रेडियो के अभिनव युग का अंत  

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(रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी को विनम्र श्रद्धा सुमन)

रेडियो का आविष्कार इटालियन वैज्ञानिक ‘गुग्लिएल्मो मार्कोनी’ ने सन् 1895 ई. में किया था।‌ भारत में पहला रेडियो स्टेशन मुंबई में निर्मित हुआ एवं उसका उद्घाटन 23 जुलाई सन् 1927 ई. को हुआ था।

अपने जमाने में रेडियो के गोल बटन से कांटे को आगे-पीछे बड़ी सफाई से घुमाकर मुश्किल से रेडियो सिलोन को लगाना 10वीं की बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंको से पास होने के बराबर माना जाता था।

मधुर मिठास गानों के अनेक कार्यक्रम रेडियो सिलोन पर श्रवण करना, रेडियो प्रेमियों के लिए मानों एक उत्सव होता था। खासकर ‘बिनाका गीतमाला’ सुनना ‘सोने में सुहागे’ के जैसा था। रेडीयो का एक जमाना था।‌ घर में रेडियो का होना रईसी का प्रतीक माना जाता था। पुराने समय में बहुत ही कम रेडियो के केंद्र होते थे। प्रमुख रूप से ऑल इंडिया रेडियो का केंद्र होता था। ऑल इंडिया रेडियो के अतिरिक्त ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बी.बी.सी.) और रेडियो सिलोन विदेशी रेडीयो केंद्र भी प्रसिद्ध थे। हिंदी सिनेमा के गीत-संगीत का महत्व विविध भारती के बहुत पहले से ही रेडियो सिलोन ने समझ ली थी एवं इन गीत-संगीत पर आधारित अनेक प्रसिद्ध कार्यक्रम रेडियो सिलोन से प्रसारित होते थे। हमेशा जवां गीत, अनोखे बोल, पुरानी फिल्मों के गीत, ऐसे अनेक कार्यक्रमों को रेडियो सीलोन से प्रसारित कर श्रोताओं के दिल में अपनी एक विशेष जगह बना ली थी और इन कार्यक्रमों के उद्घोषक बाल गोविंद श्रीवास्तव, गोपाल शर्मा, मनोहर महाजन, शिव कुमार सरोज, हसन रिजवी, मानो हर घर के अपने ही सदस्य प्रतीत होते थे। सप्ताह के एक ही दिन एक ही समय पर श्रृंखला अनुसार लगातार 42 वर्ष प्रसारित होने वाले ‘बिनाका गीतमाला’ अपने आप में अनोखी मिसाल है और इसके उद्घोषक ‘अमीन सयानी’ इस कार्यक्रम के अभूतपूर्व शिल्पकार माने जाते हैं।

भारत जैसे विशाल देश में निर्मित होने वाली लोकप्रिय फिल्मों के गीत-संगीत के बेमिसाल शानदार कार्यक्रम एक दूसरे छोटे से देश के रेडियो केंद्र से प्रसारित होना रेडियो के युग में एक अलग ही उदाहरण है। इसका कारण बहुत ही अलग था आजाद भारत के सूचना प्रसारण मंत्री बी. वी. केसकर पुराने ख्यालों के थे और फिल्मों के बारे में उनका संकुचित दृष्टिकोण था। आजाद भारत में हिंदी गीत-संगीत का स्वर्णिम युग का प्रारंभ हो चुका था। उस समय अनेक लोकप्रिय फिल्मी गीतों का उदय हुआ लेकिन सूचना प्रसारण मंत्री जी यह मानते थे कि फिल्मी गीतों से हीन भावनाओं का निर्माण होता है इस कारण फिल्मी गीतों को ऑल इंडिया रेडियो पर ‘तरज़ीह’ नहीं दी गई। आल इंडिया रेडियो से केवल शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत एवं सुगम संगीत का ही प्रसारण होता था यह प्रशासन का भी आदेश था। रेडियो सिलोन ने रेडियो को मनोरंजन का साधन बनाते हुए हिंदी फिल्मी गीतों का प्रसारण प्रारंभ किया था। इसलिए भारतीय श्रोता स्वयं से ही आकाशवाणी को छोड़ रेडियो सिलोन से जुड़ते चले गए शायद इसीलिए डॉक्टर बी. वी. केसकर (पूर्व सूचना-प्रसारण मंत्री) को रेडियो सिलोन का जनक माना जाता है।

