जन्मोत्सव वंदना

आदरणीय, परम सत्कार योग्य सुरेंद्र वीर जी (जत्थेदार उज्जैन मध्यप्रदेश), आज आपको आपके आविर्भाव दिवस (29 नवंबर) पर अंनत स्वस्तिकामनाएं।

जन्मोत्सव वंदना

सत्कार योग्य, सेवा के सागर,
धर्म की धरती के सच्चे पथ गामी।

जत्थेदार हमारे वीर जी, आपका जीवन,
संगत के लिए समर्पित हमेशा अग्रगामी।

गुरु नानक घाट की भव्यता संजोई,
हर ईंट में स्वयं सेवा की श्रम-गाथा बोई।

जहाँ भटके मन पा गए हैं गुरमत की राह,
इस समर्पित सेवा ने बुझाई हर दिल की आह।

अपनी सेवाओं से दिया प्रखर-प्रज्ञा का ज्ञान,
हर दिल में जगाया उत्साह और सम्मान।

गुरुबाणी के मूल्य बनें आपके जीवन का उजियारा,
जिनसे समाज को मिले आलोक सजीव।

वाहिगुरु की मेहर का आप पर हमेशा बसेरा,
चढ़दी कला से सजा जीवन का हर सवेरा।

समाज को दिशा, दशा देने के लिए आभार,
आपकी सेवा अमर, अद्वितीय और अपार।

दीर्घायु हो जीवन और शुभ कर्मों का साथ,
नित्य प्रवाहमान रहे सेवा की यह पवित्र राह।

हमेशा गूंजे आपकी समर्पित सेवाओं की गाथा,
सेवा कार्यों से उजला सिख समाज का माथा।

इन पंक्तियों में समर्पित शुभकामना,
सत्कर्मों से सजी आपकी हर साधना।

वाहिगुरु की कृपा सदा बनी रहे,
जीवन आपका मंगलमय और महकता रहे।

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ . . . . .

✍️ डॉ. रणजीत सिंघ ‘अर्श’ पुणे।© (29/11/2024).