हम भारतीय अक्सर हमेशा वार्तालाप करते हैं कि आधुनिक विज्ञान के इस युग में भारतीयों का क्या योगदान है? हमारे वार्तालाप में हमेशा मार्क जुबेर,बिल गेट्स, टिम बर्नर्स और केविन सिस्ट्रोम जैसे लोगों का जिक्र होता है। आज पुरी दुनिया में फेसबुक, वाट्स एप,ट्विटर, इंस्टाग्राम और www.com जैसे माध्यम हमारी दिनचर्या के अभिन्न अंग हैं। इनके बिना विज्ञान की खोज,शिक्षा, व्यापार, चिकित्सा विज्ञान और आवागमन के साधन लगभग सभी कुछ असंभव है। आज पूरी दुनिया में ‘मल्टी ट्रिलियन डॉलर’ का व्यवसाय इंटरनेट पर आधारित है परंतु यह सब ‘इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी’ जिस इंटरनेट के ऊपर आधारित है, उस इंटरनेट के जनक हैं हमारे अपने भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर नरिंदर सिंह कपानी ! असल में आप को इस महान खोज के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए था परंतु इसका श्रेय आपको नहीं मिला। आप जी ने ऐसे किसी भी प्रसंग का अफसोस नहीं किया और रोज नित्य नई–नई खोजों में निरंतर लगे रहे। डॉक्टर नरिंदर सिंह कपानी की जीवनी एक सकारात्मक सोच की जीवनी है। डाॅ. कपानी भारत माता का वो सपूत है, जिसने पूरी दुनिया को अपनी खोज से समेट कर छोटा कर दिया है। आज के इस युग में इनकी खोज के बिना रोजमर्रा का जीवन संभव नहीं है।
आज हर घर में जो इंटरनेट पहुंचा है उस के जनक ‘डॉ नरिंदर सिंह कपानी’ बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के हैं। सिख हमेशा से ही मेहनती, ईमानदार और बहुआयामी रहे हैं। सिखों से बहुत सारी सफल उपलब्धियां जुड़ी हुई हैं। 31 अक्टूबर सन् 1926 को मोंगा (पंजाब) में जन्मे डॉ नरिंदर सिंह कपानी ऐसे ही एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। डॉक्टर कपानी एक किसान, वैज्ञानिक, उद्यमी, शिक्षाविद, प्रबंधक, व्याख्याता, प्रकाशक, परोपकारी, कलाकार और कला पारखी हैं। इनका जीवन अद्भुत है। अपने जीवन में अलग–अलग खोज कर 120 पेटेंट अपने नाम पर अंकित कर विश्व के मानस पटल पर एक उत्तम वैज्ञानिक की मोहर अपने नाम के आगे लगाई है। आप जी को ‘फाइबर ऑप्टिक के पितामह’ के रूप में जाना जाता है। इन्हीं के आविष्कारों के कारण आज आधुनिक विज्ञान में कई बायोमेडिकल, सौर ऊर्जा,लेजर और प्रदूषण पर निगरानी रखने वाले आधुनिक संयंत्र उपलब्ध है। आज अधिकतम तेज गति से इंटरनेट का आविष्कार डॉक्टर कपानी के द्वारा खोजी गई ‘फाइबर ऑप्टिक केबल’ है। आज इंटरनेट ट्रैफिक का 95 प्रतिशत डाटा ‘फाइबर ऑप्टिक्स केबल्स’ के द्वारा कुछ ही क्षणों में ट्रांसफर हो जाता है। ‘इंटरनेट’ के कारण आज मानव जीवन इतना सरल, सुगम और सुरक्षित हो गया है; इसका पुरा श्रैय डा.कपानी की खोज को जाता है।
हिंदी की कहावत ‘पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं’ को सार्थक करते हुए जब डॉक्टर कपानी को उनके पिता ने एक कोड़क का कैमरा उपहार स्वरूप दिया तो जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण आप जी ने कैमरे की कार्यविधि को देखने हेतु पूरा कैमरा खोल कर रख दिया। आप जी जब विश्वविद्यालय जीवन में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो शिक्षक ने कहा कि प्रकाश हमेशा से सीधी गति में यात्रा करता है। आप जी ने विज्ञान के इस धारणा को गलत साबित करने के लिए सन् 1954 में ‘फाइबर ऑप्टिक केबल’ का आविष्कार कर साबित कर दिया कि प्रकाश वक्र (curve) आकार में भी यात्रा कर सकता है। नई–नई खोजों के लिए डॉक्टर कपानी हमेशा उत्सुक रहते थे। आगरा विश्वविद्यालय से विज्ञान की डिग्री लेकर आप ने भारत सरकार के सेना के हथियार बनाने के कारखाने में ‘फाइबर ऑप्टिक’ संयंत्रों का डिजाइन एवं निर्माण किया था।
