसी धर्म का धार्मिक एजेंडा नहीं चलने वाला है। हमें अपने लोकतंत्र पर अपने संविधान पर भरोसा करना चाहिये; न की गोदी मीडिया और अंध भक्तों पर, हर नागरिक का प्रथम कर्तव्य है कि वह सरकार से प्रश्न पूछे और सरकार को भी अपने नागरिकों को उत्तर देना ही चाहिये। हमें अपने लोकतंत्र की ताकत को पहचानना होगा और अनेकता में एकता की विविधता को देशभक्ति का रूप देना होगा।
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