‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के 553वें प्रकाश पर्व को समर्पित–

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ੴसतिगुर प्रसादि॥
चलते-चलते. . . .
(टीम खोज-विचार की पहेल)

श्री गुरुनानक देव साहिब जी और मोदी खाना

व्हाट्सएप विश्वविद्यालय में अक्सर कुछ वीडियो क्लिप देखने में मिलते है। जिसमें पंजाब के सिख सेवादार दवाइयों की दुकान को ‘मोदी ख़ाने’ के रूप में प्रदर्शित कर ‘मोदी ख़ाने’ के महत्व को समझा रहे हैं। ‘मोदी ख़ाना’ ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के इतिहास से संबंधित है। उस इतिहास को विस्तार पूर्वक इस लेख में अंकित किया गया है।

‘मोदी ख़ाना’ फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, राज्य में उत्पादित रसद को उचित मुल्य में स्वीकार कर, आम लोगों में ज़रूरत के अनुसार उचित मूल्य पर उपलब्ध करा कर देना।

सन् 1332 ई. में पंजाब के सूबेदार मोहम्मद ख़ान के बेटे सुल्तान ख़ान के नाम से सुल्तानपुर शहर को बसाया गया था। दिल्ली से बादशाह इब्राहिम लोधी की और से पंजाब के गवर्नर पद का दायित्व दौलत ख़ान लोधी को दिया गया था। अकबरनामा 3 जिल्द में पृष्ठ क्रंमाक 704 के अनुसार उस समय दिल्ली से लाहौर जाने वाली मुख्य सड़क पर स्थित सुल्तानपुर बहुत बड़ा व्यापारिक केंद्र हुआ करता था।‌ प्रिंसिपल सतबीर सिंह जी के द्वारा रचित पुस्तक अनुसार सुल्तानपुर में कुल 32 बाजार थे और 5000 के क़रीब दुकानें थी। इन बाजारों में प्रमुख रूप से सराफा बाजार, पसार ख़ाना, अदिलबींया, फरोसा बाजार जहां पर सभी प्रकार की दवाइयां विशेष रूप से देसी दवाइयों का व्यापार बड़े पैमाने पर होता था। खुशरोमी हलवाईयों का बाजार, एब्रेशन बाजार जहां से कपड़ों का व्यापार किया जाता था, इत्यादि, प्रमुख बाजार थे। यदि उस समय के मूल्यों की सूची का अध्ययन किया जाये तो उस समय पचास पैसे प्रति मन (40 किलो) गेहूं मिलता था और अच्छे प्रति के चावल 65 पैसे प्रति मन थे, शुद्ध देसी घी 3 रूपये 50 पैसे प्रति मन था। अच्छे प्रति का सूती कपड़ा 3 रूपये का 30 गज मिल जाता था और उस समय जो करेंसी चलती थी उसे “बेहलौली दीनार” कहा जाता था। यह सब जानकारी पंजाब यूनिवर्सिटी की पुस्तक खोज पत्रिका के पृष्ठ क्रमांक 1969 में अंकित है।

इस व्यापारिक केंद्र में नवाब दौलत ख़ान का ‘मोदी ख़ाना’ स्थित था। इस ‘मोदी ख़ाने’ से ही पंजाब के कृषि उत्पादों की ख़रीद–फरोख्त होती थी। कुछ कृषि उत्पादन कर के रूप में भी जमा होता था और कृषि उत्पादों के जरिये व्यापार किया जाता था अर्थात कृषि उत्पाद के बदले दूसरी वस्तुओं को ख़रीदा और बेचा जाता था। ‘मोदी ख़ाना’ को आधुनिक भाषा में फूड कॉरपोरेशन आफ इंडिया के रूप में भी जाना जा सकता है।

नवाब लोधी के दीवान के रूप में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के जीजा जी श्री जय राम जी कार्यरत थे। नवाब लोधी ने जय राम जी के ऊपर एक जवाबदारी दी थी कि ‘मोदी ख़ाने’ को चलाने के लिये किसी उत्तम अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