सन् 1953 में आप जी पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड में इन्हें आगे की पढ़ाई और शोध कार्य के लिए छात्रवृत्ति मिली। अपनी 18 महीने की पढ़ाई और शोध से ‘फाइबर ग्लास’ के माध्यम से प्रकाश और छवियों को प्रसारण करने के लिए कई शोध लेखों का प्रकाशन किया।
अपनी इन सफल खोजों के उपरांत आपने इसी विषय पर अपनी पी.एचडी. ‘इम्पीरियल कॉलेज ऑफ इंग्लैंड’ में पूरी कर अपने शोध कार्य को निरंतर गति प्रदान की। फाइबर ऑप्टिक्स का विश्व में सबसे पहला सफल प्रयोग आप जी ने ही किया था। विज्ञान की दुनिया में ‘फाइबर ऑप्टिक्स’ शब्द आप ही की देन है। पश्चात आप जी ने अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में अध्यापन का कार्य भी किया। अंत में आप जी अमेरिका के कैलिफोर्निया में ही स्थाई रूप से बस गए। आप जी ने कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन का कार्य किया आप जी एक शोध संस्थान COUNTER TERRORISM COMMITTEE EXECUTIVE DIRECTORATES (CTED) में लगभग 7 वर्षों तक डायरेक्टर भी रहे।
सन् 1999 ई. में विश्व प्रसिद्ध पत्रिका ‘फारच्युन’ ने आपकी शोध को पहचान कर विश्व में प्रसिद्धि के शिखर पर आपको पहुंचा दिया। इस पत्रिका में ऐसे सात प्रमुख वैज्ञानिकों का नाम प्रकाशित किया था; उनकी खोजों का परिणाम संपूर्ण इंसानियत के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण था। इन सात वैज्ञानिकों में डॉक्टर कपानी का नाम भी अंकित था।
सन 1960 ई. में ‘ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की एवं उसके 12 वर्षों तक चेयरमैन डायरेक्टर भी रहे। आप जी ने विश्वव्यापी व्यापार कर बहुत प्रसिद्धि पाई। सन् 1973 में CAPTRON नाम की कंपनी की स्थापना की और सन् 1990 ई. में इस कंपनी को एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिया। पश्चात आप जी ने K2 OPTRONICS नाम की कंपनी प्रारंभ की और इस कंपनी के माध्यम से लगातार शोध कर आप जी ने 100 से अधिक शोध पत्रों और चार पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है।
अपनी मां ‘कुंदन कौर’ द्वारा मिले संस्कारों की बदौलत आप जी ने शिक्षा,कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए स्वयं का अभूतपूर्व योगदान समाज को दिया है। आप जी महिला उत्थान के कार्यों के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं। आप जी ने इन सभी सामाजिक कार्यों को उत्तम तरीके से चलाने के लिए सन् 1967 ई. में ‘सिख फाउंडेशन’ नामक संस्था की स्थापना की। इस फाउंडेशन के माध्यम से आप जी ने सिख कला, संस्कृति को विश्व में पहचान देने के लिए ‘सिख फाउंडेशन’ के अंतर्गत एक अति विशाल संग्रहालय का निर्माण कैलिफोर्निया (अमेरिका) में किया है। इस फाउंडेशन के माध्यम से आप जी ने ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ का कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया है एवं सिख इतिहास से संबंधित कई पुरातन वस्तुओं के पुनर्निर्माण का अनोखा कार्य आप भी इस फाउंडेशन के माध्यम से इस 94 वर्ष की आयु में भी उत्तम तरीके से कर रहे हैं।
डॉक्टर कपानी जी द्वारा की गई खोजों के लिए एवं सामाजिक कार्यों के लिए आपको अनेक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से विभूषित किया गया है। हम भारतवासियों को डॉक्टर कपानी और उनकी खोजों पर हमेशा गर्व रहेगा। आप जी ने साबित कर दिया कि जिज्ञासु प्रवृत्ति कड़ी मेहनत और निरंतर प्रयास अद्भुत सफलता की कुंजी है। दीर्घायु और उत्तम सेहत के लिये आपको सभी भारतवासियों की और से शुभकामनाएं !
साभार– उपरोक्त लेख की कई महत्वपूर्ण जानकारी श्री मनीष कुमावत जी की ‘अनटोल्ड’ स्टोरी नामक यूट्यूब वीडियो क्लीप से प्रेरित है।
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