सफर-ए-पातशाही नौवीं श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 87 में ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ से संबंधित गुरुद्वारा धमतान साहिब जी के इतिहास से हम अवगत होंगे। इस स्थान पर गुरु पातशाह जी दो बार पधारे थे। पहले समय गुरु जी इस स्थान पर सन् 1665 ई. की बैसाखी पर पधारे थे और दूसरे समय सन् 1665 ई. की दिवाली के दिवस पर आप भी इस स्थान पर पधार कर, आयोजित जोड़ मेले में भी उपस्थित हुए थे। गुरु पातशाह जी ने इस स्थान पर संगत को नाम-वाणी से जोड़कर इस स्थान को सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए निरूपित भी किया था।
इस श्रृंखला के प्रसंग क्रमांक 64 के अंतर्गत हमने भाई दगो जी एवं प्रसंग क्रमांक 65 में भाई मीहां जी के इतिहास को जाना था। जब गुरु जी पहले समय बैसाखी के अवसर पर यहां पधारे थे तो उस समय भाई दगो जी को माया प्रदान कर वचन किए थे कि भाई दगो जी आपने इस स्थान पर संगत की सुविधा हेतु सुंदर बाग और कुओं को स्थापित करना है। जब ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ दिवाली के अवसर पर पुनः यहां पधारे तो ज्ञात हुआ जी गुरु जी के द्वारा प्रदान की हुई माया भाई दगो जी ने स्वयं के कार्य हेतु अपने परिवार के लिए इस माया का उपयोग कर दिया था और साथ ही कुएं का निर्माण स्वयं के खेतों में कर लिया था। गुरु पातशाह जी ने भाई दगो जी को समझा कर संगत के हित में कार्य करने हेतु वचन किए थे।
इस श्रृंखला के रचयिता सरदार भगवान सिंह जी ‘खोजी’ और उनकी टीम को इस स्थान पर भाई दगो जी की वर्तमान पीढ़ी के भाई कर्मवीर सिंह जी से वार्तालाप करने का अवसर प्राप्त हुआ था। एक बात निश्चित है कि ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ किसी को भी श्राप नहीं दे सकते थे। भाई दगो जी की अपनी ही जमीन पर ही उनकी पीढ़ी के सदस्य से मिलने का अवसर मिला था। यह वह ही जमीन का टुकड़ा है जिस पर भाई दगो जी ने स्वयं के उपयोग के लिए कुआं खुदवाया था। जब हमने उनके परिवार के सदस्य सरदार कर्मवीर सिंह जी से इस इतिहास की जानकारी प्राप्त की तो उन्होंने हमारी टीम को गुरु फतेह बुलाकर इस इतिहास को बताया वह इस प्रकार से है–
मेरा नाम कर्मवीर सिंह है मेरी और से सभी संगत को फतेह की सांझ करता हूँ।
वाहिगुरु जी का खालसा, वाहिगुरु जी की फतेह॥
मैं ग्राम धमतान साहिब, तहसील नरवाना, डिस्ट्रिक्ट जींद हरियाणा का निवासी हूं। मैं सभी संगत को बताना चाहता हूं कि हम भाई दगो जी के परिवार से संबंधित है। भाई दगो जी की बहन ग्राम ढ़ढरिआंवाले से आकर इस ग्राम धमतान साहिब में आबाद हो गई थी। हम सिख धर्म के अनुयाई हैं और सिख गुरुओं पर हमारी पूर्ण रूप से श्रद्धा और विश्वास है। इस कारण से हमारे परिवार को किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है। हम दो भाई हैं मेरे पिताजी भारतीय सेना से रिटायर्ड है। मेरा भाई एम.बी.बी.एस. डॉक्टर है और दिल्ली के एक अस्पताल में कार्यरत है। मैं स्वयं स्कूल शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं अर्पित कर रहा हूं। गुरु महाराज की कृपा से हमारे परिवार में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है, जैसे कि इतिहास में आता है कि ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने भाई दगो जी को श्राप दिया था, मैं संगत का ध्यान आकर्षित कर कहना चाहता हूं कि हमने जितना भी दस गुरुओं के इतिहास को पढा है या सुना है या चर्चा होती है परंतु गुरु पातशाह जी ने कभी भी किसी को श्राप नहीं दिया था। औरंगजेब इतना दुष्ट था, जिसने गुरु जी और उनके परिवार के विरुद्ध लगातार जुल्म किए थे परंतु गुरु पातशाह जी ने उनको भी कोई श्राप नहीं दिया था। इतिहास में आता है कि गुरु पातशाह जी ने भाई दगो जी को श्राप दिया था। पुरातन ऋषि-मुनियों के इतिहास को पढो़ तो ज्ञात होता है कि श्राप से तो सभी कुछ समाप्त हो जाता है। यदि हम गुरु महाराज के चरणों में रहकर सेवा करे तो गुरु महाराज किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते हैं। मैं तो यथार्थ रूप से जीवन को देख रहा हूं। गुरु घर से जुड़कर सेवा भी कर रहा हूं, हमारे परिवार में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है। हमारा पूरा परिवार सुख, शांति और समृद्धि से जीवन व्यतीत कर रहा है। सभी कुछ ठीकठाक है, हम 24 घंटों गुरु महाराज का शुक्रराना करते हैं कि उन्होंने हमको इतनी ढेरों खुशियां बक्शीश की हैं। इस भाई दगो के परिवार में किसी भी चीज का कोई श्राप नहीं है। मैं भाई दगो जी के परिवार से उनकी बहन की आने वाली पीढ़ियों में से हूं। हम नहीं जानते हैं कि हम उनकी कौन सी पीढ़ी में से हैं? मेरे पिताजी के परिवार में कुल 6 भाई हैं और हमारा परिवार सुखी और समृद्ध है। हम इस श्रृंखला के रचयिता की टीम को धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमारा सही इतिहास इस श्रृंखला के माध्यम से संगत को दर्शाया है। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
वाहिगुरु जी का खालसा, वाहिगुरु जी की फतेह॥
जब श्रृंखला को रचित करने वाली टीम स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंधन करने वाले सेवादारों से मिली तो ज्ञात हुआ कि भाई दगो जी का परिवार पूरी श्रद्धा के साथ गुरु घर से जुड़कर अपनी सेवाएं अर्पित कर रहे हैं। इस स्थान पर भी भाई दगो जी ने कुएं का निर्माण करवाया था। भाई दगो जी की बहन के परिवार से हमें मुलाकात करने का अवसर प्राप्त हुआ था। इस स्थान धमतान साहिब जी में गुरु जी की स्मृति में भव्य विलोभनीय गुरुद्वारा साहिब जी पातशाही नौवीं सुशोभित है। इसी स्थान को ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ ने धर्म प्रचार-प्रसार के प्रमुख केंद्र के रूप में निरूपित किया था। साथ ही आसपास के इलाकों में सिख धर्म का प्रचार-प्रसार किया था। वर्तमान समय में भी इस स्थान पर बड़ी संख्या में गुरु घर के श्रद्धालु जुटते हैं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस गुरुद्वारे के प्रबंधन का संचालन करती है।