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जीवन के सफर का संघर्ष

एक जिज्ञासु माली ने देखा कि उसके बगीचे में एक गमले में पौधे की पत्ती के निचले हिस्से पर एक वयस्क तितली कुछ अंडे दे रही है। उस दिन से वह जिज्ञासु माली एक अंडे को बड़े उत्साह से लगातार देखने लगा। अंडा धीरे-धीरे कंप-कंपाकर, हिलने-डुलने लगा। (पाठकों की जानकारी के लिये- तितली के अंडे से कुछ दिनों बाद एक छोटा सा कीट निकलता है जिसे विज्ञान की भाषा में कैटरपिलर/लार्वा कहा जाता है। प्रकृति के नियमानुसार यह कैटरपिलर/लार्वा पौधे की पत्तियों को खाकर बड़ी तेजी से बड़ा होता है और फिर इसके चारों ओर कड़ा खोल बन जाता है, इसे प्यूपा कहा जाता है। कुछ समय बाद प्यूपा को तोड़कर उसमें से एक सुन्दर छोटी सी नवजात तितली बाहर निकलती है)। वह जिज्ञासु माली अपनी आँखों के सामने एक नया जीवन प्रकट होता देखने के लिए उत्सुक था। अब वह घंटों तक उस अंडे को देखता रहता। अंडे में दरारें पड़ने लगीं, धीरे-धीरे एक छोटा सिर और एंटीना जैसा अंग उभरने लगा। जिज्ञासु माली के उत्साह की कोई सीमा नहीं थी. वह एक आवर्धक लेंस (Magnifying glass) लाया और प्यूपा के जीवन को निरंतर देखने लगा। उसने देखा कि नाजुक प्यूपा से नवजात तितली बाहर निकलने के लिए कितनी मेहनत कर रही थी और वह जिज्ञासु माली नवजात तितली की मदद करने की अपनी इच्छा को रोक नहीं सका। वह माली अंडा तोड़ने में मदद के लिए एक रिंच (नुकीला हथियार) ले आया। उसने उस अंडे को रिंच से थोड़ा इधर, थोड़ा उधर, किया तो प्यूपा में से नवजात तितली बाहर आ गयी। जिज्ञासु माली बहुत खुश हुआ! अब वह प्रतिदिन नवजात तितली को एक सुंदर तितली के रूप में बड़ा होते देखने लगा, जो उड़ने को तैयार थी। लेकिन अफ़सोस ऐसा कभी नहीं हुआ. कैटरपिलर /लार्वा से निर्मित प्यूपा से बाहर आई नवजात तितली का सिर बहुत बड़ा था और वह पूरे 4 सप्ताह तक गमले के पौधे पर रेंगती रही और मर गई। जिज्ञासु माली निराश होकर अपने एक वनस्पति शास्त्र के वैज्ञानिक (Botanical scientist) मित्र के पास गया और इसका कारण पूछा। उस जिज्ञासु माली के मित्र ने बताया कि अंडे से बाहर निकलने की कड़ी मेहनत से नवजात तितली को अपने पंखों तक रक्त पंप करने में आवश्यक मदद मिलती है और सिर को छोटा रखने में भी मदद मिलती है ताकि नाजुक पंख अपनी आवश्यकता अनुसार स्वयं को समायोजित कर सकें। निश्चित ही मदद करने की चाहत में जिज्ञासु माली ने एक खूबसूरत तितली की जिंदगी बर्बाद कर दी! 

कठिनाइयाँ हमारे जीवन के लिए मददगार होती हैं, इसलिए थोड़ी सी मेहनत हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की असीमित क्षमता विकसित करने में मदद करती है! माता-पिता के रूप में, हम कभी-कभी बच्चों को मदद करने की लालसा में बहुत आगे निकल जाते हैं। हम अपने बच्चों को जीवन के सफर की कठोर वास्तविकताओं, कठिनाइयों और निराशाओं से बचाने का प्रयास करते हैं। ऐसा करके हम अपने बच्चों को यह संदेश दे रहे हैं कि वे स्वयं की मदद करने में सक्षम नहीं हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे बच्चों को हमारी तरह ही समस्याओं का सामना करना पड़े। हॉवर्ड मनोवैज्ञानिक डॉ. डैन कैंडल का कहना है कि अत्यधिक सुरक्षित होने से बच्चों के लिए रिश्तों और चुनौतियों से निपटना मुश्किल हो जाता है। 

प्रसिद्ध क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट वेंडी के अनुसार– 

“हमारा काम अपने बच्चों को जीवन के सफर के संघर्षों की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है, न कि अपने बच्चों के लिए आसान रास्ते तैयार कर उन्हें असक्षम बनाना है”।

फैसला आपका है. . . . .


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