‘बिनाका गीतमाला’ के जन्म की कथा भी बहुत रोचक है। रेडियो सिलोन पर उस समय ‘हिट परेड’ नामक एक प्रसिद्ध अंग्रेजी कार्यक्रम प्रसारित होता था। कंपनी चाहती थी कि इसी तर्ज पर हिंदी के श्रोताओं के लिए एक कार्यक्रम प्रसारित किया जाए एवं इस कार्यक्रम की पूर्ण जवाबदारी ‘अमीन सयानी’ जी के सुपुर्द की गई। एक टूथपेस्ट और टूथब्रश के विज्ञापन हेतु इस कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया।‌ जिसे कालांतर में हिंदी फिल्मी गीतों के स्वर्णिम कार्यक्रम की एक अनोखी पहचान मिली।

 3 दिसंबर सन् 1952 ई.  बुधवार के दिन रात 8:00 बजे से 8:30 बजे तक ‘बिनाका गीतमाला’ का पहला कार्यक्रम प्रसारित हुआ, जो बाद में निरंतर सन् 1994 ई. तक उसी समय और उसी दिन हफ्ते में एक बार प्रसारित होता रहा। श्री ‘अमीन सयानी’ इस एकमात्र उद्घोषक ने इस कार्यक्रम का लगातार 42 वर्ष सूत्र-संचालन किया था जो कि अपने आप में विश्व रेकार्ड है। प्रारंभ में कार्यक्रम की लोकप्रियता के लिए ‘अमीन सयानी’ शंकीत थे परंतु लगातार पत्रों की आई ‘सुनामी’ ने इस कार्यक्रम को सफलता के अभूतपूर्व पायदान पर खड़ा कर दिया था। गानों की लोकप्रियता के हिसाब से उनका वर्गीकरण और बहुत ही रोमांचक ढंग से गानों का प्रस्तुतीकरण ने इस कार्यक्रम की सफलता को चार चांद लगा दिए थे। ‘अमीन सयानी’ निर्मित श्रोता संघ में आए पत्रों की मदद से एवं रिकॉर्डस की बिक्री के आंकड़ों से गानों की लोकप्रियता का निर्णय लिया जाता था। जो भी गीत ‘बिनाका गीतमाला’ में प्रसारित होते थे उनके रेकार्डस की बिक्री अपने आप में एक रिकॉर्ड हुआ करती थी। इससे ही इस कार्यक्रम की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस कार्यक्रम में ईमानदारी से ‘अमीन सयानी’ द्वारा संपादित फिल्मी गानों के रिकार्ड्स एच.एम.वी. कंपनी तैयार  करती थी और ‘अमीन सयानी’ जी को विशेष निवेदन किया जाता था कि इन संपादित गानों की सूची को पहले से ही कंपनी को दे दी जाए जिससे कंपनी समय पर रिकार्ड तैयार कर सके। ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम हिंदी फिल्मी गीतों की अपने आप में ऐतिहासिक धरोहर बनती जा रही थी। इससे पहले और इसके बाद फिल्मी गीतों को इतना विश्लेषित कर किसी ने भी संग्रहित नहीं किया था। इस कार्यक्रम के उद्घोषक ‘अमीन सयानी’ ने अपने वाक्यों को श्रोताओं  के सामने विशेष ढंग से प्रस्तुत  करने के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे। उनके द्वारा कहे गए वाक्य की ‘आज की अगली पायदान’ पर या ‘इस फिल्मी गाने ने धूम मचाई है’। ये ऐसे अमर-अजर वाक्य हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है। फिल्म ‘सपनों के सौदागर’ के लिए अभिनेत्री हेमा मालिनी के लिए उनके द्वारा उद्घोषित शब्द ‘ड्रीम गर्ल’ ने हिंदी फिल्मी जगत में धूम मचा दी थी और वो शब्द की सार्थकता आने वाले समय में सिद्ध हुई थी।

