संयुक्त परिवार

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संयुक्त परिवार

जीवन हारमोनियम के बटनों 🎹🎹🎹 की तरहां होता है,सुख की पट्टीयां सफेद रंग की, और दुख की पट्टीयां काले रंग की होती है परंतु खास बात यह है,कि दोनों एक साथ बजायेंगे, तो ही जीवन में सुरिले संगीत का निर्माण होगा और तबला पत्नी की तरहां होती है, सुख, दुख दोनों में बराबरी का साथ देती है,एवम डोरी खींच कर रखोगे तो सुरिली तान मिलेगी।

साथ ही इन सभी के मधुर मिलन से संयुक्त परिवार रूपी संगीतमयी महफिल काआन्नद प्राप्त होता है।

बच्चे श्रौता है, जो इस संगीतमयी महफिल का मुफ्त आन्नद लेते है।

राग,लय और ताल के समायोजन से जैसे उत्तम संगीत का निर्माण होता है, ठीक उसी प्रकार थोडा़ सा त्याग, एकजुटता और आपसी हमदर्दी से संयुक्त परिवार मिलकर तरक्की की बेमिसाल बुनियाद रखते है। शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत समयानुसार गायन की परंपराओं से उतार – चड़ाव को समायोजित कर गृहस्थ जीवन का निर्धारण होना चाहिये। ‘नित्य – प्रतिदिन की रियाज और गले को साफ रखने के लिये संयुक्त परिवार में कलात्मक भावनाओं का प्रयोग आलाप,मींड़, खटका, मुर्की, सरगम तान, बोलतान आदि रागों के समान होना चाहिये परंतु इन रागों से भावनाओं को प्रगट कर आपसी रिश्तों को अनोखी मजबूती प्रदान की जा सकती है। परिवार के बडो़ ने भी गुरमत संगीत के रहाओ की तुक के अनुसार सावधानीपूर्वक कदम उठाकर बच्चों से सामंजस्यपूर्ण व्यवहार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यदि हम बच्चों के उत्तम कार्यों को वाह – वाह की द‍ाद देकर प्रोत्साहित करें तो जीवन निश्चित ही मंगलाचरण के आलाप की तरहां मधुर होगा। जीवन को संगीतमय,मधुर, आनंदित और उत्साहित बनाने हेतु उस सरब कलां समर्थ की डंडोत वंदना अंतिम श्वांस तक निरंतर बनाये रखें। निश्चित ही जीवन जल प्रपात के झरने के द्वारा उत्पन्न कल – कल की ध्वनि की तरहां अविरत,अविरल,अविराम,आलोकित,आनंद की अनुभूति देने वाला होगा।


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