‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ हजारा नामक ग्राम से चलकर बंगा नामक स्थान से गुजरते हुए आप जी हकीमपुर नामक ग्राम में पधारे थे। हकीमपुर ग्राम, ‘हजारा’ नामक ग्राम से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बंगा नामक स्थान से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस हकीमपुर ग्राम में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ ने अपनी चौथी उदासी यात्रा के समय इस धरती को अपने चरण-चिन्हों से स्पर्श कर पवित्र किया था। इस पवित्र स्थान पर निवास करते हुए ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ ने सिक्खी का बूटा लगाकर सिख धर्म का प्रचार-प्रसार किया था। इस हकीमपुर ग्राम में ही ‘श्री गुरु हर राय साहिब जी’ करतारपुर से कीरतपुर की ओर प्रस्थान करते समय आप जी ने भी अपने चरण-चिन्हों से स्पर्श कर इस धरती को पवित्र किया था।
इस हकीमपुर ग्राम की पवित्र धरती पर जब ‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी’ पधारे थे तो उनके निवास की समुचित व्यवस्था की गई थी। गुरु जी के दर्शन-दीदार करने संगत इस स्थान पर लगातार पहुंच रही थी और गुरु जी के दीवान लगाए जा रहे थे। इस पूरे इलाके में रहते हुए गुरु जी ने इस पूरे इलाके का निरीक्षण किया था। कारण गुरु जी की चाहते थे कि इस सुंदर इलाके में कोई नवीन नगर आबाद किया जाए। गुरु जी नगर को ऐसे स्थान पर आबाद करना चाहते थे, जहां निवास का सर्वोत्तम प्रबंध हो। गुरु जी ने बकाला नामक स्थान छोड़ दिया था और अमृतसर में हरि जी अपना कब्जा करके बैठा था। करतारपुर में धीरमल ने अपना डेरा जमाया हुआ था। इन्हीं कारणों के कारण गुरु जी कोई सर्वोत्तम नवीन जगह को खोज रहे थे।
गुरु जी के द्वारा इस पूरे इलाके का निरिक्षण कर, छानबीन की गई थी। कारण गुरु जी अपने स्वयं से खोजे हुए नवीन स्थान पर लंबे समय तक निवास करना चाहते थे। इस सांसारिक जीवन में हम सभी स्वयं के निवास स्थान की खोज बहुत सोच-विचार करके करते हैं। ठीक इसी प्रकार गुरु जी भी विचरण/भ्रमण करते हुए योग्य स्थान की खोज कर रहे थे।
इस स्थान पर वर्तमान समय में गुरुद्वारा नानकसर साहिब स्थित है। इस गुरुद्वारे की सेवा-संभाल और उत्तम प्रबंध ‘गुरु पंथ खालसा’ के निहंग सिंहों के अधीन है। इस स्थान पर निहंग सिंहों की छावनी भी स्थित है। इस स्थान पर गुरु जी ने सिखों को वचन किए थे कि यहां पास में ही एक और स्थान हमारा देखा-परखा हुआ है। यदि हमें यह पास का इलाका रहने के लिए ठीक लगा तो हम इस पास के स्थान पर एक नगर को आबाद करेंगे।