दीवान जय राम जी ने नवाब लोधी को सिफारिश कर ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की ‘मोदी ख़ाने’ के मुख्य प्रबंधक के रूप में नियुक्ति करवा दी थी। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ ने अपने कार्यकाल में ‘मोदी ख़ाने’ का उत्तम प्रबंध किया। कई प्रकार के फालतू खर्चों के ऊपर रोक लगा दी गई। जिन सिपाहियों को मुफ्त रसद दी जाती थी उनको हटाकर पुन: दिल्ली भेजा गया। इस प्रकार से पैसों की बचत कर व्यापार वृद्धि में उसका सदुपयोग किया गया।‌ मेहरवान लिखित जन्म साखी में अंकित है कि जो पहले अधिकारी 10% “दहलिमी” को काट कर जनता को रसद दी जाती थी, इससे आम जनता परेशान और दुखी थी। इससे पहले जिन लोगों को ‘मोदी ख़ाने’ का प्रबंध दिया गया उन्होंने आम जनता को लूटने का ही काम किया था। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ का प्रबंध बहुत उत्तम था। समस्त हिसाब–किताब रखने वाले मुनीम भवानी दास जी के पास पुरा हिसाब लिखवा दिया जाता था। इस कार्यकाल में गुरु जी ने अपने संदेश “नाम जपो, कीरत करो और वंड छकों” के सिद्धान्त को वास्तविकता के रूप में कर दिखाया था। इस समय गुरु जी नौकरी कर किरत कर रहे थे और नाम जप कर सभी ज़रूरतमंदों को जरुरत का सामान बांटने का भी कार्य करते थे और अपने ‘दसवंद’ (किरत कमाई का दसवां हिस्सा) की कमाई से सभी भूखे प्यासे ज़रूरतमंद लोगों की ज़रूरतों को पूरा करते थे और तो और राशन भी ज़्याद तोल कर दे देते थे। उत्तम प्रबंध के कारण थोड़े ही समय में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की पूरे इलाके में जय–जयकार होने लगी थी। उस समय के भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों को यह सहन नहीं हो रहा था और इन सभी भ्रष्ट लोगों का नेतृत्व जादू राय कर रहा था। जादू राय ने नवाब लोधी को ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ कि सख्त शिकायत की और बताया कि ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ है और गुरु जी ने ‘मोदी ख़ाने’ को लूट लिया है। इन झूठी शिकायतों के परिणाम स्वरूप ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ को 3 दिन नजरबंद करके रखा गया (उस स्थान पर आज भी गुरुद्वारा कोठड़ी साहिब स्थित है) और 3 दिनों के लेखा–परीक्षण (ऑडिट) के पश्चात हिसाब में 321 “बहलौली दिनार” अधिक पाये गये। इस तरह से एक बार और भी गुरु जी के ऊपर झूठे इल्जाम लगाये और उस समय जब लेखा–परीक्षण किया तो 760 “बहलौली दिनार” हिसाब में अधिक पाये गये थे।

नवाब दौलत ख़ान ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की “कहनी और कथनी” से अत्यंत प्रभावित हुए और ऐलान किया कि मेरी यह सरकार गुरु जी की सरकार है, मैं अपनी समस्त सरकार को गुरु जी के चरणों में समर्पित करता हूं।

भाई गुरदास जी ने अपनी वारों (पद्यो) में नवाब दौलत ख़ान मोदी का ज़िक्र कर कहा है:–

दउलत खाँ लोदी भला होआ जिंद पीरु अबिनासी॥

     (वार 11 पउड़ी 13)

नवाब दौलत ख़ान मोदी के ससुर राय बुलार जी थे (जिन्हें ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ का प्रथम सिख कहकर भी संबोधित किया है) श्री राय बुलार जी ने गुरु जी के नाम पर 750 मुरब्बा ज़मीन लिखवा दी थी। (आज के हिसाब से 17,975 एकड़) जिसका ज़िक्र श्री रतन सिंह जग्गी द्वारा रचित विश्व प्रकाश ग्रंथ में अंकित है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि श्री राय बुलार जी ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ से अत्यंत प्रभावित हुए थे।

‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के कार्यकाल में जो ‘मोदी ख़ाने’ की तरक्की और विकास हुआ उस से पूरे इलाके में उनकी ख्याति फैल चुकी थी। लोग कहते थे कि इस तरह का “मोदी” आज तक कोई नहीं हुआ है।

यदि ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के ‘मोदी ख़ाने’ की संकल्पना को लेकर चले तो पूरी दुनिया में ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ के ‘मोदी ख़ाने’ खुलने चाहिये। ‘श्री गुरु नानक देव साहिब जी’ की अभिनव व्यापार पद्धति थी। जिसमें उत्पादों का “योग्य मूल्य, योग्य वजन और योग्य गुणवत्ता के महत्व को प्राथमिकता दी गई थी।

नोट 1. ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी’ के पृष्ठों को गुरुमुखी में सम्मान पूर्वक अंग कहकर संबोधित किया जाता है।

2. गुरुवाणी का हिंदी अनुवाद गुरुवाणी सर्चर एप को मानक मानकर किया गया है।

साभार लेख में प्रकाशित गुरुवाणी के पद्यो की जानकारी और विश्लेषण सरदार गुरदयाल सिंह जी (खोज–विचार टीम के प्रमुख सेवादार) के द्वारा प्राप्त की गई है।

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इंसानियत की जमीर के रखवाले: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी

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