हमारा युनाईटेड किंगडम का टूर (अंतिम भाग चार)
अनुभव लेखन, (अंतिम भाग चार)
(हमारा यूनाइटेड किंगडम का टूर)
(लोग आते है,स्मृतियों को सजोते है, रिश्तों को संवारते हुए चलते जाते है, इस जीवन से विचित्र और बेहतरीन कोई पर्यटन नही होता है शायद!)।
दिनांक 29/11/2022 ई. का दिन हमारे ग्रूप टूर का आखिरी दिन था। हम सभी ठीक समय से लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे के टर्मिनल 4 पर पहुंच गए थे| सभी ग्रूप के सदस्यों को विदाई देने के पश्चात में परिवार के साथ हीथ्रो हवाई अड्डे के समीप स्थित होटल डबल ट्री बाय हिल्टन में चेकइन हो गया था, ठीक उसी समय हमारे पुणे के युवा पीढ़ी के नायक हरप्रीत सिंह (प्रिंस) सलूजा हमसे मिलने हमारे होटल में आये, प्रिंस पिछले 20-22 वर्षों से लंदन में निवास कर रहा है और अपनी लगन–मेहनत के बल पर एवं अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से लंदन में उत्तम कार्य कर प्रत्येक सेवाओं में अग्रणी रहकर उसने एक अच्छा नाम कमाया है। प्रिंस अपने स्वयं के रेस्तरां से बना हुआ बेहतरीन भोजन का पार्सल हमारे लिए लाया था, साथ ही उसने बहुत अच्छी तरह से हमें समझाया कि लंदन में कहां और कैसे घूमना है? इस शहर की सार्वजनिक यातायात व्यवस्था बेहतरीन है। आप अंडर ग्राउंड मेट्रो और सार्वजनिक बस व्यवस्था के मिले–जुले संगम से शहर के किसी भी कोने में आसानी से पहुंच सकते हैं। वैसे तो लंदन सेंट्रल के आसपास ही सभी दर्शनिय स्थल मौजूद है, यहां पर पर्यटकों के लिए चलने वाली ब्लू और रेड कलर की डबल–डेकर बस से आप इस शहर के सभी प्रसिद्ध स्थानों को गाइड की मदद से आसानी से घूम सकते हैं। इस बस यात्रा का 24 घंटे के लिए टिकट 103 पाउंड है। जिसमें थेम्स नदी की फेरी, सभी देखने योग्य संग्रहालय की टिकट और लंदन आय की टिकट जुड़ी हुई है। बस सर्विस वाले 13 पाउंड केवल स्वयं के लिये चार्ज करते हैं। हर 10 मिनट में बस मिल जाती है, बस की दूसरी मंजिल ओपन है, इन सीटों पर बैठकर, कान में इयरफोन की मदद से दाएं और बाएं बनी हुई शहर की सभी खूबसूरत इतिहासिक इमारतें, चर्च, यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स की शानदार इमारतों को देखकर, इन के इतिहास को जानने के लिये हिंदी भाषा को चुनकर, हिंदी में इनके इतिहास को जान जा सकता हैं। इस बस सर्विस की मदद से हमनें शहर के लगभग सभी ऐतिहासिक स्थानों का अवलोकन किया। हमने स्थानों को अच्छी तरह से देख कर, इनके इतिहास को समझने की कोशिश की। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लंदन शहर में भयानक रूप से बमों से हमले किये गए थे, जिसके जंगी निशान आज भी इमारतों पर देखने को मिलते हैं। इन इमारतों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि युद्ध की विभीषिका कितनी भयानक होती है?
जब हम मुख्य संग्रहालय टावर ऑफ लंदन में गये, जहां पर महारानी के मुकुट पर कोहिनूर हीरा सुशोभित है एवं अन्य कीमती ऐतिहासिक वस्तुओं को भी इस संग्रहालय में संग्रहित किया है, उस समय मन में दुख हुआ और अफसोस से लिख रहा हूं कि हमारे पूर्वजों की विरासत के दर्शन करने हेतु आज हमें लंबी कतार में खड़े होकर उनकी टिकट खरीद कर, हम इसे देखने आये थे। काश हमने अपनी ऐतिहासिक विरासतों का ठीक से संवर्धन किया होता!
