महाराष्ट्र दिवस पर विशेष-
आज 1 मई 2021 ई. के दिवस हम सभी महाराष्ट्र वासी,महाराष्ट्र निर्माण का 62 वां स्थापना दिवस मना रहे हैं। हमारे महाराष्ट्र के निर्माण का इतिहास अत्यंत रक्तरंजित है। इस ऐतिहासिक क्रांति में हमारे महाराज के 108 भूमि पुत्रों ने अपना बलिदान अर्पण कर इतिहास के पन्नों पर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अजर–अमर कर दिया है। हम सभी महाराष्ट्र वासी प्रत्येक वर्ष 1 मई के दिवस इन महान क्रांतिकारियों को याद कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
देश की आजादी के मात्र 12 वर्षों पश्चात इस महाराष्ट्र और मराठी भाषा की अस्मिता और स्वतंत्रता के लिए संयुक्त महाराष्ट्र मुहिम के प्रणेते एस.एम. जोशी जी, प्रबोधनकार ठाकरे जी, आचार्य अत्रे जी, लोकशाही शाहीर साबळे जी, महान साहित्यकार, नाटककार, संगीतकार, अर्थात हर एक कला में अपनी विशेष योग्यता को प्रदर्शित करने वाले मराठी माटी के गौरव पु. ल. देशपांडे जी, अन्नासाहेब पाटील जी,आजाद महाराष्ट्र राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण जी, साथ ही ऐसे अनेकों इस मराठी माटी के पुत्रों ने रक्तरंजित संघर्ष कर, इस महान राज्य महाराष्ट्र का निर्माण किया था। ऐसे इन महान मराठी भूमि पुत्रों को और इस समस्त रक्तरंजित संघर्ष के 108 शहीदों को संपूर्ण महाराष्ट्र की 12 करोड़ जनता सहृदय से प्रणाम करती है।
इस महान देश में इस महाराष्ट्र राज्य ने अपने भूमि पुत्रों के बल पर अफाट प्रगति कर इस राज्य को खेती, औद्योगिक उत्पादन, साथ ही खेती से जुड़े उद्योग, जैसे की शक्कर मिले, सूत काटने की मिले और वर्तमान समय में ऑटोमोबाइल उद्योग, आई.टी. के क्षेत्र में एवं अनेक छोटे-मोटे रोजगारों में अग्रगण्य स्थान पर रखकर अपने आपको साबित किया है। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय यशवंतरावजी चव्हाण जी को औद्योगिक क्रांति, खेती उत्पादन और सहकारी क्षेत्र में कंक्रीट कार्य करने हेतु राज्य की जनता सदैव इस महान महापुरुष को याद रखेगी। स्वर्गीय यशवंतरावजी चव्हाण के नेतृत्व में जो महाराष्ट्र राज्य ने शानदार प्रगति की थी, उसकी भूरी – भूरी प्रशंसा हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी हमेशा अपने वक्तव्यों में करते थे। वर्तमान समय में भी महाराष्ट्र राज्य को देश का सबसे विकसित राज्य मानकर, भारत देश की आर्थिक राजधानी के नाम से संबोधित किया जाता है। महाराष्ट्र के विकास से हम सभी महाराष्ट्रवादी अभिमान पूर्वक हमारी एकजुटता को अभिवादन करते हैं।
राज्य की जनता पिछले 1 वर्ष से कोरोना संक्रमण से पीड़ित है। इससे संपूर्ण उद्योग जगत चिंतित और भयग्रस्त है। 15 दिनों के लॉकडाउन के कारण एम.एस.एम.ई. के अंतर्गत आने वाले कारखानों में लगभग 50% से भी ज्यादा अघोषित लॉकडाउन चल रहा है और यह लॉक डाउन कब समाप्त होगा? इसकी कोई सीमा तय नहीं है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र की जनता स्वयं को असहाय महसूस कर रही है। रोज सैकड़ों की संख्या में राज्य के नागरिक मर रहे हैं और हजारों की संख्या में कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। चीन अपनी कुटिल नीतियों से एवं स्वयं के उद्योग और व्यापार की समृद्धि से अपने आप को अमेरिका से भी बड़ा देश बनाने की स्पर्धा में इस कोरोना संकट को लेकर पूरे विश्व को आर्थिक संकट में धकेल रहा है और महासत्ता बनने के लिए लालायित है। चीन के महासत्ता बनने के सपने ने पूरी मानवता को पतन के गर्त में धकेल दिया है। इस भयानक संकट के समय कोई कुछ विशेष करने की स्थिति में नहीं है।
महाराष्ट्र राज्य के एक करोड़ कामगारों की रोजी-रोटी को कंपनी के मालिकों ने स्वयं खर्चे से मार्च 2020 ई. से मई 2021 ई. तक की पगार दी है। इस कारण से आगे आने वाले लॉकडाउन के अनिश्चित महीनों में अब कामगारों को पगार देना कठिन होता जा रहा है। ऐसे समय में वाद–विवाद होना निश्चित है। सरकार के आदेश के पश्चात बड़ी कारपोरेट कंपनी, मिल्स, सहकारी साखर कारखाने, बैंकिंग क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में तो कामगारों को पगार मिल सकती है परंतु एम.एस.एम.ई. के अंतर्गत आने वाले कारखाने जो की बड़ी कारपोरेट कंपनियों पर निर्भर करते हैं, इन कंपनियों के कामगारों को पगार देना बहुत मुश्किल है। कारण उद्योग धंधे 50% तक समाप्त हो चुके हैं औद्योगिक मंदी के कारण सभी कारखाने घाटे में चल रहे हैं। ऐसे कठिन समय में कामगारों के लिए निधि की उपलब्धता करना वाकई कठिन कार्य है। पिंपरी–चिंचवड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने तो अप्रैल महीने में ही सरकार से मांग की है कि कामगारों के उदर निर्वाह के लिए राज्य सरकार अपनी तिजोरी से एक विशेष भत्ता कायम करें यह कामगार ‘उदर निर्वाह का भत्ता’ एम.एस.एम.ई. के अंतर्गत आने वाली सभी कंपनियों को सीधे दिया जाए। जिससे कि कामगारों की रोजी–रोटी और महाराष्ट्र की श्रम शक्ति को एक नवीन संजीवनी प्राप्त होगी।
विश्व की मुक्त अर्थ व्यवस्था को सन् 1991 ई. में देश ने स्वीकार किया था और इस अर्थव्यवस्था के अनुसार महाराष्ट्र राज्य विश्व के प्रथम नामांकित राज्यों में से एक था। महाराष्ट्र की एम.आइ.डी.सी. ने हमेशा ही उद्योग धंधे के विषय में चीनी महासत्ता से खुलकर स्पर्धा की है परंतु चीन निर्मित इस कोरोना विषाणू ने 70 साल पूर्व बनी एम.आई.डी.सी.की कमर तोड़ दी है। आज महाराष्ट्र की भूमि कोरोना संक्रमण के पीड़ितों की मृत्यु से कलंकित होती जा रही है। चीन ने अपनी महासत्ता की अभिलाषा को पूर्ण करने हेतु कोरोना संक्रमण को पूरे विश्व में फैला दिया है और इस संक्रमण का आरोप अमेरिका पर लगाकर ऐसी स्थिति निर्मित कर ली है कि विश्व के 125 देश एक तरफ तो दूसरी और केवल चीन। इस संघर्ष के कारण महाराष्ट्र के कामगार वर्ग और औद्योगिक वर्ग आर्थिक रूप से 50% से भी ज्यादा दुर्बल हो चुका है। ऐसे कठिन समय में और विकट परिस्थितियों में केंद्र सरकार से मदद मिलने की आशा ना के बराबर है। परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकार ने एक करोड़ कामगार व खेत मजदूरों के लिए तुरंत ‘उदर निर्वाह निधि’ के स्वरूप में प्रत्येक महीने रु 5000 (पांच हजार) की मदद की घोषणा करनी चाहिए। इस योजना की मंजूरी महाराष्ट्र के 62 वें स्थापना दिवस से प्रारंभ कर एक आदर्श का निर्माण करना चाहिए। जिससे कि कामगार वर्ग और खेत मजदूरों को जीवन जीने का हक प्राप्त हो एवं इससे देश में एक संदेश भी जाएगा कि महाराष्ट्र राज्य केंद्र सरकार से कभी भी दो कदम आगे चलकर अपने नागरिकों की मदद करता है।
महाराष्ट्र के आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज ने अकाल पीड़ित जनता के लिए अन्य – धान के गोदाम दिन-रात खोल दिए थे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने जनता की मदद के लिए रोख रकम का भी इंतजाम कर अपनी पूरी निष्ठा से आम जनता में बराबरी का बांटा था। इस इतिहास को हमारे राज्य कर्ताओं ने एक आदर्श के रूप में स्वीकार कर उदार हाथों से एम. एस. एम.ई. के अंतर्गत आये उद्योग, कामगार वर्ग और खेत मजदूरों को मदद कर कोरोना के संकट के बादलों को समाप्त करने की आवश्यकता है।
यदि चीन की कूटनीति को हमें परास्त करना है तो हमें अपने एम. एस. एम.ई. उद्योग, कामगार वर्ग और खेत मजदूरों को सीधी सरल हाथों से मदद करनी ही होगी। केंद्र सरकार की टोल – मटोल नीतियों के जैसे समय बर्बाद ना कर हमें अपने उद्योग धंधे और लोगों को सुरक्षित करना होगा। कारण देश के सकल उत्पादन में हमारे राज्य के उद्योग धंधे और कामगार वर्ग का 50% योगदान है और देश के आर्थिक उत्पादन में भी महाराष्ट्र राज्य का 35% योगदान है। महाराष्ट्र राज्य में विरोधी पक्ष के द्वारा कपट की राजनीति करते हुए, प्रत्येक स्थान पर राजनीति करते हुए पिछले 10 वर्षों में इन राजनेताओं ने राज्य को पतन के गर्त में धकेला है। वर्तमान सरकार को दिखाना होगा कि राज्य में आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत कायम है और राज्य के निर्माण में 108 शहीदों को नमन कर हमें पुनः राज्य के विकास में एकजुटता से कार्य करने की आवश्यकता है।
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