‘बिनाका गीतमाला’ की लोकप्रियता का पूरा श्रेय उद्घोषक ‘अमीन सयानी’ को है। जिन्होंने अपनी अभूतपूर्व विशिष्ट आवाज से इस कार्यक्रम के सूत्रसंचालन को अनोखा आयाम दिया था। उनके द्वारा भावनाओं से प्रेरित वाक्य ‘संगीत की दुनिया के दोस्तों’ या ‘मेरे प्यारे भाइयों और बहनों’ ऐसे अपने पन की भावनाओं से प्रेरित और तत्पश्चात अपनी विशिष्ट शैली की आवाज से एक अनुशासित, प्रमाणित सूत्रसंचालन ने श्रोताओं को एक असीम बंधन में बांध कर रखा था। इस कार्यक्रम के अतिरिक्त ‘अमीन सयानी’ ने और भी दूसरे अनेक कार्यक्रमों का सूत्र-संचालन किया था। एस. कुमार का ‘फिल्मी मुकदमा’ इसमें से प्रमुख है। इसके साथ ही ‘अमीन सयानी’ ने ‘यह दिल किसको दूं’ और सावन कुमार की ‘हवस’ फिल्म में भी सह लेखन का कार्य  किया था परंतु लेखन के कार्य में उनका मन रमा नहीं और वह अंत तक रेडियो पर ही रहे। सन् 1953 ई. के पहले ‘बिनाका गीतमाला’ के वार्षिक कार्यक्रम में ‘चोटी  के पायदान पर सी. राम और लता जी द्वारा गाया हुआ गीत फिल्म अनारकली से ‘यह जिंदगी उसी की है जो किसी का हो गया’ था और पश्चात 25 अक्टूबर सन् 1972 ई. को जब  ‘बिनाका गीतमाला’ का 1000 वां कार्यक्रम संपन्न हुआ तो चोटी के पायदान पर आशा जी और पंचम का गाया गीत फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा का ‘दम मारो, दम मिट जाए गम’ था। इससे स्पष्ट होता है कि इन 20 वर्षों में श्रोताओं की अभिरुचि में कितना बड़ा मौलिक परिवर्तन आया था।

 यदि पाठकों को ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम की सचित्र विस्तार से जानकारी लेनी हो तो फिल्मों में संगीत के विशेषज्ञ श्री अनिल भार्गव रचित ‘गीत माला का सुरीला सफर’ पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए।

 सन् 1988 ई. में  रेडीयो सिलोन ने ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम को बंद करने का निर्णय लिया तो इस कार्यक्रम को विविध भारती पर ‘संगीत माला’ के नाम से प्रक्षेपित किया जाने लगा कालांतर में इसी कार्यक्रम का  ‘सिबाका गीत माला’ के नाम से नामकरण किया गया और अंत में सन् 1994 ई. को इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया। आज उद्घोषक ‘अमीन सयानी’ जी का जन्म 21 दिसंबर सन 1932 ई. में मुम्बई में हुआ था, आप निर्विवाद रूप से रेडियो की दुनिया के सर्वोत्तम सूत्र संचालक रहे और उनकी यह पहचान अभी तक बनी हुई है। आने वाली पीढ़ी में जो रेडियो जॉकी के रूप में अपना करियर करना चाहते हैं उनके लिए निश्चित ही ‘अमीन सयानी’ प्रेरणा के स्रोत हैं। कुछ वर्षों पूर्व ‘अमीन सयानी’ जी की जादुई आवाज में ‘गीत माला की छांव’ नामक एक 10 सी.डी. का संग्रहण भी संगीत के बाजार में उपलब्ध था। इस संग्रह में आपने ‘बिनाका गीतमाला’  की यादों को और कई अनसुने किस्से को ताजा किया था। इसके साथ ही कुछ प्रसिद्ध कलाकारों के दुर्मिल साक्षात्कार को भी ‘सारेगामा कारवां’ के नाम से रेडियो के नये संसाधनों में शामिल किया गया था। जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली और उससे माध्यम से आने वाली नई पीढ़ी को भी ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम की उत्तम जानकारी मिली; साथ ही ‘बिनाका गीतमाला’  को दिल से चाहने वालों को पुरानी स्मृतियों से रूबरू होने का मौका प्राप्त हुआ।

‘बिनाका गीतमाला’  के श्रोताओं के लिए यह सभी स्मर्तियां ऐसी है जैसे भूतकाल के संदर्भ में स्वयं की पुरानी डायरी के फड़फड़ाते पन्नों के जैसी हैं और इन पन्नों में भोर के पारिजात के फूलों की खुशबू एवं रात्रि के रातरानी के फूलों की खुशबू का एक अनोखा मिलाप इन  स्मर्तियों को विशेष उजाला देता है। उत्साह रूपी ये शब्द स्मृतियों के पटल की धूल को झाड़ते हुए हमें स्मृतियों के मनोरंजन की मजेदार दुनिया की अनोखी सैर  कराती  है। ऐसे रेडियो के अभिनव युग के नायक का दिनांक 21 फरवरी सन 2024 में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया| रेडियो के अभिनव युग के इस नायक को इस आलेख के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजलि!

साभार:- अलेख की ऐतिहासिक जानकारी गुगल सर्च और मराठी लेखक पराग खोत के लेख से प्रेरित है।

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