पूरा दिन लंदन शहर के विभिन्न स्थान जैसे कि– टावर ऑफ लंदन,लंदन ब्रिज, लंदन फेरी क्रुज़, बिग बेन, पिकाडैली सर्कल, सेंथ पाल कैथेड्रल, पार्लियामेंट स्क्वायर, वेस्टमिन्स्टर ऐबी, सेंट पॉल कैथेड्रल रॉयल एक्सचेंज, ट्राफलगर स्क्वायर, इत्यादि। इन स्थानों घूम कर हम शाम 5 बजे बर्किघम पैलेस पहुंच गये। यहां हमारे देखने का आखरी दर्शनीय स्थल था, दिनभर की भागदौड़ से खूब थकावट हो चुकी थी। सब कुछ अद्भुत–अद्वितीय देखने लायक था।
दूसरे दिन हम मैडम तुसां के अद्भुत संग्रहालय को देखने गए थे। सचमुच अकल्पनीय और अलौकिक है यह संग्रहालय! मोबाइल के कैमरे से फोटो निकाल–निकाल कर आप थक जाएंगे परंतु फोटोग्राफी के यह सुंदर स्पॉट समाप्त नहीं होते है, इस स्थान पर सचिन तेंदुलकर के मोम के पुतले के साथ निकाली फोटो निश्चित ही एक स्वर्णिम यादगार है। करीब 3 घंटे इस संग्रहालय में घूमने के पश्चात हम शहर के बड़े मार्केट ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पहुंच गए, जहां विश्व का सबसे महंगा माल SELF RIDGE & CO. को हमने देखा, साथ ही इस स्ट्रीट में प्रायमार्का करके बड़ा सुंदर माल है, जहां जरूरत की सभी वस्तुएं उत्तम दामों पर उपलब्ध है। इस मॉल के बाहर बने हुए बैठने के स्टैंड पर जब मैं इस सड़क की रंगीनियों को निहार रहा था तो मेरे समीप एक भद्र ब्रिटिश महिला आकर बैठी और धूम्रपान करने लगी उसके सिगरेट से उठते हुए धुएं से मैं परेशान होकर कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया था, उस महिला को जब यह समझ आया तो उसने सिगरेट के दो–तीन कश जल्दी–जल्दी लगाये और सिगरेट के बचे हुए हिस्से को पास के कचरे के डिब्बे में फेंक कर उसने मुझसे क्षमा मांगी और उसने मुझसे पूछा कि आप धुम्रपान नहीं करते हैं क्या? मैंने कहा कि मेरी उम्र 58 वर्ष की है और मैंने सिगरेट छोड़ो उसके पैकेट को भी आज तक हाथ नहीं लगाया है, उसने बड़े ही आश्चर्य मिश्रित भाव से मुझे देखा और मेरे साथ उसने अपने मोबाइल पर मेरी और उसकी एक फोटो निकाली और उसने कहा कि मैं इस घटना का जिक्र अपने बच्चों से करुंगी, (यह हमारी संस्कृति है)। इसी स्ट्रीट पर मुझे एक मनी चेंजर की शॉप नजर आई तो मैंने उत्सुकतावश भारतीय रुपयों की पाउंड में एक्सचेंज की कीमत जाननी चाही तो दुकान पर बैठी लड़की ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में मुझसे कहा कि ना हम भारतीय रुपए लेते हैं और ना ही हम भारतीय रुपए देते हैं! उसके यह शब्द तिक्ष्ण बाणों की तरह मन को भेद गए थे (इस संबंध में हमारे राजनेताओं को गंभीरता से सोचना चाहिए)। ऐसा नहीं है कि यहां लोग चिटींग नहीं करते है, यहां पर भी चिटींग होती है, हमें इसका एक अनुभव आया कि कुछ शॉपिंग करते समय हमें 5 पाउंड जो वापस किए गए वह सिसलिया पाउंड है, जो हमारे देश में एक्सचेंज नहीं होता है। अत, इन स्थानों पर सावधानी अत्यंत आवश्यक है। इस लंदन टूर के तिसरे और अंतिम दिन हमने स्थानीय साउथ हाल गुरुद्वारे में दर्शन किये और इस स्थान पर पुणे निवासी प्रिंस एवं उसका बड़ा भाई गुरविंदर जो कि 2 घंटे की ड्राइव कर हमसे मिलने आया था, इन दोनों भाइयों ने बड़ी ही आत्मीयता से मुलाकात की, इस गर्मजोशी मुलाकात के दौरान हमने मिलकर पुणे की भूतकाल की स्मृतियों को उजाला दिया और पश्चात प्रिंस के साथ हमारे एक और परिचित “नूरमहल” मिठाई की दुकान के मालिक जो की यहां के निवासी सरदार अमरीक सिंह जी से मिले जिन्होंने हमारा बड़ा ही आदर–सत्कार कर अपने मिठाई के शोरूम में चाय–नाश्ता करवाया और पास ही स्थित अपनी मिठाई की फैक्ट्री भी दिखाई। सरदार अमरीक सिंह जी ‘गुरु पंथ खालसा’ के सेवादार हैं, आप जी की पत्नी पंजाब के पटियाला शहर की है। पश्चात हमने प्रिंस के साथ इस स्थान के विंडसर किले को देखा, अद्भुत और अत्यंत खूबसूरत स्थान है यह! पश्चात हमने पास ही में स्थित प्रिंस के शानदार बंग्लों में दोपहर का भोजन कर, इस टूर की मधुर स्मृतियों को संजोते हुये अपने होटल से सामान लेकर, समय पर हीथ्रो हवाई अड्डे पहुंच गए थे। निश्चित ही इस टूर की सफलता में वीणा वर्ल्ड और प्रिंस का योगदान अतुलनीय है। सचमुच लंदन शहर की खूबसूरती का कोई जवाब नहीं है। यहां के नागरिकों का अनुशासन और उनकी जीवन शैली को सैल्यूट! जीवन में एक बार प्रत्येक व्यक्ति को लंदन जरूर जाना चाहिए और इस यात्रा के लिए सर्वोत्तम पर्याय है वीणा वर्ल्ड!
निश्चित ही यह विदेश यात्रा जीवन में नव–संजीवनी प्रदान करती है। वीणा वर्ल्ड के सहयोग से की गई इन विदेश यात्राओं की यशोगाथाओं का भविष्य के जीवन में विशिष्ट स्थान होता है। इन यात्राओं के माध्यम से हम स्वयं को और अपने देश की संस्कृति को एक पैमाने पर परख कर, समझने की कोशिश करते है। हमें दूसरे देश के नागरिकों से क्या सिखना चाहिये? साथ ही हमें अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सजाने की,संवारने की और संवर्धन करने की कौन सी भविष्य की जरूरत है? ऐसी यात्राओं से निश्चित ही स्पष्ट होता है। निश्चित ही यह विदेश यात्राएं जीवन में बिखरी हुई अनेक सभ्यताओं को जोड़ने की अनोखी दास्तान है। इन यात्राओं से पूर्व हमारे जीवन में इन सभ्यताओं का बहुत बड़ा हिस्सा अंधेरे की चादर में डूबा रहता है। निश्चित ही इन यात्राओं से इन सभ्यताओं को समझने के लिये एक नये उजाले की किरण प्राप्त होती है। इन ऐतिहासिक यात्राओं से वास्तव में कई जीवन गाथाओं से हमें रुबरु होने का मौका मिलता है। ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन, उनकी किस्सागोई और संस्कृतियों का संस्मरण एवं उनकी मधुर स्मृतियां जीवन में पुनः स्फुरण प्रदान कर एवं मनोवेगों के घनीभूत से उत्पन्न दबाव के उद्गारों को प्रकट करती है। इन वैश्विक पर्यटन स्थलों पर फैले हुए कुछ रुहानियत के अहसास, कुछ जिज्ञासाओं की आहटें है जो किसी अख्यान–विख्यान से कम नही है। निश्चित ही वैश्विक सभ्यताओं के विस्तृत फलक–सरोकारों के अनंत क्षितिज एवं सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तुलनाओं के विभिन्न आयामों का प्रकटीकरण होता है ऐसी पर्यटन यात्राओं से. . . .।
(समाप्त)।
✍️ डाॅ. रणजीत सिंह अरोरा ‘अर्श’ पुणे।© (14/11/2022 ई.)
000