मिशन रानीगंज: अदम्य साहस, शौर्य और धैर्य पर आधारित सत्य कथानक

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ੴ सतिगुर प्रसादि॥

(अद्वितीय सिख विरासत/गुरबाणी और सिख इतिहास/टीम खोज–विचार की पहेल)

मिशन रानीगंज: अदम्य साहस, शौर्य और धैर्य पर आधारित सत्य कथानक

सलोक कबीर॥

सूरा सो पहिचानीऐ जु लरै दीन के हेत॥

पुरजा पुरजा कटि मरै कबहू न छाडै खेतु॥

(अंग क्रमांक 1105)

अर्थात वो ही शूरवीर योद्धा है जो दीन, दुखियों और असहाय लोगों के हित के लिए लड़ता है। जब मन-मस्तिष्क में युद्ध के नगाड़े बजते हैं तो धर्म योद्धा निर्धारित कर वार करता हैं और मैदान-ए-जंग में युद्ध के लिए ‘संत-सिपाही’ हमेशा तैयार-बर-तैयार रहता हैं। वो ‘संत-सिपाही’ शूरवीर हैं, जो धर्म युद्ध के लिए जूझने को तैयार रहते हैं। शरीर का पुर्जा-पुर्जा कट जाए परंतु आखरी सांस तक मैदान–ए-जंग में युद्ध करता रहता हैं।

‘गुरु पंथ-खालसा’ के सिखों का इतिहास में स्थान अद्वितीय, अनोखा और अनूठा है। प्रत्येक जबर की अंधेरी रात में लगातार संघर्ष करते हुए, मौत को ललकार कर, अदम्य साहस, शौर्य और धैर्य का परिचय देकर, इन सिखों ने विश्व इतिहास में एक विशेष आदर्श निर्माण किया है। जहां त्याग, सेवा, सिमरन और भक्ति की मिसाल इन सिखों ने दी है, वहीं ‘गुरु पंथ खालसा’ के इन सिखों को गुरु साहिब ने मातृभूमि के लिए शहादत देने का जो जज्बा भरा था, वो ही जज्बा आज भी ‘गुरु पंथ खालसा’ के इन वीर सिखों में ‘जस का तस’ बरकरार है। मिट्टी के ईमान के लिए और इंसानियत की रक्षा के लिए इनकी भूमिका मुगलों, पठानों और अंग्रेजों के विरुद्ध अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। साथ ही देश की आजादी के पश्चात भारत माता की रक्षा के लिए एवं देश के नागरिकों की रक्षा के लिए इन सिखों ने गुरुओं से प्राप्त वो ही अदम्य साहस, शौर्य और धैर्य का प्रदर्शन कर, अपनी सेवाएं और शहादत अर्पित की है।

सिखों की इस अद्भुत विरासत में ऐसी ही बेमिसाल सत्य घटना पर आधारित हिंदी फिल्म ‘मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू’ की अनोखी दास्तां है। यह फिल्म पश्चिम बंगाल के रानीगंज के महाबीर कोलियरी में सन 1989 ई. के कोयले की खदान में फंसे 65 खनन श्रमिकों को सुरक्षित, एक बचाव अभियान के तहत 400 फीट जमीन के भीतर से निकलने की सत्य घटना पर आधारित है। इस बचाओ अभियान का नेतृत्व सन 1940 ई. में अमृतसर में जन्मे, ‘सरदार जसवंत सिंह गिल’ ने किया था। आप जी ने खालसा स्कूल (अमृतसर) में पढ़ाई की और बाद में खालसा कॉलेज (अमृतसर) में बी.एस.सी (नॉन-मेडिकल) में प्रवेश लिया। इसके पश्चात आप जी ने इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद से बी.एस.सी. (ऑनर्स) तक की पढ़ाई की। आप जी सन 1973 ई. में कोल इंडिया लिमिटेड में शामिल हो गये जहाँ से वे सन 1998 ई. में इंजीनियर-इन-चीफ के पद से सेवानिवृत्त हुए।खनन अभियंता ‘सरदार जसवंत सिंह गिल’ के बचाव अभियान पर आधारित इस फिल्म (नायक अक्षय कुमार) ने वर्तमान समय में रिलीज हुई सभी फिल्मों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और मजेदार बात यह है की फिल्म के निर्माताओं ने किसी भी माध्यम से फिल्म का प्रचार-प्रसार (प्रमोशन) नहीं किया है। इस रोमांचकारी फिल्म का रोमांच इतना अत्यधिक है कि दर्शक सांस रोक कर, दिल की धड़कनों को थाम कर और आंखें गड़ाकर इस फिल्म को पूर्ण देखते है। फिल्म निर्देशक टीनू सुरेश देसाई ने अत्यंत सूत्रताबध्द तरीके से पूर्ण फिल्म का संयोजन किया है।

