प्रसंग क्रमांक 38: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन यात्रा से संबंधित चक नानकी नगर के निर्माण (उसारी) का इतिहास।

Spread the love

19 जून सन् 1665 ई. के दिवस गुरु जी अपने संपूर्ण परिवार और संगत के साथ ग्राम ‘सहोटा’ के ऊंचे टीले पर पहुंच गए थे। इस स्थान पर गुरु जी और संगत के सहयोग से अमृत वेले (ब्रह्म मुहूर्त) में कीर्तन किया गया था। साथ ही कड़ाह प्रसाद की देग तैयार की गई थी। इस स्थान पर कैहलूर की रानी चंपा का राज परिवार और आसपास की सभी संगत पधारने लगी थी। भटवाईआं ग्रंथ में इसे ऐसे संदर्भित किया गया है–

श्री गुरु तेग बहादुर जी महला 9

बासी कीरतपुर साल 1722 आषाढ़ 21 सोमवार के देहों माखोवाल के ग्राम के थेह पै बाबा गुरदित्ता जी रंधावा बंश बाबा बुड्डा जी के दसत मुबार से नवें ग्राम की मोहड़ी गड्ड नौं चक नानकी रखा गुरु की गढा़ई की ॥

 अर्थात् बाबा बुड्डा जी के वंश में से मोहरी (नींव का पत्थर) गढ़ाई गई।

भाई गुरदित्ता जी के कर-कमलों से इस नगर की नींव को रखा गया था। बाबा बुड्ढा जी को ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के समय से लेकर वर्तमान नौवें गुरु के समय तक बहुत ही मान-सम्मान प्राप्त हुआ था। उनके पश्चात उनके वंश में आने वाली नवीन पीढ़ी को भी उतना ही आदर-सत्कार, मान-सम्मान गुरु घर से प्राप्त होता रहा था। प्रत्येक स्थान पर गुरु घर से इस पूरे परिवार को बक्शीशे प्राप्त होती रही थी परंतु इस परिवार ने कभी भी अभिमान नहीं किया था।

जब हम ‘श्री आनंदपुर साहिब जी’ की और जाते हैं तो मार्ग में इस स्थान पर गुरुद्वारा ‘भौंरा साहिब’ सुशोभित है। इसी स्थान पर ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ निवास करते थे। इस नगर में और भी ऐतिहासिक स्थान है। उन सभी स्थानों के इतिहास का जिक्र भविष्य के आने वाले प्रसंगों में संदर्भित होगा।

इस स्थान पर मोहरी गड्ड  (नींव पत्थर की रस्म) के पश्चात दीवान दरगाह मल जी के द्वारा अरदास (प्रार्थना) की गई थी। इसके पश्चात उपस्थित समस्त संगत में ‘धियावल’ (कड़ाह प्रशादि) की देग को बांटा गया था और इस नवीन नगर को ‘चक नानकी’ के नाम से संबोधित किया गया था।

यदि हम इतिहास को परिप्रेक्ष्य करें तो ज्ञात होता है कि ‘श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी’ ने स्वयं ही दरबार साहिब अमृतसर के नक्शे को तैयार किया था। ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने स्वयं इस नवीन नगर के निर्माण के पूर्व उन सभी नगरों का भ्रमण किया था, जो पूर्व के गुरुओं द्वारा आबाद किए गए थे। साथ ही आप जी को उन नगरों के नक्शों के संबंध में भी उत्तम जानकारी थी अर्थात ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ उत्तम वास्तु शिल्पकार थे।

इस नवीन नगर ‘चक नानकी’ का पूरा नक्शा गुरु जी ने स्वयं तैयार किया था। इस नक्शे में नगर के बाजार, मंडी, धर्मशाला, व्यापारिक प्रतिष्ठान और निवास स्थानों को नगर रचना के अंतर्गत समुचित रूप से प्रस्थापित किया गया था। साथ ही जात-पात के आधार पर रहने की कोई अलग से व्यवस्था इस नगर रचना में नहीं की गई थी।

गुरु जी ने मसंदों के द्वारा दूर-दराज के इलाकों में इस नवीन नगर की उसारी (निर्माण) की खबर को पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। जो भी इस नवीन नगर में आबाद होकर निवास करना चाहता है वह इस स्थान पर आकर आबाद हो सकता है। ऐसी सूचना ‘जाहिर आह्वान’ कर दूर-दराज के इलाकों में दे दी गई थी।

इस सूचना के अनुसार लोग अपने घर गृहस्थी के सामान के साथ ‘चक नानकी’ नगर में आबाद होना प्रारंभ हो गए थे। इस स्थान पर 24 घंटे लंगर के प्रबंध किये गए थे। शिल्पकार और कारीगरों ने आकर धीरे-धीरे इस नगर को आबाद करना प्रारंभ कर दिया था। बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान प्रारंभ हो गए थे। इस स्थान की मनोरम पहाड़ियों के मध्य लोगों के आवागमन से अच्छी खासी रौनक होने लगी थी।

इस स्थान से यात्रा करके जाने वाला रोपड़ निवासी एक फकीर पीर मूसा रोपड़ी ने जानना चाहा कि इस स्थान पर भवन निर्माण कार्य कौन करवा रहा है? कौन है वह जो इस निर्जन स्थान को आबाद कर रहा है? सिख सेवादारों ने पीर जी को उत्तर दिया था कि ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की नौवीं ज्योत पर इस समय वैराग की मूरत ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ विराजमान हैं और उनके मार्गदर्शन में इस नवीन नगर की उसारी (निर्माण) कार्य चल रहा है।

इस पीर मूसा रोपड़ी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह कैसे संभव है? कि एक वैरागी नगर की ऊंची-ऊंची इमारतों का भव्य निर्माण करवा रहा है। निश्चित ही इस स्थान पर विराजमान गुरु वैरागी नहीं होगा। जिस स्थान पर गुरु जी विराजमान थे उस स्थान पर पीर मूसा रोपड़ी ने उपस्थित होकर जो वचन गुरु जी से किये थे, उन सभी वचनों को और पीर जी की गुरु जी से हुए वार्तालाप को इस श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 39 में पाठकों को अवगत करवाया जाएगा।

प्रसंग क्रमांक 39: चक नानकी नगर के निर्माण (उसारी) के समय श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी और पीर मूसा रोपड़ी के मध्य हुये वार्तालाप का इतिहास।

KHOJ VICHAR YOUTUBE CHANNEL


Spread the love
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments