विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान का 28 वाँ अधिवेशन (20वाँ साहित्य मेला) की विस्तृत जानकारी–
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान का 28 वाँ अधिवेशन (20वाँ साहित्य मेला) संपन्नविश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान (मुख्यालय प्रयागराज, उत्तर प्रदेश) तथा हिन्दी विभाग, विश्वविद्यालय कॉलेज, मंगलुरु, कर्नाटक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय साहित्य अधिवेशन दिनांक 7 एवं 8 जून शुक्रवार एवं शनिवार सन् 2024 को संपन्न हुआ|
इस अधिवेशन का आयोजन रवीन्द्र कला भवन, विश्वविद्यालय कॉलेज हम्पनकट्टा, मंगलुरु, कर्नाटक में किया गया था| इस अधिवेशन की अध्यक्षता वरिष्ठ-वरेण्य साहित्यकार ओमप्रकाश तिवारी जी (कार्य अध्यक्ष विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान) ने की| यह महत्वपूर्ण जानकारी आयोजन के संयोजक एवं संस्था के सचिव डॉ० गोकुलेश्वर प्रसाद द्विवेदी जी ने प्रदान की|
अधिवेशन के प्रथम दिवस 7 जून दिन शुक्रवार को तीन सत्रो का आयोजन किया गया था| प्रथम सत्र का प्रारंभ सरस्वती वंदना एवं स्वागत नृत्य (सुश्री वैष्णवी) के द्वारा किया गया एवं प्रमुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन की रस्म अदायगी की गई| प्रथम सत्र में संस्था का उद्देश्य एवं संस्था के संबंध में जानकारी एवं उपस्थित अतिथियों का परिचय संस्था के सचिव डॉ० गोकुलेश्वर प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने प्रस्तावना भाषण में दी|
इस सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर गणपति गौड़ ने की| इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर बी. आर. पाल मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) एम. आर. पी. एल- ओ. एन. जी.सी. मंगलूर कर्नाटक उपस्थित थे| साथी ही विशिष्ट अतिथि डॉ० प्रेम तन्मय (सदस्य संसदीय हिंदी सलाहकार समिति कोल मंत्रालय बेंगलुरु) एवं श्री ओमप्रकाश तिवारी (कार्याध्यक्ष विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान) भी उपस्थित थे| इस सत्र में राजभाषा हिंदी के विकास एवं संवर्धन के लिए सभी मान्यवरों ने अपने विचार रखे|
अधिवेशन के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ-वरेण्य साहित्यकार श्री ओमप्रकाश तिवारी त्रिपाठी जी (सदस्य किशोर न्यायालय सोनभद्र, उत्तर प्रदेश) ने की| इस सत्र के विषय– हिंदी साहित्य में वृद्ध विमर्श पर सभी मान्यवरों ने उद्बोधन कर अपने विचारों को रखा|
अधिवेशन के तीसरे एवं अंतिम सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था | इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर मंजूनाथ एन. एबिंग (कुलसचिव प्रभारी उच्च शिक्षा और शोध संस्थान दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा मद्रास तमिलनाडु) उपस्थित थे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर सुकन्या मेरी (प्राचार्य श्री पूर्ण प्रज्ञा संध्या महासचिव उडुपी कर्नाटक) भी उपस्थित थी|
कार्यक्रम के दूसरे दिवस 8 जून शनिवार 2024 को संस्था की ओर से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन के लिए कार्य करने वाले देश के विभिन्न साहित्यकारों/विद्वानों का सम्मान/उपाधि, निम्नलिखित साहित्यकारों को मंच पर आमंत्रित कर सम्मान पूर्वक आसिन कर, उन्हें प्रमाण पत्र/स्मृति चिन्ह एवं कर्नाटक राज्य की लोक संस्कृति के अनुसार दुशाला पहनाकर सम्मानित किया गया| इस श्रृंखला के अंतर्गत संस्था की ओर से “समाज श्री” की उपाधि से प्रोफेसर मुरलीधर नायक, कर्नाटक को दिव्यांग बच्चों के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा करने हेतु सम्मानित गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “अति विशिष्ट हिंदी सेवी” सम्मान (मरणोपरांत) के रूप में सु श्री बी.एस. शांताबाई, कर्नाटक को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “राष्ट्रभाषा सम्मान” के रूप में डॉ० नयना डेलीवाला, गुजरात को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “श्रीमती राजरानी देवी स्मृति बचपना सम्मान” के रूप में सुश्री यशिका चतुर्वेदी राजस्थान को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “श्री मुखराज माकड़ सम्मान” के रूप में श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव, छत्तीसगढ़ को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “कैप्टन तुकाराम रोड़कर सम्मान” के रूप में श्री राकेश कुमार श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “डॉ० शहाबुद्दीन शेख” के रूप में श्री ओमप्रकाश तिवारी जी, उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “श्री नारायण राव रामटेके सम्मान” के रूप में डॉ० रणजीत सिंह अरोरा ‘अर्श’, महाराष्ट्र को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “हिंदी सेवी सम्मान” के रूप में डॉ० जी. एस. सरोजा को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “विहिसा श्री सम्मान” के रूप में डॉ० सरस्वती वर्मा, छत्तीसगढ़ को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “आखर कलश सम्मान” के रूप में डॉ० सीमा वर्मा, उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “राष्ट्रभाषा सम्मान” के रूप में डॉ० नजमा बानू, गुजरात को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “सुश्री बी. एस. शांता बाई सम्मान” के रूप में डॉ. सुमा टी. आर. कर्नाटक को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “राजरानी देवी सम्मान” के रूप में श्रीमती मनी बेन द्विवेदी उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “हिंदी सेवी सम्मान” के रूप में डॉ० रश्मी बी. वी., कर्नाटक को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “संस्कार गौरव 2023 सम्मान” के रूप में श्रीमती संतोष शर्मा ‘शान’, उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “श्री पवहारी शरण द्विवेदी स्मृति न्यास द्वारा हिंदी सेवी सम्मान” के रूप में डॉ० नवनाथ रघुराम जगताप को सम्मानित किया गया|
