अलमारी और मन

Spread the love

अलमारी और मन दो अलग–अलग वस्तु और विशेषण है।

अलमारी स्थूल है, मन चंचल है।

मन की बात प्रधानमंत्री करते है और जनता उसे अलमारी में सहज कर रख देती है।

मनमर्जी करने वालों की समाज में बेइज्जती होती है और दूसरों के मन की बात सहज कर, सम्मान देकर अलमारी में रखने वालों का समाज में अपना स्थान है।

अलमारी और मन दोनों की समय–समय पर सफाई होते रहना चाहिए।

क्योंकि……..

अलमारी में कठिनाई होती है समान रखने की और मन में कठिनाई होती है गलतफहमी रखने की।

मन संवेदनशील होता है, गलत शब्दों से टूट जाता है और सही शब्द जादूगर होते है। जिससे व्यक्तियों के मन को आपस में जोड़ा जा सकता है।

000

महान तपस्वी संत बाबा कुलवंत सिंह जी

KHOJ VICHAR YOUTUBE CHANNEL


Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *