उज्जैन के जननायक श्री पारस चन्द्र जी जैन के अमृत वैभव पर्व (75 वें जन्मोत्सव) पर विशेष शुभकामना संदेश (20 जून 2025)-
जन्म, शिक्षा एवं व्यक्तित्व
सात दशकों से अधिक की विराट यात्रा में जनसेवा, धर्म-निष्ठा और दृढ़ नेतृत्व का जो स्वर्णिम समन्वय श्री पारस चन्द्र जैन जी ने रचा है, वह उज्जैन-वासियों ही नहीं, सम्पूर्ण मध्य-प्रदेश के लिए गौरव-गाथा बन चुका है।
जन्म व पारिवारिक संस्कार
20 जून सन 1950 ई. को श्वेताम्बर जैन कुल में जन्मे श्री जैन को पिता स्वर्गीय श्री समरथमल तलेरा जी की उद्यमशीलता और माता श्रीमती कैलाश बाई जी की तपस्या-परायणता (दो बार वर्षीतप) से सद्गुण-संस्कार विरासत में मिले। यही आध्यात्मिक माटी उन्हें आज भी ‘जनता का नेता’ बनाये रखती है।
शिक्षा व युवा काल
महाराजवाड़ा हाई-स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा के उपरान्त विक्रम विश्वविद्यालय के माधव कॉलेज से वाणिज्य-स्नातक करते हुए वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अग्रणी छात्र-नेता बने; विश्वविद्यालय कुश्ती चैंपियनशिप में दो बार खिताब जीत कर उन्होंने ‘पहलवान’ की उपाधि पाई। इसी काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर जनसेवा का संकल्प को उन्होंने स्थायी धर्म बना लिया, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी में उनके सुदीर्घ राजनीतिक सफर का आधार बना।
व्यावसायिक कौशल
राजेन्द्र एंटरप्राइजेज और तलेरा ट्रेडर्स जैसी प्रतिष्ठित अनाज-संस्थाओं तथा अत्याधुनिक आटा मिल की स्थापना कर उन्होंने उज्जैन मंडी की अर्थधारा को गति दी। यद्यपि दायित्वों की व्यस्तता उन्हें व्यापारिक परिसर से दूर रखती है, पर कर्मचारी-सहयोगियों के लिए आप प्रेरक आधार-स्तम्भ हैं।
परिवार व स्वास्थ्य-चेतना
वर्ष 1978 में महिदपुर-निवासी श्रीमती अंगूरबाला जैन संग वैवाहिक बंधन में बंध कर उन्होंने स्वाति (वरिष्ठ वित्तीय विश्लेषक, बेंगलुरु) एवं संदेश (स्वयं का सॉफ्टवेयर उद्योग, गुरुग्राम-इन्दौर) जैसे सुशिक्षित, संस्कारी सुपुत्र-सुपुत्री का मार्गदर्शन किया।
योग-प्रेमी ‘पहलवान’ जी प्रतिदिन प्राणायाम से ले कर ऐरोबिक्स तक 2000 सूर्य-नमस्कार का कीर्तिमान रच चुका है, और अपने प्राचीन अखाड़े में 300 से अधिक युवाओं को पारम्परिक-आधुनिक व्यायाम की दीक्षा देता है।
अभिनंदन-संदेश
समरसता के सुदीर्घ साधक, धर्म-सेवा के समर्पित प्रतिनिधि और राजनीतिक शुचिता के प्रतीक श्री पारस चन्द्र जैन जी के अमृत-वैभव पर्व पर सम्पूर्ण मालवा अंचल कृतज्ञ हृदय से मंगल- कामना करता है—
“आपकी दीर्घायु, ऊर्जा व करुणा से प्रेरित होकर प्रदेश विकास-पथ पर अक्षय गति पाए;
आपकी साधना-दीप्ति सदैव समाज को आलोकित करे।”
राजनीतिक जीवन की स्वर्णिम यात्रा
सांघातिक श्रम, संगठन में समर्पण और सेवा का संकल्प– यही वे आधार हैं जिन पर श्री पारस चन्द्र जैन जी का राजनीतिक जीवन प्रतिष्ठित और प्रेरक बन सका। युवावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर उन्होंने जो सामाजिक चेतना अर्जित की, उसी ने उन्हें जनसेवा की सक्रिय राजनीति में अग्रसर किया और भारतीय जनता पार्टी के साथ उनकी आजीवन निष्ठा का सूत्रपात हुआ।
राजनीतिक दायित्व और नेतृत्व
विगत कई वर्षों तक श्री जैन जी ने मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री, स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री, और कैबिनेट मंत्री के रूप में उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कीं। उनकी निर्णय-शक्ति, जन-संवाद एवं कार्यान्वयन क्षमता ने उन्हें जनमानस में आदर एवं विश्वसनीयता दिलाई।
उनके प्रमुख विभागीय दायित्व व कार्यकाल इस प्रकार हैं-
कैबिनेट मंत्री — स्कूल शिक्षा विभाग
दिसंबर 2013 से वर्तमान तक
विद्यालयी शिक्षा में नवाचार, अधोसंरचना विकास, गुणवत्ता सुधार एवं तकनीकी समावेशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका।
कैबिनेट मंत्री — खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
सितंबर 2012 से नवंबर 2013
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी व जनहितकारी बनाने में उल्लेखनीय योगदान।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) — खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