इस बचाव अभियान के नायक, इस गुरु के सिख ने गुरु का ओट और आसरा लेकर, अपने अर्जित अभियांत्रिकी ज्ञान, अदम्य साहस, शौर्य और धैर्य का परिचय देकर, कोयला खदान में स्वयं प्रवेश कर, खनन श्रमिकों की जान विषम परिस्थितियों में भी बचाई थी। इस बचाओ अभियान में अपने ही मजदूरों को बचाने हेतु सरकारी लालफीताशाही सबसे बड़ी रुकावट थी परंतु इस गुरु के सिख ने इंसानियत के तकाजे को ध्यान में रखकर अपने कुशल नेतृत्व में, सभी रुकावटों को दूर कर, इन श्रमिकों की जान बचाई थी। इस गुरसिख ने अपने फर्ज को निभाने हेतु उन मजदूरों की जात-पात और धर्म नहीं देखा था, स्वयं के आत्मविश्वास और गुरु के समक्ष की गई अरदास (प्रार्थना) पर पूर्ण भरोसा कर, इन मजदूरों को एक देवदूत की तरह बचाया था। जिस तकनीकी ज्ञान का उपयोग कर, इस सिख ने इस बचाओ अभियान को अंजाम दिया था, वर्तमान समय में इस तकनीक को पूर्ण विश्व ने स्वीकार किया है।

सभी पाठकों से निवेदन है कि वह अपने परिवार के साथ इस प्रेरणादाई फिल्म को जरूर देखें। जब-जब इस देश के नागरिकों ने गुरु के सिखों पर विश्वास किया तो इन सिखों ने उस विश्वास को सार्थक कर दिखाया है। इस बचाओ अभियान में समय सबसे कम और उम्मीद सबसे अधिक थी। कम समय और अधिक उम्मीद के मध्य एक सेतु का कार्य इस खनन अभियंता ने अपने अर्जित ज्ञान और कुशल नेतृत्व से इस बचाओ अभियान को अंजाम दिया था। इस बचाव अभियान के नायक ‘सरदार जसवंत सिंह जी गिल’ (जिन्हें केप्सुल सिख के नाम से भी जाना जाता है), को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण के कर-कमलों से सर्वोच्च नागरिक वीरता पुरस्कार “जीवन रक्षक पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था और कोल इंडिया द्वारा इस बचाव अभियान दिवस अर्थात 16 नवंबर को ‘राष्ट्रीय बचाव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 1 नवंबर सन 2013 ई. को आप जी को जीवन गौरव (लाइफ टाइम अचीवमेंट) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था एवं कोल इंडिया लिमिटेड के 39वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जयसवाल द्वारा एक लाख का पुरस्कार दिया गया था। आप जी का नाम खनन में सबसे सफल और सबसे बड़े बचाव अभियान के लिए राष्ट्रीय रेकॉर्ड धारक के रूप में सन 2005 ई. को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है। इस बचाव अभियान के नायक ‘सरदार जसवंत सिंह गिल’ को टीम ‘खोज-विचार’ की और से सादर नमन!


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