मित्रता दिवस पर विशेष
सच्चा मित्र वह ही होता है जिसके साथ हम सुख–दुख में समाहित होते हैं। जिसे के समक्ष हम अपने हृदय के भावों को बिना किसी संकोच के प्रकट कर सकें। मित्रता में पाप और पुण्य की गवाही आसानी से होती है। मित्रता में स्वयं की पराजय को स्वीकार करने में किसी भी प्रकार से हीन भावना का एहसास नहीं होता है। मित्रता का परिवेश राम राज्य की तरह है; जहां झूठ, फरेब और मतलबीपना कोसों दूर रहता है। जीवन में मित्र ऑक्सीजन के समान होते हैं। मित्रता के बिना जीवन सूखा, कठोर, निष्ठुर और कष्टदायक है। मेरे जीवन में मेरे मित्र कल भी विशेष थे, आज भी विशेष है और हमेशा विशेष रहेंगे।
अंत में हिंदी साहित्य के महान कवि ‘श्री मैथिलीशरण जी गुप्त’ की सर्वोत्कृष्ट रचना सभी मित्रों को समर्पित है–
तप्त हृदय को, सरस स्नेह से;
जो सहला दे, मित्र वही है।
रूखे मन को, सराबोर कर,
जो नहला दे, मित्र वह ही है।
प्रिय वियोग, संतप्त चित्त को,
जो बहला दे, मित्र वह ही है।
अश्रु बूँद की, एक झलक से,
जो दहला दे, मित्र वह ही है।
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित!
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