इसी श्रृंखला में संस्था की ओर से “लघु कथा सम्राट” के रूप में डॉ० सीमा वर्मा लखनऊ, उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया गया|
अधिवेशन के अंतिम सत्र का स्वागत भाषण श्रीमती वैशाली सालियान मंगलुरू, कर्नाटक ने किया| अधिवेशन के विभिन्न सत्रों का सूत्र संचालन डॉ० गोकुलेश्वर प्रसाद द्विवेदी, डॉ० सरस्वती वर्मा, डॉ० कृष्णा मनी श्री इत्यादि मान्यवरों ने किया| अधिवेशन के आयोजन में डॉक्टर नागरत्न एम राव, श्रीमती वैशाली सालियन, डॉक्टर रश्मि बी.वी., डॉ तसलीमा, मंजरी गाडगिल सबिता करकेरा कुसुम के आर, वैजनि, रामकृष्ण के एस, कुमारी वैष्णवी, कुमारी आशिका राय, कुमारी अस्मिता शुक्ला ने विशेष सहयोग कार्यक्रम को भव्य-दिव्य और सफल बनाया| कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन डॉ० सोमा टी. आर ने किया| कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत के द्वारा किया गया|
(संक्षिप्त परिचय) कैप्टन तुकाराम रोडकर–
स्व० कैप्टन तुकाराम रोडकर का जन्म 01 जुलाई सन 1937 ई. को कर्नाटक राज्य के तेरदाल नामक गांव, पजला बागलकोट, तालूक जमखांडी में हुआ था। घर के माली हालात अच्छे नहीं थे। पढाई के साथ-साथ वे मिट्टी ढोनें का भी काम करते थे।
डॉ० बाबा साहेब आंबेडकर के भाषण सुनने व उनके दर्शन के लिए अपने गाँव तेरदाल से दोस्तों के साथ 60 कि.मी. दूर निपाणी नामक स्थान पर गए। उन पर बाबा साहेब के भाषण का इतना प्रबल प्रभाव पड़ा कि वे 12 सितंबर सन 1956 ई. को घर में किसी को बिना बताए महार रेजिमेंट में सम्मिलित हो गए। उन दिनों देश की
सेवा के लिए नौजवानों की बहुत जरूरत थी। सिपाही से शुरु कर सफलता की सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते कैप्टन बनकर 31 मई सन 1965 ई. को सेना से सेवानिवृत्त हो गए।
सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने गांव तेरदाल में खेती करने लगे और खेती करने के साथ-साथ समाज सेवा के लिए अपने जीवन को अर्पित कर दिया। आज भी उन्हें गांव के लोग जय जवान-जय किसान कहकर संबोधित करते हैं। 23 जुलाई सन 2013 ई. को उनका देहान्त हुआ। उनकी स्मृति में ही उनकी पुत्री डॉ० सुमा टी. आर द्वारा संस्थान के पहल पर यह सम्मान किसी सेनानी या समाजसेवी को सन 2023 ई. से देने की शुरुआत की गई है।
(संक्षिप्त परिचय) श्री नारायण राव रामटेके–
2 अगस्त सन 1637 ई. को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले सास्ती नामक ग्राम में हुआ था। आप भिलाई इस्पात सयंत्र में 35 वर्षों तक उच्च पद पर कार्यरत थे। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री रामटेके जी को मराठी, हिंदी, उर्दू, तेलुगु भाषाओं पर उनका प्रभुत्व था। फाइन आर्ट्स में उन्हें महारत हासिल थी। आप बहुत सुन्दर कलाकृतियां बनाते थे। आप विभिन्न कलाओं के धनी थे। साथ ही पाक कला में रूचि रखने के कारण बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाते थे। प्रकृति प्रेमी श्री रामटेके जी जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए डगमगाए नहीं। बेटियों को बोझ समझे जाने वाले समाज में अपनी चार बेटियों को पढ़ा लिखाकर उच्च पदों पर काबिज कराया। धार्मिक प्रवृत्ति के धनी श्री रामटेके जी का मूल सिद्धांत था आत्मनिर्भर बनो, परावलम्बी नहीं। सभी धर्मों का समान आदर करने वाले श्री रामटेके जी मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने, समझने की, एक दूसरे के सुख-दुख में काम आने की शिक्षा देते रहे।
(संक्षिप्त परिचय) श्रीमती राजरानी देवी–
श्रीमती राजरानी देवी जो विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान की संस्थापक संरक्षिक रही। आप जी 15 जून से सन 1966 ई. से लेकर 25 मार्च सन 2017 ई. तक संस्था की संरक्षित के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान करती रही| आप जीवन भर बच्चों से प्रेम करती रही। जब से संस्थान से जुड़ी आप हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर, बच्चों को आगे लाने के लिए प्रयास करती रही। बहुत सी बाल प्रतिभाओं को निखारने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही
(संक्षिप्त परिचय) सुश्री बी०एस०शांताबाई–
सन 2017 ई. से विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान की संरक्षिक रही। कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति की प्रधान सचिव रही। अपनी पूरी सम्पत्ति बेचकर आजीवन कुंवारी रहकर हिन्दी की सेवा में अपने आपको समर्पित कर दिया। करुणा और त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति सुश्री बी०एस० शांताबाई का निधन 15 मार्च सन 2024 ई. को हो गया।
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