प्रसंग क्रमांक 14 : श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का बाबा-बकाला नामक स्थान पर निवास करते हुये आप जी की दिनचर्या से संबंधित इतिहास ।

Spread the love

भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’, ‘माता गुजर कौर जी’ और ‘माता नानकी जी’ ने ‘बाबा-बकाला’ नामक स्थान पर ‘भाई मेहरा जी’ के निवास को अपना स्थाई निवास बनाया था। कारण ‘भाई मेहरा जी’ को ‘श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी’ के दिये हुए वचनों के अनुसार गुरु परिवार ने इस स्थान को अपने निवास के लिए चुना था।

  इस निवास स्थान पर ही भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने स्वयं के उपयोग के लिए ‘गर्भगृह’ में एकांत स्थान निर्माण किया था। इस गर्भ गृह की यह विशेषता थी कि गर्मी के मौसम में यह स्थान ठंडक प्रदान करता था और सर्दियों के मौसम में गर्माहट प्रदान करता था। नैसर्गिक रूप से यह स्थान वातानुकूल था। इस एकांत स्थान में भक्ति, बंदगी और साधना करने के लिए किसी प्रकार का भी विघ्न  नहीं पड़ता था।

 इस एकांत स्थान ‘गर्भगृह’ में भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अपने जीवन का अधिकतम समय नाम स्मरण, बंदगी’ ईश्वर भक्ति और साधना में व्यतीत करते हुए ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे। वर्तमान समय में इस स्थान पर एक बड़ी ऊंची नौ मंजिली आलीशान इमारत गुरुद्वारा ‘भौंरा साहिब’ के रूप में स्थित है।

 इस स्थान पर भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ अमृतवेला (ब्रह्म मुहूर्त) से ही नितनेम,चबंदगी, प्रभु-स्मरण और ‘गुरमत संगीत’ अनुसार कीर्तन भी करते थे। आप जी ने ‘गुरमत संगीत’ के महान विद्वान ‘भाई बाबक जी’ से ‘गुरमत संगीत’ के 30 रागों की इस संगीत विद्या को अर्जित किया था। कीर्तन के द्वारा आप जी उपस्थित संगत को प्रभु के नाम और गुरुवाणी से जोड़ कर रखते थे।

 ‘अमृत वेले’ से ही आप जी धर्म की किरत करते थे। जो कि गुरबाणी का सिद्धांत है। जिसे गुरबाणी में इस तरह से अंकित किया गया है–

घालि खाइ किछु हथहु देइ॥

नानक राहु पछाणहि सेइ॥ (अंग 1245)

इस तरह से धर्म की किरत करते हुए संगत की ओर से जो ‘दसवंद (अपनी किरत-कमाई से के दसवें हिस्से को धर्म कार्यों के लिए दान में दी हुई रकम) दान स्वरूप में मिलती थी तो उस ‘दसवंद’ को आप जी लोक कल्याण और लंगर में खर्च करते थे। आप जी ने इस ‘दसवंद’ की माया (रकम) को कभी भी स्वयं के लिए उपयोग नहीं किया था।

 ‘महिमा प्रकाश’ नामक ग्रंथ की वाणीयों के अनुसार आप जी ‘तेग के धनी’ थे। शस्त्र विद्या में निपुण आप जी शिकार भी किया करते थे।  इस सारे इतिहास को ‘महिमा प्रकाश’ नामक ग्रंथ में इस तरह से उल्लेखित किया गया है–

जब कब कद चड़ शिकार प्रभ जावहि॥

नही लहै समां कोउ दरशन पावै॥

प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. फौजा सिंह से संदर्भित इतिहास में यह भी अंकित है कि आप जी के नाम से अंकित ‘तेगा शस्त्र’ आज भी पटियाला के ‘तौशा खाना’ में उपलब्ध है। बड़ौदा शहर (गुजरात) के अजायब घर में (जहां दशम पिता श्री गुरु  गोविंद सिंह पातशाह जी का ‘पंच कला’ नामक शस्त्र भी नुमाइश के लिए प्रदर्शित किया गया है) में भी भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ के शस्त्र नुमाइश के लिए प्रदर्शित किए गए हैं।  आप जी शस्त्र धारी होने के कारण शस्त्रों को चलाने का निरंतर अभ्यास करते थे। इस ‘बाबा-बकाला’ नामक स्थान पर आप जी हमेशा एकांत पसंद करते थे। गुरुवाणी का फरमान है–

कबीर जी घर 1

एक ओंकार सतिगुरु प्रसादि॥

संतु मिलै किछु सुनीऐ कहीऐ॥

मिलै असंतु मसटि करि रहीऐ॥1॥

बाबा बोलना किआ कहीऐ॥

जैसे राम नाम रवि रहीऐ॥1॥ रहाउ॥

संतन सिउ बोले उपकारी ॥

मुरख सिउ बोले झख मारी॥

बोलत बोलत बढ़हि बिकारा॥

बिनु बोले किआ करहि बीचारा॥

कहु कबीर छूछा घटु बोले ॥

भरिआ होइ सु कबहु न डोलै॥ (अंग 870)

अर्थात् जब कभी कोई भला इंसान मिल जाए तो उसके वचनों को सुन लेना चाहिए उनसे जीवन यात्राओं की दुविधाओं को पूछ लेना चाहिए और यदि कोई बुरा इंसान मिल जाए तो वहां पर चुप रहना ही सार्थक होता है। आप जी एकांत प्रिय तो  थे ही परंतु आप जी बहुत कम बोलते भी थे। आप भी हमेशा प्रभु-स्मरण और भक्ति में ही डूबे रहकर जीवन व्यतीत करते थे कारण आप जी ध्यानस्थ हो कर वह आत्मबल प्राप्त कर रहे थे; जो भविष्य में उन्हें भजन, बंदगी और भक्ति से ‘शहादत’ की और स्वयं के चरण चिन्हों को अधोरेखित करने के लिए आवश्यक था। इसे इतिहास में इस तरह से अंकित किया गया है–

धरम हेति साका जिनि किआ॥

शीशु दीआ पर सिरर न दीआ॥

अर्थात् भजन बंदगी से ‘शहादत’ के बीच का सफर बहुत ही ऊंचा और पवित्र मार्ग था। जिसके लिए ‘आत्मबल’ प्राप्त करने के लिए उस समय भक्ति करना अत्यंत आवश्यक था। इस प्रकार से भावी गुरु ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ बाबा-बकाला नामक स्थान पर निवास करते हुए पूरे भक्ति-भाव से अपना जीवन व्यतीत कर ‘आत्मबल’ प्राप्त कर रहे थे।

प्रसंग क्रमांक 15 : कीरतपुर में निवास करते हुये श्री गुरु हर राय साहिब जी का इतिहास।

KHOJ VICHAR YOUTUBE CHANNEL


Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *