550 साला श्री गुरु नानक प्रकाश यात्रा : एक ऐतिहासिक अध्याय
आरंभिक प्रस्तावना
सन 2019 का वर्ष पूरी मानवता के लिए एक अविस्मरणीय कालखंड रहा। इस वर्ष ने हमें सतगुरु श्री गुरु नानक देव जी के पावन 550वें प्रकाश पर्व का वह अनुपम अवसर प्रदान किया, जिसने संपूर्ण विश्व को गुरु-वाणी के दिव्य संदेशों से आलोकित कर दिया। भारतवर्ष के कोने-कोने में, और विदेशों तक फैली संगत ने, इस पर्व को आस्था, श्रद्धा और सेवा-भाव के अद्भुत संगम के रूप में मनाया।
इसी सुनहरे अवसर पर प्रबंधक कमेटी, गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब (बीदर) ने एक भव्य, ऐतिहासिक और अभूतपूर्व यात्रा का आयोजन किया, जो सदा के लिए स्मृति-पटल पर अंकित हो गई।
आयोजन और प्रेरणा
इस प्रकाश यात्रा का शुभारंभ तख्त सचखंड हजूर साहिब के जत्थेदार संत बाबा कुलवंत सिंह जी की आज्ञा से किया गया। उनके साथ संत बाबा नरिंदर सिंह जी, संत बाबा बलविंदर सिंह जी (प्रमुख जत्थेदार गुरुद्वारा लंगर साहिब, हजूर साहिब), पंज प्यारे साहिबान, और अनेक महापुरुषों ने भी विशेष मार्गदर्शन व आशीष प्रदान किए।
यात्रा की शोभा का केंद्र 350 वर्ष पुरातन हस्तलिखित ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ की पावन बिराज-मानता थी। इस अमूल्य धरोहर को एक विशाल, वातानुकूलित और दिव्य रथ में विराजमान कराया गया। विशेष रूप से डिजाइन किए गए इस रथ में सुंदर पालकी साहिब, हेड ग्रंथी जी और सेवादारों की सेवा हेतु सभी आवश्यक प्रबंध किए गए थे। उल्लेखनीय है कि परिवहन कार्यालय ने इस रथ को ऐतिहासिक पहचान देते हुए विशेष पंजीकरण संख्या “KA 38 B 550” प्रदान की थी।
सेवा और समर्पण
पूरी यात्रा के दौरान 50 से 60 समर्पित सेवादारों ने अपनी सेवाएँ गुरु-परंपरा और मर्यादा के अनुसार निभाईं। तख्त सचखंड से बाबा राम सिंह जी और बाबा शीतल सिंह जी ने भी तन-मन से सेवा कर इस आयोजन को महिमा-मंडित किया। पंज प्यारे साहिबान के साथ दो बसें और लगभग बारह अन्य वाहन निरंतर इस यात्रा की शोभा बढ़ाते रहे।
ऐतिहासिक शुभारंभ
यह पावन यात्रा 2 जून 2019 को गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब, बीदर से प्रारंभ हुई। श्री अखंड पाठ साहिब की समाप्ति, मूल मंत्र के पाठ, और पंज प्यारों सहित संत महापुरुषों की उपस्थिति में यात्रा का शुभारंभ हुआ। तेलंगाना की डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IPS) तेजदीप कौर मैनन की गरिमामय उपस्थिति, संगत के जयकारे और निशान साहिब के दर्शन के साथ यह महाआयोजन शुरू हुआ।
प्रकाश यात्रा का मार्ग
लगभग 97 दिनों तक यह ऐतिहासिक यात्रा भारत के 19 राज्यों और लगभग 250 नगरों से होती हुई, करीब 26,000 किलोमीटर का सफर सफलतापूर्वक तय कर 7 सितंबर 2019 को पुनः गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब, बीदर पहुँची—वही पावन स्थल जहाँ श्री गुरु नानक देव जी ने अपने चरण कमल रखकर दक्षिण भारत की धरती को पवित्र किया था।
उद्देश्य और प्रभाव
इस प्रकाश यात्रा का मूल उद्देश्य नानक नाम लेवा संगत को गुरु-वाणी के माध्यम से सांझी वालता (Universal Brotherhood) का संदेश देना था। सतगुरु नानक देव जी की अमर वाणी—
“नाम जपो, किरत करो, वंड छको”
—को जन-जन तक पहुँचाना ही इस यात्रा का ध्येय था।
यह यात्रा न केवल सफल रही, बल्कि इसने पूरे देश में सांस्कृतिक और धार्मिक मेल-मिलाप की ऐसी अलौकिक लहर उत्पन्न की जिसे शब्दों में बाँधना कठिन है। लाखों श्रद्धालुओं ने पावन दरबार के दर्शन कर स्वयं को धन्य किया। सेवा और भक्ति का एक अभूतपूर्व वातावरण पूरे मार्ग पर व्याप्त रहा।
सेवा की अनवरत परंपरा
गुरु नानक देव जी की कीरत कमाई और अटूट परंपरा के अनुसार, पूरी यात्रा के दौरान गुरु का लंगर सतत चलता रहा। हज़ारों-हज़ार सेवादारों की एक अद्भुत श्रृंखला तैयार हुई, जिसने यह प्रमाणित किया कि पंथ खालसा की विरासत सेवा और समर्पण में ही निहित है।
यह यात्रा वास्तव में एक ऐसा ऐतिहासिक अध्याय है, जिसने न केवल श्रद्धालुओं को भाव-विभोर किया, बल्कि गुरु-परंपरा को आधुनिक समय में भी जीवंत कर दिया।
550 साला श्री गुरु नानक प्रकाश यात्रा : विशेष झलकियाँ
संगत की आस्था और भाईचारे की मिसाल
यह महान यात्रा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सांझी विरासत और भाईचारे की अद्भुत गाथा थी। इस यात्रा के माध्यम से न केवल सिख संगत, बल्कि सिंधी समाज, मौना पंजाबी परिवारों और मुस्लिम भाईयों ने भी गुरु की वाणी और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन परंपरा के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की। उनकी आस्था और सेवा ने यह सिद्ध किया कि गुरु-वाणी सम्पूर्ण मानवता को जोड़ने वाली कड़ी है।
गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी ने इस यात्रा के द्वारा देश की एकता और अखंडता को नया बल प्रदान किया। हर स्थान पर यह अनुभव हुआ कि वाणी किसी विशेष वर्ग की नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की धरोहर है।
सेवा और मानवीय सहयोग की नई राहें
इस यात्रा ने पंथिक सेवादारों की एक मजबूत श्रृंखला तैयार की, जो समय आने पर समाज और कौम के लिए तत्पर रहती है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तब देखने को मिला जब पुणे (महाराष्ट्र) में धारा 370 हटने के बाद 32 कश्मीरी युवतियाँ कठिन परिस्थिति में फँस गईं। इन्हीं सेवादारों की निस्वार्थ सेवा और प्रयास से सभी युवतियाँ सुरक्षित अपने घरों तक पहुँचीं। इस कार्य की देश और विदेश में व्यापक सराहना हुई, जिसने इस यात्रा की सार्थकता को और भी उजागर किया।
नई पीढ़ी की श्रद्धा और योगदान
यात्रा के दौरान यह सुखद अनुभव हुआ कि नवयुवक और नवयुवतियाँ (विशेषकर छोटे शहरों और कस्बों के) गुरु-परंपरा और आध्यात्मिक जीवन के प्रति अद्भुत आस्था से जुड़े। बच्चों और महिलाओं का सहयोग भी अप्रतिम रहा। उनकी सक्रिय भागीदारी ने यात्रा को जीवंतता प्रदान की और गुरु नानक देव जी की वाणी को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया।
अनुशासन और व्यवस्था का अद्भुत उदाहरण
छोटे कस्बों और शहरों तक, जहाँ सिख परिवारों की संख्या नगण्य थी, वहाँ भी यात्रा पहुँची और संगत को दर्शन का लाभ दिया। प्रत्येक स्थान पर कथा-कीर्तन और गुरु का अटूट लंगर आयोजित हुआ।
देश भर के गुरुद्वारा प्रबंधक समितियों और संगत ने इस यात्रा को अनुशासन, समयबद्धता और सेवा-भाव के आदर्श रूप में सफल बनाया। यात्रा हर स्थान पर अपने तय समय पर पहुँची और सभी कार्यक्रम नियमानुसार सम्पन्न हुए।
यात्रा मार्ग की सेवा व्यवस्था
देशभर की संगत और गुरुद्वारा प्रबंधकों ने यात्रा के सेवादारों की सेवा को अपनी श्रद्धा का हिस्सा माना। सभी विश्राम स्थलों पर ठहरने और लंगर की व्यवस्था अनुकरणीय रही। यात्रा में सम्मिलित सभी वाहनों के ईंधन की व्यवस्था भी अधिकतर स्थानों पर संगत ने स्वयं की। विशेष रूप से दक्षिण भारत में, जहाँ गुरुद्वारे नहीं थे, वहाँ भी ढाबों और धर्मशालाओं में गुरु मर्यादा अनुसार लंगर परोसे गए। यह सेवा की वह परंपरा थी, जिसने यात्रा को और भी पवित्र बना दिया।
स्वागत और सत्कार की परंपरा
देशभर की संगत, गुरुद्वारा प्रबंधक समितियों, जत्थेबंदियों, देवस्थानों, संत-महंतों, सेवादलों और निहंग जत्थेबंदियों ने आपसी एकता और सहयोग से इस यात्रा का स्वागत किया। यह आपसी भाईचारे और पंथिक एकजुटता का अप्रतिम दृश्य था।
समापन और योगदान
लगभग 97 दिनों और 26,000 किलोमीटर की यह भव्य यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न होकर 7 सितंबर 2019 को गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब, बीदर पहुँची। इस सफलता के पीछे अनगिनत सेवादारों और संगठनों का त्याग और परिश्रम निहित था।
- प्रबंधक कमेटी गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब के अध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह जी और उनके साथियों ने दिन-रात तन-मन-धन से सेवा की।
- यात्रा के मुख्य संयोजक स. पुनित सिंह जी, स. परविंदर सिंह भाटिया (रायपुर वाले) और स. प्रदीप सिंह जी ने अपनी निष्काम सेवाओं से इस आयोजन को अभूतपूर्व सफलता दिलाई।
- स. पवित सिंह जी ने बीदर गुरुद्वारा साहिब से लेकर पूरी यात्रा तक देखरेख और सहयोग में अमूल्य योगदान दिया।
- यात्रा की रूपरेखा बनाने वाले स. मनप्रीत सिंह खंडुजा ने इसे सफलतापूर्वक साकार कर देशभर की संगत को एक सूत्र में बाँध दिया।
- इसके अतिरिक्त स. हरपाल सिंह रांजण, स. लौहार सिंह जी, स. अजीत सिंह जी, सतबीर वीर जी (हैदराबाद निवासी) तथा तख्त सचखंड हजूर साहिब नांदेड की प्रबंधक समिति और स. डी.पी. सिंह चावला जी का विशेष योगदान भी उल्लेखनीय रहा।
निष्कर्ष
550 साला गुरु नानक प्रकाश यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, भाईचारे और सेवा का जीवंत दस्तावेज है। यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है, जिसने यह संदेश दिया कि गुरु की वाणी केवल गायी नहीं जाती, बल्कि जीवन में उतारी भी जाती है।
इस यात्रा ने यह सिद्ध किया कि नाम जपो, किरत करो और वंड छको केवल शब्द नहीं, बल्कि मानवता को जोड़ने का अमर सूत्र है।