दिसंबर 2008 से सितंबर 2012
भंडारण, वितरण व उपभोक्ता अधिकारों की संरचना हेतु योजनाएं लागू कीं।
राज्य मंत्री — उच्च शिक्षा विभाग
सितंबर 2007 से दिसंबर 2008
महाविद्यालयीन शिक्षा में गुणवत्ता संवर्धन, पाठ्यक्रम सुधार व संस्थागत विकास।
राज्य मंत्री — स्कूल शिक्षा विभाग
दिसंबर 2005 से दिसंबर 2008
प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा में छात्र-हितैषी योजनाओं का संचालन।
राज्य मंत्री — वन विभाग
जून 2005 से दिसंबर 2005
वन्य-प्राणी संरक्षण, वनीकरण योजनाओं व पर्यावरणीय संतुलन हेतु प्रयास।
राज्य मंत्री — ऊर्जा विभाग
▪︎ जुलाई 2005 से दिसंबर 2005
ऊर्जा सुलभता, ग्रामीण विद्युतीकरण व वितरण सुधार की पहल।
जनहित में समर्पित नेतृत्व
राजनीति को केवल सत्ता का माध्यम न मानते हुए, श्री जैन जी ने “सेवा ही धर्म” की भावना को अपने सार्वजनिक जीवन की धुरी बनाया। चाहे शिक्षा हो, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण हो अथवा ऊर्जा — उन्होंने हर विभाग में दूरदर्शिता, ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ नेतृत्व किया।
अभिनंदन-संदेश
जन आकांक्षाओं के प्रतिबिम्ब, जनतंत्र के सजग प्रहरी और शासन-प्रशासन के अनुभवशील मार्गदर्शक श्री पारस चन्द्र जैन जी के अमृत वैभव पर्व पर हम सभी उनकी सुदीर्घ राजनीतिक यात्रा को नमन करते हैं—
“आपका कर्म-प्रवाह यूँ ही अविरल बहता रहे,
प्रदेश और देश को आपके अनुभवों से सदैव प्रेरणा मिलती रहे।”
जनसेवा का उज्जवल मुख
मध्य-प्रदेश मंत्रिमंडल के प्रभावशाली स्तम्भ श्री पारस चन्द्र जैन जी सरल स्वभाव, अडिग ईमानदारी और निर्भीक स्पष्टवादिता के कारण सत्ता पक्ष-विपक्ष सभी में समान रूप से सम्मानित हैं। देवास-मुरैना-भिंड में प्रभारी मंत्री रहते हुए तथा वर्तमान में नीमच-मंदसौर के निरीक्षण-प्रभार में उन्होंने प्रशासन और आमजन के बीच सुचारु सेतु बाँधते हुए जनकल्याण योजनाओं को गति दी।
विधायी जनप्रियता
उज्जैन-उत्तर से वे छह बार चुनाव लड़े और पाँच बार प्रचंड बहुमत से विजयी हुए, सन 1990, 1993, 2003 ( 16 हज़ार), 2008 ( 22 हज़ार) और 2013-वर्तमान ( 25 हज़ार मतों का रेकॉर्ड अन्तर से विजयी)।
सड़कों, प्रकाश-व्यवस्था, पेयजल-परियोजनाओं से लेकर शिक्षा-स्वास्थ्य अधोसंरचना तक, प्रत्येक क्षेत्र के हर विकास-कार्य में उनकी दूरदर्शिता की छाप दिखाई देती है। सहज पहुँच-योग्यता उनकी पहचान है; वे नियमित जनसुनवाई, अधिकारियों-समाजसेवियों से संवाद व त्वरित समस्या-निवारण को ही जनप्रतिनिधि-धर्म मानते हैं।
धर्मनिष्ठ जीवन-पथ
जैन दर्शन में रचित आस्था उनका आधार-शिलान्यास है।
- 12 वर्षों से निर्बाध चौविहार का पालन—देश-विदेश प्रवास में भी।
- 5 अठाई, अनेक नवपद होलीजी, पर्युषण के सालाना 8-दिवसीय एकासन व नित्य प्रतिक्रमण।
- 2006 के मोहनखेड़ा शताब्दी महोत्सव में राज्य-प्रभारी मंत्री का सफल दायित्व।
- देशभर के जैन महोत्सवों- सामूहिक विवाह, प्रतिष्ठा-पर्व, दीक्षा-उत्सव में उदार सहयोग एवं मुख्य-अतिथि-भूमिका।
तीर्थ-प्रेम और ‘संग-यात्राएँ’
सम्मेद-शिखर-पंचतीर्थी, क्षत्रुंजय-पालिताना, हस्तिनापुर, गिरनार, नाकोड़ा, मोहनखेड़ा, नागेश्वर, रणकपुर, माउंट आबू, मक्सी, देश के लगभग सभी प्रमुख तीर्थ वे स्वयं न केवल नमन कर चुके, बल्कि संग-यात्राओं का आयोजन कर जैन जनों को साथ ले जाकर सहिष्णुता का ज्योति पथ प्रशस्त किया।
संगठनों में प्रखर नेतृत्व
🔸 उपाध्यक्ष — अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद्
🔸 अध्यक्ष — राजेन्द्र शोध संस्थान, उज्जैन
🔸 अध्यक्ष — जैन समाज उत्थान ट्रस्ट
🔸 संरक्षक — जैन सोशल ग्रुप “डायमंड”, उज्जैन
धर्म-सम्बल, सामाजिक उत्तरदायित्व और प्रशासनिक कौशल का यह त्रिवेणी-समन्वय श्री पारस चन्द्र जैन जी को समग्र समाज में आदर्श कर्मयोगी की प्रतिमा देता है।
अमृत वैभव अभिनन्दन
महाकाल की नगरी, सम्पूर्ण मालवा-मध्य प्रदेश तथा देश-भर का जैन समाज आपके 75 वें जन्मदिन पर वंदन-नमन करता है–
“आपकी दीर्घायु जीवन-धारा जनसेवा, धर्म-प्रचार और विकास-यज्ञ को निरंतर समृद्ध करे।
महाकाल की कृपा से आपका तेज और यश चिरंजीवी रहे!”


