थानेसर (कुरुक्षेत्र) से चलकर गुरु पातशाह जी 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम मनियारपुर नामक स्थान पर पहुंचे थे। यदि हम ग्राम मनियारपुर में जाना हो तो कुरुक्षेत्र से पीपली होते हुए लाड़वे नामक स्थान के निकट लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम मनियारपुर स्थित है। गुरु जी ने ग्राम मनियारपुर पहुंचकर एक रमणीक स्थान पर अपने निवास की व्यवस्था की थी परंतु इस स्थान पर पानी का प्रबंध नहीं होने के कारण पास ही के एक ग्राम ड्योढ़ी नामक स्थान पर सिख सेवादारों ने पहुंचकर इस स्थान पर स्थित एक ऐसे कुएं को खोजा जिसमें प्रचुर मात्रा में पानी की उपलब्धता थी। इस कुएं से लगातार प्रचुर मात्रा में पानी बाहर की और बह रहा था। इस पानी का गुरु पातशाह जी के सेवादारों ने काफिले के घोड़े, ऊंट और लंगरों के लिए एवं व्यक्तिगत उपयोग के लिए पूरा-पूरा उपयोग किया था।
उस स्थान के कुछ मनमती लोगों को इस तरह से गुरु जी के काफिले के लिये पानी का उपयोग करना रास नहीं आ रहा था। उनके विचार अनुसार इस पूरे पानी पर उनका अधिकार था उन्हें इस तरह से गुरु जी के काफिला द्वारा पानी का उपयोग करने पर क्रोध आ रहा था। इन शरारती मनमतीयों ने कुएं के मालिक के साथ मिलकर हीन भावना से क्रोधित होकर उस पीने के पानी के कुएं में गोबर और गंदी मिट्टी को मिलाकर इस कुएं के पानी को दूषित कर, पीने के लिए अयोग्य कर दिया था।
जब इस प्रसंग का ज्ञान गुरु जी को हुआ तो वह पुनः मनियारपुर पधार गए थे। जब स्थानीय मनमतियों को ज्ञात हुआ कि पानी का उपयोग करने वाले गुरु पातशाह जी के काफिले से संबंधित हैं तो उन्हें बहुत ग्लानि महसूस हुई और उन्होंने इसके लिए गुरु पातशाह जी से क्षमा भी मांगी थी।
जब गुरु जी के डेरे को और अधिक पानी की जरूरत पड़ी तो लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम सलेमपुर में स्थित एक कुएं से सिख सेवादारों ने पानी का प्रबंध कर इस पानी का उपयोग गुरु जी के निवासी डेरे के लिए किया था। वर्तमान समय में इन तीनों ग्रामों में गुरु ‘श्री तेग बहादुर साहिब जी’ की स्मृति में भव्य, विलोभनीय गुरुद्वारा साहिब जी सुशोभित है। ग्राम मनियारपुर में प्रत्येक अमावस्या के दिन जोड़ मेले का आयोजन किया जाता है। इस जोड़ मेले में आसपास के ग्रामों की संगत एकजुट होकर नाम-बंदगी से जुड़ती है और गुरु के लंगरों को तैयार कर संगत इस लंगर का लाभ लेती है।
इस श्रृंखला के रचयिताओं ने गुरुद्वारा ड्योढ़ी साहिब जी के प्रबंधकों से भी मुलाकात की थी। इन प्रबंधकों में से एक प्रबंधक ने भी गुरुद्वारा ड्योढ़ी साहिब के इतिहास का वर्णन किया, जो कि इस प्रकार से है–
सन् 1656 ई. में ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ कुरुक्षेत्र एवं मनियारपुर से होते हुए इस स्थान ड्योढ़ी पर पधारे थे। जब गुरु पातशाह जी ने मनियारपुर में डेरा लगाया तो वहां पर पीने के पानी का कुछ प्रबंध न होने के कारण पानी की खोज में गुरु पातशाह जी इस ग्राम में पधारे थे। स्थानीय ग्रामीणों ने हीनभावना से ग्रस्त होकर डेरे के सेवादारों को पीने के पानी का उपयोग करने के लिए वर्जित कर दिया था और पानी के कुएं में गोबर और गंदगी को घोलकर पानी को दूषित कर, पीने के लिए अयोग्य कर दिया था। इस कारण से डेरे के सेवादारों ने सलेमपुर ग्राम में जाकर पीने के पानी का प्रबंध किया था। उस समय गुरु पातशाह जी ने वचन किए थे कि तुम्हारी ड्योढ़ी ना उजड़ेगी और ना ही आबाद होगी। ज्यादा कर इस गांव में घर जमाई रहते थे परंतु अब स्थानीय संगत इस स्थान पर बहुत सेवा करती है और गुरु जी की स्मृति में प्रत्येक वर्ष एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। इस कारण से इस ग्राम के सभी संकट दूर हो गए हैं और स्थानिक ग्रामवासी चढ़दी कला में है।
जब इस श्रृंखला के रचयिता ने उस पुरातन कुएं की ग्राम वासियों से जानकारी प्राप्त की तो ज्ञात हुआ कि ग्राम के बाहरी इलाके में वह कुआं मौजूद है परंतु प्रत्यक्ष में ऐसा कोई कुआं वर्तमान समय में मौजूद नहीं है, हां एक पीपल का वृक्ष जरूर मौजूद है साथ ही एक कब्र भी बनी हुई है। हमें या देखने का अवसर भी प्राप्त हुआ कि पुरातन कुआं जमींदोज हो चुका है। यह स्थान उस पुरातन इतिहास का गवाह है और ग्राम सलेमपुर में भी ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ की स्मृति में भव्य गुरुद्वारा साहिब जी सुशोभित है। इस गुरुद्वारा परिसर के पीछे की और ही कुआं निर्मित है और इस कुएं के निकट ही एक पीपल का वृक्ष मौजूद था। इस वृक्ष की जड़ों के प्रसार के कारण निर्मित हुए कुएं को क्षति पहुंचने लगी थी। इस कारण से इस वृक्ष को तोड़कर जमींदोज कर दिया गया है। इस प्रसंग में हम तीनों ग्रामों के इतिहास की जानकारी प्राप्त की यह तीनों ग्राम बिल्कुल आसपास ही आबाद है।
इन तीनों ग्रामों की यात्रा के पश्चात गुरु पातशाह जी अपनी भविष्य की यात्रा हेतु कौन से स्थानों पर गए थे? इस पूरे इतिहास को श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 92 में संगत (पाठकों) को रूबरू कराया जाएगा।